सदस्य:Samantray renuka/प्रयोगपृष्ठ/no frills account
नो-फ्रिल सेविंग अकाउंट
संपादित करेंपरिचय
संपादित करेंनो-फ्रिल अकाउंट को हिन्दी मे सीमित सुविधा खाता कहा जाता है। नो-फ्रिल अकाउंट एक एेसा सेविंग अकाउंट है,जो बेहद बुनियादी बैंकिंग सुविधा मुहैया कराता है। नो-फ्रिल खाता एक ऐसा बैंक खाता है जिसे शून्य शेष के साथ खोला और रखा जा सकता है। नो-फ्रिल खाता को हम ज़ीरो बैलंस अकाउंट के नाम से जानते है। इस तरह के खाते के लिएे कोइ भी न्यूनतम बैलेंस खाते मे रखना अनिवार्य नहीं होता है आप चाहे तो बैलेंस ज़ीरो भी कर सकते है। इस तरह के खाते का एक नकारात्मक पक्ष यह है कि दी जाने वाली अधिकांश सुविधाएँ सीमित है। एक बार अगर सीमा समाप्त हो जाए तो बैंक इन सेवाओं के लिए पैसे चार्ज करती है। हर बैंक इस तरह के खाते के लिए कुछ शर्ते लागू करता है, जिसमें आपकी ब्रांच से नकद निकाली और जमा राशी पर लागू होती है। [1]
नो-फ्रिल खाते का उद्देश्य
संपादित करेंनो-फ्रिल खाते मे कई बैंक न्यूनतम बैलेंस की ज़रुरत नहीं रखते जबकि कुछ बैंको मे ५०० रुपए का न्यूनतम बैलेंस ज़रुरी है। लेकिन असंगठित क्षेत्र मे काम कर रहे भारतीय आबादी के एक बड़े हिस्से के साथ और दैनिक मज़दूरी या कम वेतन अर्जित करते है इस न्युनतम जमा को रखना मुशकिल है। अब तक एेसे लोग बैंक खाते के बिना चल रहे थे,अपने पैसे घर मे नकद रखना पसंद करते थे। स्थिति का समाधान करने के लिए सबसे बुनियादी बैंकिंग सेवाओं को प्रदान करने के लिए बैंको को नो-फ्रिल खाता का निर्देश जारी किया गया। नो-फ्रिल अकाउंट मे आपको कुछ बैंक इंटरनेट बैंकिंग सुविधा भी देते है ताकि आप आसानी से अपने लेन-देन को कर सकते है और बिना बैंक जाए अपने बैंलेंस को चेक कर सकते है और पैसे भी टारन्सफर कर सकते है। इस खाते मे आप ५०,००० से अधिक राशि को नही रख सकते। इस तरह के खाते से भी आप तमाम तरह के बिल भुगतान और रिचार्ज आदि कर सकते है,बात बस केवल जमा धन की है क्योंकि नियम के अनुसार आप इसमे निर्धारित राशि से अधिक धन ज़मा नही कर सकते है और एक महीने मे आपके द्वारा किये जाने वाले लेन-देन की संख्या पर भी बाध्यता होती है।
विशेषताएँ
संपादित करेंयह खाता कम वेतन वाले व्यक्तियों के लिए फायदेमंद है,जिन्हें एक महीने में दो-तीन बार पैसे जमा करना पड़ता है और कभी-कभी पैसे निकालना पड़ता है। इस तरह के खातों में प्रकृति और लेन-देन की संख्या सीमित होती है यानि लेन-देन की संख्या में एक सीमा है। कुछ बैंको ने बीस पेज से ऊपर चेक बुक जैसे अन्य शुल्क लगाए हैं,सीमित लेन-देन से अधिक नकद निकासी,क्लियरिंग शुल्क इत्यादि। वैसे एच-डी-एफ-सी और दुसरे प्राइवेट सेक्टर बैंक में भी आप नो-फ्रिल अकाउंट को खुलवा सकते है क्योंकि आर-बी-आई के निर्देश के अनुसार सभी बैंक्स के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि अगर कोई ग्राहक खाता खुलवाने का इच्छुक है और वो न्यूनतम बैलेंस को खाते में रख पाने में सक्षम नहीं तो बैंक को उसका नो-फ्रिल खाता खोलना ही पड़ेगा लेकिन चूँकि स्टेट बैंक यही सुविधा आपके सामान्य बचत खाते पर भी देता है तो क्यूँ ना लोग उसी तरह के खाते के लिए जाएँ। आप एक छोटी जमा राशी से स्टेट बैंक में सेविंग अकाउंट खुलवा सकते है और एक बार खाता खुल जाने के बाद आप चाहे तो उसमे से पुरा बैलेंस निकाल सकते है। इस पर बैंक आपसे कोई पेन्लटी नही लेती।[2]
अधिसूचना
संपादित करें२००५ में केंद्रिय बैंक यानि रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया ने मूलभूत बैंकिंग सुविधाओं को प्रदान करने और वितीया समावेशन को बढ़ावा देने के लिए नो-फ्रिल खातों को पेश किया था। खाते मे उपलब्ध सेवाओं में बैंक शाखा और एटिएम में जमा और नकद वापसी शामिल होगी इलेकटॅरोनिक भुगतान चैनलों के माध्यम से पैसे के रसीद/क्रडिट/केनद्रीय राज्य सरकार की एेजंसियो और विभागों द्वारा जमा किए गए चेक की सेवाएे भी उपल्बध होगी। नो फ्रिल अकाउंट वित्तीय समावेशन का बेहतरीन उपकरण है। इसमें प्रीमियम सेविंग अकाउंट की सुविधा हासिल नहीं होती है। कुछ बैंक स्टमेंट के लिए शुल्क वसूलते हैं,तो कुछ नहीं। समावेशी बैंकिंग के लिए देश में ज्यादा से ज्यादा नो-फ्रिल खाते खोले जाने चाहिए।[3]
नियम ओर अधिनियम
संपादित करेंनो-फ्रिल अकाउंट खोलने के लिए आपको एडेरस प्रुफ या पहचान प्रमाण की आवशयकता नहीं है। बस आपको किसी एेसे व्यकित से परिचय की आवश्यकता होती है जो बैंक के साथ एक नियमित खाता धारक है। नो-फ्रिल खाता धारकों को सिर्फ बैंक में प्रवेश करने के लिए रुकने की ज़रुरत नहीं है। आपको बैंक मे किसी भी अन्य ग्राहक की तरह व्यवहार किया जाता है। कोई आश्च्र्य नही कि बैंक नो-फ्रिल खाता धारकों को सम्मान के साथ इलाज कर रहे है। आखिरकार,बड़ी संंख्या में छोटे खातों पर लाभ बनाने का अच्छा दायरा है। वास्तव में, यह बैंको और ग्राहकों दोनों के लिए एक जीत-जीत प्रस्ताव प्रतीत होता है। नो-फ्रिल खातों का उद्शय बैंकिंग प्रणाली के अंदर पिरमिड के नीचे लोगों को लाने के लिए है। एक अनुमान के मुताबिक, हमारी आबादी का ४१% बिना बैंक के है।