सदस्य:SANDRA THOMAS KOLAMKUZHYIL/प्रयोगपृष्ठ

  • मेरी नाम- सैन्ड्र थॉमस है। मै क्राइस्ट विश्वविद्यालय(युनिवर्सिटी) से पत्रकारिता, मनोविजन और अंग्रेज़ी मे उपाधि कर रहि हुं।
  • मेरी चरित्र- मैं एक सिधे-सादे लड्की हुं। मैं मज़ाक करत है। मैं अप्नी माता-पिता , परिवार और दोस्तों को बहुत प्यर करत हुं। मैं अपनी गलतियों के लिए पीटा मिलता है,लड़कियाँ मे से सब्से शरारती। मैं घर पर गड़बड़ बना सकते हैं और अभी भी साथ भाग ले लेते हैं। लेकिन मुझे बहुत सी सपनों और आकांक्षाओं है।
  • मेरी सप्नों- सप्नो का आकार आदार्शों द्वारा होता है और इन विश्वसों का आकार परिवार करत है। किसी दिन मुझे दूसरों के जीवन बच्चाने और बदलने चाहती हुं कयों कि मेरी परिवार ने मुझे सिखाया कि परिवर्तन सकारात्मक और क्रांतिकारी हो सक्ता है। मैं अपने जीवन के साथ ही दूसरों को सुधारने के लिए सत्ता चाहते हैं। मेरी पिताजी ने कहा करते थे कि अगर हम हमरे चरित्र को खो दिय तो सब कुछ खो दिय है इसी कारण से मैं अच्छा पेशेवर की तुलना में एक अच्छा इंसान बनने की इच्छा करती हुं। मैं अपने माता पिता के हाथ में मिट्टी का था और मैं दूसरों की आँखों के माध्यम से दुनिया को देखने के लिए सक्षम हूँ तो यह सिर्फ उनकी वजह से है। मैं दुनिया को बदलने चह्ति हुं और मैं दुनिया को दूसरों को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाना चाहते हैं। आज, मैं ख्वाहिश कल मैं प्रेरित करना चाहते हैं।
  • मेरि विछर-"मैं हुं जो भी मैं हुं" और मे उसी से कुश है और यह मै बदलेंगें नहीं चहे कुछ भी हो। और इस दुनिय मे असंभव् कुछ भी नहि है। जो हम सोछ्ता है वो हम कर सकता है और वो सब सोछ सकते है जो हम आज तक भी नहि सोछ है।