मेरी आत्मकथा
मेरा नाम समयुक्ता आई एस है। मेरे दादाजी-दादीजी व मेरे माता-पिता ने मेरा नाम इन्गुलिका श्रीनिवास सेषा कामेश्वरी सुभद्रा समयुक्ता रखा था, इसमें इन्गुलिका मेरा उपनाम है। समयुक्ता दुर्गा देवी का एक नाम है, समयुक्ता का मतलब 'समयानुसार आगे चलने वाली' है। घर में सभी प्यार से 'समयु' कहकर पुकारते है। मेरे परिवार में मैं सभी की बहुत लाडली बेटी हूँ। मेरा जन्म १४ मई को मध्य प्रदेश के उज्जैन नामक शहर में हुआ था। उज्जैन एक प्रसिद्ध धार्मिक नगरी है।
मेरी प्रारंभिक शिक्षा चेन्नई(तमिलनाडू)में हुई बाद में पिताजी का स्थानांतरण बंगलुरु होने की वजह से मेरी माध्यमिक शिक्षा बंगलुरु में हुई। में ने कक्षा बारहवीं क्राइस्ट जूनियर कॉलेज में की। कॉलेज का वातावरण व पढ़ाने का ढंग मुझे बहुत पसंद आया व मैंने अपनी स्नातक की शिक्षा इसी कॉलेज में करने की ठान ली। व जब मुझे इस कॉलेज में दाखिला मिला तो मेरी ख़ुशी की कोंई सीमा ही नहीं थी।
मेरा स्वभाव बहुत मिलनसार है। में हमेशा सभी की मदद करने को तत्पर रहती हूँ। मेरा सभी पड़ोसियों और रिश्तेदारों के साथ मधुर सम्बन्ध है। में चुलबुली, नटखट हूँ पर कभी-कभी शांत रहना अच्छा लगता है। मुझे रसोई के कामो में माँ का हाथ बटाना अच्छा लगता है। मैं स्वभाव से धार्मिक हूँ।
मेरा परिवार एक छोटा, सुखी परिवार है। मेरे परिवार में मेरे दादाजी, माता-पिता व एक छोटा भाई है। हमारी जड़े आंध्र प्रदेश के विशाखापट्नम शहर में है। हम तेलुगु ब्राह्मण है। मेरे दादाजी का नाम श्री आई वी जगन्नाथ राव है। वे मुझसे बहुत प्यार करते है। मेरी स्वर्गवासी दादीजी का नाम आई चम्पावती था। हम दोनों में बहुत ही स्नेह था, वे मेरी सभी इच्छाओं को पूर्ण करती थी। आज भी उनकी कमी मैं हमेशा महसूस करती हूँ। मेरे पिताजी का नाम आई आर श्रीनिवास है, वे मानव संसाधन विकास के लिए कम करते है। वे मेरे मार्गदर्शक है। मेरी माँ का नाम आई शारदा है, वे हमारे परिवार में सभी की तन-मन से सेवा करती है। सभी की जरूरतों का पूरा ध्यान रखती है। मेरा छोटा भाई आई एस ससिवदन कक्षा सातवीं में पढ़ता है। मैं उसे प्यार से 'बुज्जी, ससी' कहकर बुलाती हूँ। हम दोनों हमेशा आपस में लड़ते-झगड़ते है पर हम दोनों के बीच में बहुत प्रेम है।
मेरी रुचि बागवानी, व संगीत में है। मुझे जब भी समय मिलता है तो में पेड़-पोधो के साथ या संगीत सुनने में अपना समय व्यतीत करती हूँ। मुझे साइकिलिंग करना बेहद पसंद है। हमारा परिवार शाकाहारी है। मुझे खाने में नार्थ इंडियन खाना पसंद है। मुझे आलू परांठा, छोले-चावल, पालक पकोड़े, मकई के व्यंजन आदि खाना पसंद है। मीठे में मुझे गुलाब-जामुन, काजू-कतली, गाजर का हलवा बहुत पसंद है वो भी मेरी माँ के हाथों बना हुआ। ये मेरी एक छोटी सी आत्मकथा है। में ईश्वर से प्राथना करती हूँ कि मुझे सभी का प्यार इसी तरह मिलता रहे, व मैं जीवन में हमेशा आगे बढती रहूँ।