सदस्य:Shravya.nair/WEP 2018-19
पी टी उषा
संपादित करेंपृष्ठभूमिका
संपादित करेंपी टी उषा एक सेवानिवृत्त भारतीय एथलीट है। उनका जन्म २७ जून, १९६४ में हुआ था। उनका जनम एक मुहताज परिवार में हुआ था।
बचपन
संपादित करेंपरिवार कि आर्थिक स्थिती और स्वास्थ्य खराब होने के कारण उषा का बचपन् सुविधापूर्ण नहीं था। बचपन से ही उषा को एथलेटिक्स और खेल में काफी दिलचस्पी थी। उनमें हमेशा से एक अविश्वसनीय जुनून था। केरल सर्कार ने उन्हें २५० रुपये की छात्रावृत्ति दी जब उन्हें मान्यता कि सबसे अधिक आवश्यकता थी। इन पैसों से उनहोंने अपने जिला के प्रतिनिधित्व महिलाओं के लिये विशेषित रूप से खुले गये स्पोर्ट्स स्कूल में किया। नेशनल स्कूल के खेल पुरस्कार समारोह के दौरान एथलेटिक्स कोच ओ एम नंबियार ने उषा कि प्रतिभा देखी, और वह उषा के दुबले शरीर और तेज़ चलने के शैली से प्रभावित हुए।
करियर और उपलब्धियाँ
संपादित करेंहलांकि १९८० के मास्को ओलंपिक में भारत कि गोल्डन गर्ल ने अपना अंतरराष्ट्रिय करियर शुरु किया, परंतु वह केवल २ साल बाद महिमा में आई जब १९८२ में नई दिल्ली में एशियाई खेलों का आयोजन किया गया। उन्होंने १०० मीटर और २०० मीटर में रजत पदक जीतकर देश को गर्व बनाया। पी टी उषा को "इन्डियन ट्रैक एन्ड फील्ड की रानी" के नाम से जानने लगे। उन्होंने उस साल जकार्ता में आयोजित किये गये एशियाई मीट में पाँच स्वर्ण पदक जीते। अपने करियर के सबसे सर्वोच्च पहर था जब वह लॉस एंजिल्स में ४०० मीटर हर्डल में चौथे स्थान पर रहीं। पदक जीतने के सबसे निकटतम पहुँचने वली भारतीय महिला एथ्लीट है। वह केवल एक सेकंड के १/१००वें से चौथे स्थान पर पहुँची। पी टी उषा ने एशियाई खेलों और एशियाई चैंपियनशिप में १३ स्वर्ण पदक सहित १०१ राष्ट्रिय और अंतरराष्ट्रिय जीतें हैं।
पुरस्कार
संपादित करेंपी टी उषा को १९८४ में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। और उसी साल उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। १९८५ में जकार्ता एशियाई एथ्लेटिक मीट् में सर्वश्रेष्ठ एथलीट का पुरस्कार उषा ने पाया। १९८६ में सोल एशियाई खेल में सर्वश्रेष्ठ एथ्लीट के पुरस्कार से सम्मनित की ग ग्ई थी। उन्होंने १९८५ और १९८६ में सर्वश्रेष्ठ एथ्लीट के लिये वर्ल्ड ट्रॉफी जीती है।
व्यक्तिगत जीवन
संपादित करेंउषा का विवाह वी श्रीनिवासन से हुआ, जो केन्द्रिय औद्योगिक सुरक्षा बल में इंस्पेक्टर के पद पर है। वर्तमान में पी टी उषा दक्षिणी रेलवे में एक अधिकारी के रूप में काम करती है। वह केरल के कोझिकोड के पास कोयिलांदी में सफलतापूर्वक एथ्लेटिक्स के लिये स्कूल चला रही है।