दुनिया ने मुझे बदला है

बदले के भावना से बदला है

अदल-बदल कर बदला है

बदला लेने के लिए!

मैं तो मोहरा हूँ

चक्र की कुंजीमात्र हूँ

कुछ करता हूँ

तो औरों को बदलता हूँ

अनजान मैं

जानबूझकर सब करता हूँ

अनदेखी मे बदलाव कर जाता हूँ

मोहरा मैं

दुनिया के अनसुनी पहुलूओ का

हिस्सा बनता जाता हूँ l

खोजता हूँ

खुद ही खुद मे

मैं जागृत किससे

अंत की द्वार किससे???

किया क्या हम आय के, किया करेंगे जाय l

यहाँ के भये ना वहाँ के, व्यार्थ ही मूल पूंजी गवाय ll