सदस्य:Neelkamal gautam/प्रयोगपृष्ठ
इस दर्द भरी दुनिया में साल
हास् के काट लिया हमने
हर एक व्यक्ति का दुःख दर्द
मिलकर बाँट लिया हम ने
कभी दोस्त कभी दुश्मन को डांट दिया हमने
इस दर्द भरी दुनिया में साल
हास् के काट लिया हमने
कभी पिता के ज्ञान
कभी मास्टर के इम्तिहान
को जान लिया हमने
साल के अंत में आये
रिजल्ट को स्वीकार किया हमने
कभी दुख कभी दर्द को महसूस किया हमने
कभी आतंक कभी शहादत को जान लिया हमने
शहीदों की देशभगति को सलाम क्या हमने
.........नीलकमल गौतम
जहां देश का सम्म्मान नहीं
तिरंगे का कोई मान नहीं
वो राजा राजा ही क्या
जिस पर जनता का विश्वास नहीं
ऊँचे वादे ऊँचे इरादे
उंची इनकी बातें सभी
होगा उस देश के राजा का क्या
जहा राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान नहीं
सत्ता तो धूप और छाया है
इसका कोई सरताज़ नहीं
कुर्सी तो गिरगिट होती
इस पर किसी का अधिकार नहीं
,,,,,,,,,,,,,,,,,,नीलकमल गौतम
जन्म स्थान:गांव;KIRRAखुर्जा जिला बुलंदशहर
संपादित करेंजन्म तिथि: 15/03/1994
संपादित करेंवर्तमान स्थान गाजियाबाद[
संपादित करेंछात्र नेता:पूर्व उपाध्यक्ष एल.आर कॉलेज साहिबाबाद गाजियाबाद
संपादित करेंशिक्षा:B.A राजनीति विज्ञान, M.A:राजनीति विज्ञान
संपादित करेंजिलाउपाध्यक्ष भारतीय विद्यार्थी मोर्चा गाजियाबाद
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राष्ट्रीय मे राष्ट्रवादी भावनाएँ होनी चाहिए
रंग बदलने के लिए गिरगिट ही बहुत होता है
हर धर्म हर मजहब का सम्मान होना चाहिए
वस्त्र तो एक सर्कस वाला भी पहन लेता है
राष्ट्रीय की भावनाओं के लिए मन की भावनाओं को जानना चाहिए
तीर्थो पर जाने से राष्ट्रीय व् ध्वज का सम्मान नहीं होता है
राष्ट्रीय सम्मान के लिए बहिन बेटी की इज्जत को बचाना
हर एक व्यक्ति के अंदर ज्ञान का भंडार भरा होता है
बस हर एक नागरिक की इच्छा को जानना चाहिए
एक छोटा सा कछुआ भी खरगोश को हरा देता है
ऊंच,नीच और धर्मवाद को जड़ से मिटाना चाहिए
कुछ लोगो के लफ्जो पर राष्ट्रीयवादी बातें होती है
शरहद पर खड़े सैनिक की भवनो को जानना चाहिए
सत्ता पाने के लिए वादे तो खूब करते है
राष्ट्रीय के नागरिको के की प्रति वादों को निभाना चाहिए
राष्ट्रीय मे राष्ट्रवादी भावनाएँ होनी चाहिए
.........नीलकमल गौतम
" धर्म का नशा उस नशे की तरह है, जिस प्रकार एक अफीम का नशा होता है
.....नीलकमल गौतम
" एक स्वच्छ राजनीति के लिए, धर्मवाद और जातिवाद को समाप्त करना अनिवार्य है "
.....नीलकमल गौतम
" देश के विकास के लिए राजनीतिक चिन्तन करना अनिवार्य है "
.....नीलकमल गौतम
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सत्ता की भूख बड़ी निराली होती है
सत्ता की भूख बड़ी ही निराली होती है !
न भाई न बहन नहीं परिवार नहीं कोई रिश्तेदार !!
सिर्फ और सिर्फ पेसो की प्यारी होती !
सत्ता की भूख बड़ी ................ !
जनता मरती है मर जाये !!
हिंसा होती है हो जाये !
सभी घटनाएं आम व् निराली होती ही !
सत्ता की भूख बड़ी .......................... !!
मंदिर व मस्जिदों को ये तुड़वाये !
जाति हिंसा भी कर वाये !
जानता फिर भी कितनी भोली और प्यारी होती है !
सत्ता की भूख बड़ी ही निराली होती है ..!!
..............नीलकमल गौतम