सदस्य:Nehal Jain 1998/प्रयोगपृष्ठ/अल्पना मिश्र
हिन्दी कथा साहित्य में अल्पना मिश्र जी प्रमुख हस्ताक्षर के रुप में हैं । उनके कहानी संग्रह : 'भीतर का वक्त', 'छावनी में बेघर', 'कब्र भी कैद औ' जंजीरे साथ ही उपन्यास :'अन्हियारे तलछट में चमका' पाठकों के बीच में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना चुके हैं । वह हिंदी की महान लेखकों में से एक है और उन्होंने हिन्दी के कला क्षत्र को और खूबसूरत बनाने में अपना अच्छा योगदान दिया हैं । आधुनिक हिन्दी काल की जानी मानी लेखक अल्पना मिश्र जी पंडित हज़ारी प्रसाद द्विवेदी के परिवार से आती हैं । उन्होंने अपने लेखन की शुरुआती प्रेरणा द्विवेदी जी से ही ली और कई पुरस्कारों से भी सम्मानित की गई । पति कर्नल अमिताभ् का सेना में होने के बावजूद भी उन्होंने हमेशा उनका साथ दिया था । इस तरह पति, बच्चों और माता पिता, सब के साथ मिल जुल कर वह अपनी गाड़ी ठीक-ठाक चलाने में कामयाब हुई । अल्पना मिश्र जी का जन्म १८ मई १९६९ को हुआ था । और उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में एम-ए और विद्या वाचस्पति की डिग्री पूरी की । वह आजमगढ, उत्तरप्रदेश के एक छोटे से गाव में पैदा हुई थी । अल्पना मिश्र जी को अपने लेख के लिए शैलेश मटियानी स्म्रृति सम्मान (२००६) , परिवेश सम्मान (२००६),रचनाकार सम्मान (भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता २००८),शक्ति सम्मान (२००८)आदि पुरस्कारों से सम्मानित किया चुका है। फिलहाल अल्पना मिश्र दिल्ली विश्वविद्यालए के हिन्दी विभाग में एसोसिएट प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यरत हैं । परिवार और नौकरी की ज़िम्मेदारियों से बेहद घिरे रहने के बावजूद भी लेखिका हर रात उपन्यास लिख-लिख कर रात बिताती थी । अल्पना मिश्र जी का जन्म ऐसे परिवार में हुआ था जहां विद्वता, ज्ञान और किताबें चारों तरफ थी। वह अधिक से अधिक पढने क सहज किया करती थी । और फिर वह जिस बसती से थी वहां से कई प्रसिद्ध प्रतिभाए निकली हैं । छोटी उम्र में अन्याय का विरोध करने के लिए जब उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी तो उनके परिवार वाले अतिरिक्त रुप से खुश हो गए थे और उन्हे आगे लिखने का प्रोत्साहन भी दिया था। पर लेखिका के लिये कठिनाई यह हुई की उनकी इस गंभीर कविता को लोग मनोरंजन के रुप में देख रहे थे । फिर इसी से चालू हुआ उनका समाज के कूरूपो का खंड्न करने वाली कहानियां लिखने का सिलसिला । लेखिका को लगता था की जो लोग खुद नहीं बोल सकते हैं, उनके बदले में वह अपने पात्रों के ज़रिये जन जाग्रना बढ़ा सकती हैं । फिर पति के फौज में होने के बावजूद भी लेखिका खुद नौकरी कर अपना परिवार चलाती थी और फौज की कई सुविधाओं को छोड़ा भी था । उनकी मुख्य क्रीतियाँ निम्नलिखीत हैं : कहानी सग्रह: भीतर का वक्त , छावनी में बेघर , कब्र भी कैद औ । उपन्यस :अन्हियारे,तलछट में चमका । संपादन : सहोदर( संबंधों की श्रृंखला : कहानियां) मिश्र जी को उपलब्धियाँ भी मिली हैं जिन्मे से कुछ है:
शैलेश मटियानी स्मृति सम्मान (२००६) परिवेश सम्मान (२००६) रचनाकार सम्मान (भारतीय भाषा परिषद कोलकाता २००८) शक्ति सम्मान (२००८)
अल्प्ना मिश्र जी का हिंदी कथा साहित्य में बहुत सम्मान हैं और वह मूलत: उनकी ज़िंदा-दिली और शुद्ध लेखन के कारण हुआ है , और उनकी मजबूत दृष्टिकोण सारे पाठकों को सदैव ही बेहद ही प्रभावित छोड़ता हैं ।