सदस्य:Nivedita17/WEP 2018-19
दिब्येन्दु बारुआ
संपादित करेंदिब्येन्दु बारुआ का ज्न्म १९६६ को कोलकाता में हुआ था। वह अपने अध्ययन कोलकाता के हरे पाठशाला में की थी। उन्होने बचपन से ही शतरंज के खेल में अपने रुचि प्रदर्शित किया था। विश्वनाथन आनंद के बाद, वह भारत का दूसरा ग्रेन्डमास्टर है। सिर्फ १२ के आयु में, वह राष्ट्रीय शतरंज चैंपियनशिप का सबसे छोटा प्रतिभागी बन गया था। इसके बाद वह भारत में शतरंज प्रजनन के रुप में प्रसिद्ध हो गया।
पेशेवर उपलब्धियां
संपादित करें१९८२ में दिब्येन्दु ने सम्मानित ग्रेंडमास्टर विक्टर कोरच्नोई को लंदन में हराया और इन्टरनाषन्ल मास्टर बन गया। तब वह सिर्फ १६ साल के थे। फिर, १९८३ में दिब्येन्दू ने अपना पहला राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीता था। इसके बाद उन्होने राष्ट्रीय चैंपियन का खिताब ३ बार जीता है। अपने आखरी रष्ट्रीय चैंपियनशिप जीतने के लिए, उन्होने ४ ग्रेंडमास्टरों को हराकर पूरे भारत को चौंका दिया था। इतने तेज़ी से भारतीय शतरंज के दुनिया में लोकप्रियता प्राप्त करने पर भी, अंतराष्ट्रीय मंच पर उनके विकास के गति धीमी थी। अपने विदेशी प्रतियोगियों की तरह उनके पास अधुनिक संसाधान, किताबे, कंप्यूटर और तजरबाकार प्रशिक्षक नही थे। यही कारण उन्हे ग्रेंडमास्टर के खिताब पाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा। बहुत सालों के कठोर परिश्रम के बाद, १९९१ में दिब्येन्दु को ग्रेन्डमास्टर घोषित किया गया था। स्पैनगनबर्ग के खिलाफ उनके खेल ने भी विश्वयापी प्रसिद्धि प्राप्त कर ली।
व्यक्तिगत जीवन
संपादित करें१९८८ के एक प्रतियोगिता के दौरान दिब्येन्दु ने सहेली धार से मुलाकात की। सहेली ने प्रतियोगिता मे दिब्येन्दु को हराकर उसे हैरान किया था। इसके बाद इन दोनों ने लंडन के लोयड्स बैंक टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व किय था। धीरे-धीरे उन्के मित्रता प्यार में बदल गया और उन्होने सहेली से शादी किया।
दिब्येन्दु बारुआ शतरंज अकादमी की स्थापना
संपादित करेंएक शानदार शतरंज खिलाड़ी होने के अलावा दिब्येन्दु प्रतिभाशाली युवाओं को मदद करना और अपने विशेषज्ञता से प्रदान करना चाहता था। अपने यह इच्छा पूरी करने के लिए उन्होने सितम्बर २००६ में उन्होने दिब्येन्दू बारुआ शतरंज अकादमी की शुरुआत कोलकाता में की। प्रारंभ में यहाँ सिर्फ २२ छात्र थे पर अब २०० छात्रों से ज़्यादा बढ़ गए है। सहेली धार बारुआ, बिपिन शेनोय, निलादरी बिस्वास, परितोश भाट्टचार्या और तामल चाक्रबोर्ती जैसे अनेक विख्यात शतरंज खिलाड़ी अकादमी के छात्रों को प्रशिक्षण देते है। नीरज कुमार मिशरा, सप्तरिशी रोय चौदरी और अभीजीत कुन्टे जैसे अंतर्राष्ट्रीञय शतरंज खिलाड़ी भी अकादमी के प्रशिक्षणार्थियों को अपने मुल्यावान सुझाव देते है ताकि अंतर्राष्ट्रीय मंचों में अच्छी तरह से खेल पाए। अब दिब्येन्दु बारुआ शतरंज अकादमी भारत के सबसे श्रेष्ठ अकादमियों में से एक है।
पुरस्कार
संपादित करेंशतरंज के खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शण करने और भारत के प्रति अपने ज़िम्मेदारी निभाने के लिए १९८३ में दिब्येन्दु को भारत सरकार द्वारा प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। १० अगस्त २०१७ को भारत सरकार ने दिब्येन्दु के उपलब्धियों के जश्न् मनाते हुए एक डाक टिकट भी जारी की थी। वर्तमान में विश्व शतरंज संघ ने दिब्येन्दु को २४४३ श्रेणी पर रखा है।
सन्दर्भ
संपादित करेंhttps://www.mapsofindia.com/who-is-who/sports/dibyendu-barua.html
https://chessbase.in/news/dibyendu-barua-postal-stamp
http://www.telegraphindia.com/1070815/asp/jharkhand/story_8195963.asp