सदस्य:Priya.Singh/WEP 2018-19
प्रशांति सिंह | |
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जन्म | ५ मई १९८४ वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
पेशा | बास्केटबॉल खिलाड़ी, अंतरराष्ट्रीय २००२- वर्तमान |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
खिताब | अर्जुन पुरस्कार |
प्रशांति सिहं भारतीय राष्ट्रिय महिला बास्केटबॉल टीम की खिलाड़ी है जो शूटिंग गार्ड के पद पर खेलती है। प्रशांति सिंह को उनके बास्केटबॉल करियर में उत्तकृष्ट उपलब्धि प्राप्त करने के कारण भारत सरकार के युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय ने २०१७ में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया। उत्तर प्रदेश की सरकार ने सिंह को खेल के क्षेत्र में रानी लक्ष्मी बाई वीरता पुरस्कार २०१६-१७ से सम्मानित किया है।
प्रारंभिक जीवन
संपादित करेंप्रशांति सिंह का ज्न्म ५ मई १९८४, वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था और उनको अपने उपनाम 'बोस्की' के नाम से भी जाना जाता है। वह सोलंकी अग्निवंशी राजपूत है। बचपन में सिहं को बास्केटबॉल में दिलचस्पी नहीं थी और उन्होंने सोचा था की वह अभियंता बनेगी। उनके पिता ने आईआईटी खड़गपुर से पढ़ाइ की है और उनका विश्वास था कि बास्केटबॉल खेल में करियर नही बनाया जा सकता था लेकिन प्रशांति की माँ के समझाने पर उनहोंने अपनी बेटियों को बास्केटबॉल खेलने दिया। प्रशांति ने कहा है कि उनके पिता की चिंता उचित थी क्योंकि भारत में क्रिकेट को सारे खेलों में से सबसे अधिक बढ़ावा दिया जाता है और अन्य खेलों को उतना बढ़ावा नही मिलता। उनहोंने अपनी पढ़ाई दिल्ली युनिवर्सिटी से पूरी कि है और उनके पास कला स्नातक की डिग्री है।
परिवार
संपादित करेंप्रशांति सिंह की चार बहनें है। उनकी तीन बहनें दिव्या सिंह, अकांशा सिंह और प्रतिमा सिंह ने राष्ट्रिय महिला बास्केटबॉल के लिये खेला है। उनकी बहन प्रियंका सिंह राष्ट्रिय खेल संस्थान में बास्केटबॉल कोच है। उनके पिता का नाम गौरी शंकर सिंह और माँ का नाम उर्मिला सिंह है।
बास्केटबॉल करियर
संपादित करेंप्रशांति ने अपना पहला महत्वपूर्ण मैच वाराणसी के अंडर १४ टीम में खेला था। अपने बास्केटबॉल के करियर को आगे बढ़ाने के लिये वह वाराणसी से दिल्ली चली गयी जहां वह एमटीएनएल की टीम में शामिल हुई। उन्की चार बहनों में से तीन बहनें दिव्या सिहं, अकांशां सिहं और प्रतिमा सिंह ने भी भारतीय राष्ट्रिय महिला बास्केटबॉल टीम के लिये खेला है और उनकी एक बहन प्रियंका सिहं, राष्ट्रिय खेल संस्थान में बास्केटबॉल कोच है। प्रशांति ने कहा है कि उनकी बहने जब वाराणसी में बासकेटबॉल खेलने जाया करती थी तब वह भी उनके साथ जाती थी और इसी प्रकार उनहोंने यह खेल खेलना शुरु किया। प्रशांति २००२ में भारतीय राष्ट्रिय बास्केटबॉल टीम में शामिल हुई और शामिल होने के कुछ समय बाद ही टिम की कप्तान भी बना दी गयी।
पुरस्कार और उपलब्धियां
संपादित करें२००९ में वियतनाम में आयोजित (३० अक्टूबर से लेकर ८ नवंबर) तीसरे एशियाई इनडोर खेल में भारतीय राष्ट्रिय महिला बास्केटबॉल टीम ने प्रशांति सिहं की कप्तानी में रजत पदक जीता। २०११ में श्रीलंका में आयोजित दक्षिण एशियाई बीच खेल में प्रशांति सिहं ने स्वर्ण पदक जीता। प्रशांति सिहं उन चंद महिला बासकेटबॉल खिलाड़ियों में से एक है जिनको अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गाया है। यह पुरस्कार प्राप्त करके वह भारत के ५६ सालों में दिये गये पुरस्कार में बीसविं बास्केटबॉल खिलाड़ी बनी जिनको यह पुरस्कार दिया गया है। उनके अलावा सिर्फ दो और महिला बास्केटबॉल खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कार दिया गया है। सन् १९८३ में सुमन शर्मा भारत की पहली बास्केटबॉल खिलाड़ी बनी जिनको अर्जुन पुरस्कार मिला। सिहं भारत की सबसे पुरस्कृत महिला बास्केटबॉल खिलाड़ी है। उन्होंने राष्ट्रिय चैंपियनशिप, नैशनल गेम्स और फेडरेशन कप मे कुल २३ पदक जीते है। राष्ट्रिय चैंपियनशिप में प्रशांति सिहं ने सबसे अधिक पदक जीते है। वह पहली भारतीय महिला बास्केटबॉल खिलड़ी है जिन्होंने भारत की राष्ट्रिय टीम का प्रतिनिधित्व २००६ के राष्ट्रमण्डल खेल एवं २०१० और २०१४ के एशियाई खेल में किया है। २०१६ के दक्षिण एशियाई खेलों में प्रशांति की कप्तानी में टीम ने सारे मैच जीते। प्रशांति को अकटूबर २०१२ में महिंद्रा एनबीए छुनौती में सबसे मूल्यवान खिलाड़ी, २०१३ में लखनऊ में लोकमत सम्मान एंव दिसंबर २०१५-१६ में पूर्वांचल रत्न जैसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। प्रशांति भारतीय बास्केटबॉल संघ की चुनी हुई ग्रेड ए खिलाड़ी है और वें सिंह के प्रायोजक भी है। प्रशांति सिंह भारत की पहली महिला बास्केटबॉल खिलाड़ी है जिनको एल पत्रिका नें अपने मुख्य पृष्ट में विशेष रुप से प्रदर्शित किया है। प्रशांति सिहं भारत की एकलौती बास्केटबॉल खिलाड़ी है जिनके उपर एक वृत्तचित्र बनाया गया है जिसका शीर्षक बी क्यूब बोस्की बास्केटबॉल बनारस है और जो सत्यजित राय चलचित्र त्यौहार में सर्वोच्च ६ चलचित्रों में से चुनी गई।