सदस्य:Sahithya V 1831146/प्रयोगपृष्ठ
मै साहित्या वेन्कतसुब्रमनिअम , ०७ मय, २०००, छेन्नै मे पेदा हुई थी। मेरी माता जी, श्रीमती छिथ्रा वेन्कतसुब्रमनिअम है और मेरे पिता श्री वेन्कतसुब्रमनिअम है। मेरी माता जी तेञावूर मे और मेरे पिता जी छेन्नै मे जन्म थे। मै बछ्पन से ही सनगीत और न्रुत्य मे बहुत आकर्शित छोती थी। मैने अप्नी शिक्शा बेङलोरे मे शुरु किया। स्छूल मे वार्षिकोत्सव और अनेक प्रितियोगिताओ मे दिल्लछस[ई मे भाग लेती थी। मेरी माता जी मेरी इस रुचि को पह्चान्कार, पान्छ साल की उम्र मे भरतनथ्यम क्लस्स मे मेरी भरती कर दी। मै उस दिन बहुत खुश थी। मेरी जीवन की सब्से पहली गुरु श्री हेमा प्रशन्थ है। मेरी न्रुत्य मे प्रगति मेरी गुरु के मार्गदर्शन से शुरु हुई। उस छोती सी उम्र से ही मे न्रुथ्य सीख्ने प्रतिदिन जाती थी। मेने अपनी गुरु की मदद से कयी सारे न्रुत्य दर्शन भी किए। न्रुत्य का जुनोन बद्ता चला गया।मे जब अपनी भरतनत्यम क्लस मे एक मुख्य छात्रा बन गई, मेने अपना " रनगप्रवेश" को पूरा किया। एक नर्तकी के लिये रनगप्रवेश एक बहुत बदा पदाव है। उसे पेशेवरी के रूप मे रग परिछय भी कहा जाता है। मैने अपने माता-पिता और गुरु के आशीर्वाद से इस पदाव को बदी सफलता से पार किया। इस रनगप्रवेश से मुझे एक पेशेवरी नर्तकी की पहचान मिली। इससे मुझे कई सारे एकल न्रुत्य का अवसर मिली। मैने एसे न्रुत्य बेनगलुर , छेन्नै और कई सारे जगहो पर प्रदर्शित किया है, मैने अब तक करीब १५० समूह न्रुत्य और २५ एकल न्रुत्य प्रदर्शन किया है।
मेझे अपनी न्रुत्य के मिये कई सारे पुरस्कार भी मिले है। मुझे स्कूल मे " बेस्त दन्सेर " का पुरस्कार , हासन्न मे आचरित कार्यक्रम मे " स्तार बेस्त दन्सेर अवार्द्द" पुरस्कार मिला जो नशिनल क्लस्सिकल दन्स अकधमी से आयोजित किया गया था। धी धी छन्दना कन्नध तीवी छन्नल के लिये " युव दर्शन" नामक कार्यक्रम के लिए एकल न्रुत्य भी प्रदर्शित किया।
न्रुत्य के अलावा सनगीत मे भी बहुत रुचि रखती हू। मै पिछले दस साल से कर्नातिक सनगीत विद्वान श्रीमती रुपा कुमार से सीख रही हू। मैने " नथ्थुवानगम " विद्वान प्रस्न्ना कुमार से और " कोन्नकोल" विद्वन श्री रविशन्कर शर्मा से सीख रही हू।
मैने कर्नातक मे न्रुत्य मे सीनिअर लेवेल का प्रमानन और कर्नतक सनगीत मे जुनिअर लेवेल प्रमानन पाया है। पिछले नौ सालो से देवरनामा और फोक म्युसिक श्री नरहरी दीक्शीत से सीख रही हू। नाथ्यसुक्रुथा के द्वारा आछरित " मैक अप" वर्क्शप मे भी भाग मिया है।
सनगीत और न्रुत्य सीखने की कोई सीमा नही है। सनगीत और न्रुत्य ने मुझे बहुत सारे पुरस्कार ही नही, बल्कि बहुत सारा आदर, प्यार, दिया है। मै बदी होकर भारतीय सनगीत और न्रुत्य की सम्स्क्रुति को आगे बदाना चाहती हू।