Shamantha K
मेरी तस्वीर
मेरी तस्वीर
नाम शमन्ता कालीशेकर
जन्मनाम शमन्ता कालीशेकर
लिंग स्त्री
जन्म तिथि १४ अप्रेल् १९९६
जन्म स्थान बेंगलूरू
निवास स्थान बेंगलूरू
नागरिकता भारतीय
जातियता भारतीय
शिक्षा तथा पेशा
पेशा छात्र
शिक्षा बी.कॉम ऑनर्स
महाविद्यालय क्राइस्ट जूनियर कॉलेज ,बेंगलूरू
विश्वविद्यालय क्राइस्ट यूनिवर्सिटी,बेंगलूरू
शौक, पसंद, और आस्था
शौक संगीत और पढ़ने का शौक
धर्म हिन्दू
राजनीती स्वतंत्र
चलचित्र तथा प्रस्तुति मनोरंजन के लिए (हिन्दी-ज़िन्दगी ना मिलेगी दोबारा)
रुचियाँ

शतरंज और पोलो खेलना,विभिन्न प्रकार के खाद्य का रसास्वादन करना

सम्पर्क विवरण
ईमेल shamantha@commerce.christuniversity.in

मेरा नाम शामन्ता कामीशेकर है। मैं उन्नीस साल की हूँ। मैं दस साल तक अपने माँ-बाप की इकलौती बेटी रही। अब मेरा एक छोटा भाई है पर अब भी मैं अपने माता-पिता की लाडली बेटी हूँ।

जन्म और परिवार संपादित करें

मेरा जन्म सन् १९९६ में एक हिन्दु तमिल परिवार में हुआ। मैं अपना जन्मदिन १४ अपरेल को मनाती हूँ। हमारे परिवार में कुलमिलाकर पाँच सदस्य हैं। मेरे पिता श्री उध्योगपति है। मेरी माँ गृहिणी है। मेरा भाई मुजसे दस साल छोटा है। वह अब चौथी कक्षा में पढ़ रहा है। मेरे दादा जी और दादी जी हमारे साथ रहते हैं। सन् २०१३ में, मेरे दादा जी का देहांत हो गया। मैं अपने इस छोटे से-प्यारे से परिवार के साथ बेंगलूरू में रहती हूँ। बेंगलूरू को लोग 'उध्यान नगरी' कहते है। इसे भारत के 'आई.टी' राजधानी भी मानी जाती है। मौसम यहाँ की खास खूबीयत है। बेंगलूरू सांस्कृतिक मेलजोल का बहतरीन उदाहरन है। यह कर्नाटक राज्य की राजधानी भी है। दुनिय भर के लोग बेंगलूरू को जानते है। मेरी मातृ भाषा तमिल है पर मेरा पैतृक स्थान बेंगलूरू है।

शिक्षा संपादित करें

मैंने अपनी शिक्षा दसवी कक्षा तक ' न्यू हॉराइज्न् पब्लिक स्कूल' में किया था जो बेंगलूरू के सबसे प्रसिध्द और सर्वोत्तम विध्यालयों में से एक है। दसवी कक्षा के 'ऐ.सी.य्स.सी' बोर्ड की परिक्षा में मुझे ९५% अंक प्राप्त हुआ। मैं 'क्राइस्ट जूनियर कॉलेज' में 'पी.यू.सी' किया। बारहवी कक्षा के पी.यू.सी बोर्ड की परिक्षा में ९६% के साथ मुझे सफलता मिली। अब मैं 'क्राइस्ट विश्वविद्यालय' में 'बी.कॉम ऑनरस' कर रही हूँ। 'क्राइस्ट विश्वविद्यालय' एक प्रसिध्द विश्वविद्यालय है जो भारत के सबसे अच्छे वाणिज्य विश्वविद्यालयों में से एक हैं। यह कर्नाटक राज्य के सबसे बेहतरीन वाणिज्य विश्वविद्यालय हैं। मुझे आठवी कक्षा से ही वाणिज्य के क्षेत्र में रूची रही हैं। इसलिए मैंने पूर्व विश्वविद्यालय में वाणिज्य लेने के साथ-साथ 'येशस अकादमी' से 'सी.ए' कोचिंग भी लिया। 'सी.ए' में योग्यता पाने के लिए तीन परिक्षाओं में सफलता मिलनी चाहिए और मैंने 'सी.ए' से संबंधित दो परिक्षाएँ- 'सी.पी.टी' और 'ऐ.पी.सी.सी' में सफलता पाई हैं। मेरा लक्ष्य यह है कि छः साल बाद मेरे पास डॉक्टरेट की उपाधि हो।

शौक और पसंद संपादित करें

जब मैं छोटी थी तब मेरे माता-पिता दोनों भी काम करते थे। इसलिए बचपन में, मैंने अपना ज्यादातर समय अपने दादी जी और नानी जी के साथ बिताया था। इस कारण, मैंने स्कूल में अंग्रेज़ीऔर हिन्दी सीखने के साथ-साथ तमिल और तेलुगु भी अच्छी तरह सीख पाई। अब मैं उन्नीस वर्ष की हो चुकी हूँ, और मैं पाँच भाषा-अंग्रेज़ी, हिन्दी,तमिल, तेलुगु, कन्नड़ अच्छी तरह से बोलना, लिखना और पढ़ना जानती हूँ। अब मैं स्पेनिश भाषा भी सीख रही हूँ। मुझे अंग्रेज़ी उपन्यासों को पढ़ने का और अंग्रेज़ी, हिन्दी, तमिल गाने सुनने का शौक हैं। मुझे शतरंज और पोलो खेलना पसंद है। मुझे तैरने का और विभिन्न प्रकार के खाध्य का रसास्वादन करने का शौक है।

जीवन सिध्दांत संपादित करें

इस उन्नीस सालों के जीवन अनुभवों ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है। हर एक अनुभव ने- चाहे वह अच्छा हो या बुरा, मुझे एक बेहतर इंसान बनने में मद्द किया है। जब मेरे दादा जी की मृत्यु हुई तब मैंने यह सीखा कि, इस दुनिया में सब कुछ क्षणिक और नश्वर होता है। मनुष्य हो या कोई वस्तु , सब लघुजीवन लेकर आते हैं। उस समय मैंने यह भी सीखा कि मनुष्य समय के अंत तक नहीं रह सकता, पर उनके अपनापन और उनसे जुड़ी यादें कुसमय के समान होता हैं। मेरी माँ मुझे हमेशा सिखाती आई है कि 'रिश्तों को तोड़ना नहीं चाहिए', क्योंकि हर एक रिश्ता पवित्र होता है- चाहे वह दोस्ती का रिश्ता हो या पारिवारिक रिश्ता। इसलिए मैं अपने मित्रों को अपना 'विस्तृत परिवार' मानती हूँ। बड़े होते हुए मैं इस सिध्दांत को हमेशा अपनाने का कोशिश किया है। मैं निम्नलिखित सिध्दांत में दृढ विश्वास रखती हूँ -'जीवन को सिर्फ एक बार ही जिया जा सकता है'। इस कारण हमें हर एक दिन क़ड़ी मेहनत करके जीवन को सार्थक बनाना चाहिए और जो भी कार्य करते हैं उसे प्रतिबध्दता के साथ करना चाहिए। अधिक्तर लोग अमीर और प्रसिद्ध होना अपना जीवन का लक्ष्य मान्ते हैं, पर मेरा जीवन लक्ष्य है कि हमेशा खुश रहें। इसका मतलब यह नहीं है कि मैं धन कमाना नहीं चाहती पर यह है कि सिर्फ धन ही सबकुछ नहीं है इस संसार में । हम धन से सभी चीज़ें खरीद नहीं सकते, यह मेरी विचार है। धन से बड़कर और भी चीज़ें हैं जो जीवन को सुखमय बनाता है और मैं उन चीज़ों को कमाना चाहती हूँ जो धन से भी पवित्र है।