ShreyaGhosh1537
जन्मनाम श्रेया घोष
जन्म तिथि ०५ मई २०००
जन्म स्थान कलकत्ता
देश  भारत

मेरा बचपन

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मेरा नाम श्रेया घोष है और मै कलकत्ता से हूँ । मेरा जन्म ५ मई २००० मे हुआ था और मै अब १८ साल की हूँ । मेरा जन्म स्थान कलक्त्ता ज़रूर है परन्तु मै ह्य्द्रबद मै बरी हुई हूँ । मैं हैदराबाद में पहली कक्षा तक थी और फिर मेरे माता पिता के साथ कोलकता आ गयी। हुम सब फिर्से हय्द्रबद वपस २०१० को लौटे थे और वही पर रेहने की योजना थी परन्तु कुछ झमेला के कारण हमें वापस आना परा। मैं एक मध्यवर्गीय परिवार से हूँ और जब मैं छोटी थी तो मेरे परिवार को बहुत संघर्ष करना पड़ा। इस्लिये मेरे बचपन मे मुझे अन्य अन्य जगहो पर रेहान परा और अनेक विध्यलय मे भी जाना परा। बचपन मे मैने बहुत कुछ सीखा था, नृत्य, चित्रकला, कविता प्रदर्शन और पियानो जो मै आज तक सीख रही हूँ । मैने बच्पन मै बहुत सारे नाटक समारोह मै भाग लिया है । स्कूल मे हुआ हर नाटक मे मैने भाग लिया था । कई बार मै नाटक प्रतियोगिता मे प्रथम आ चुकि हूँ । मुझे कितबे पढ़ना बहुत अच्छा लगता है । मै अगाथा क्रिस्टी के बहुत सारी कितबे पढ़ती हूँ । मुझे नृत्य-्नाटक देखने का भी बहुत शौक है । बच्पन से मै बहुत सारे नृत्य कार्यक्र्मो को देख्नने जाती थी । मुझे फिल्मे देख्नने का भी बहुत शौक है । जब एक नई फिल्म रिलीज होती है तो मैं अपने दोस्तों के साथ अक्सर बाहर जाती हूँ । मेरे लिए मेरे दोस्त बहुत प्रिय है । उन्होने हमेशा मेरा साथ दिया । जब मुझे किसी चीज़ कि ज़रूरत होती है, वो सब बिना पूछे मदद करने आ जाते है ।

मेरे परिवार के बारे मे

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मैं एक मध्यम वर्ग पृष्ठभूमि के माता-पिता के पास पैदा हुई थी। मेरे पिता, सुहृद घोष, एक इंजीनियर हैं और मेरी माँ, श्रावणी घोष, एक अध्यापिका हैं। मेरे माता-पिता, बहुत मुश्किलो के बावजूद भी हमेशा मुझे सब चीज़ में समर्थन दिया और जो कुछ भी मैं चाहती थी उसे करने दिया । वे हमेशा मेरी मदद करते थे। उन्होने मुझे कभी भी अध्ययन में अच्छा होने के लिए मजबूर नहीं किया है और हमेशा मेरी बहिर्वाहिक गतिविधियों पर ध्यान दिया है । मैं अपने माता-पिता की एकमात्र स्न्तान हूँ और इसी वजह से हम लोग एक दूसरे से बहुत करीब है ।

मैंने अपने बालवाड़ी का अध्ययन कोलाकाता में किया था, बाल-लीलय नमक एक स्कूल में। मैं बीच में बंगालुरु आ गयी थी और एबीसी नामक जगह में अपने किंडरगार्टन की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद २००४ में मैं ह्य्द्रबद में आ गायी और पहली कक्षा तक की पढ़ाई भारतीय विद्या भवन में की। २००६ मे मै अपने माता-पिता के साथ वापस कल्कत्ता मे आ गयी और जी· डी· बिरला नामक विद्यालय मे २००९ तक पढ़ाई की। २०१० मे मै वापस ह्य्द्रबद मे आ गयी और वाहा पर ओकरीज अंतरराष्ट्रीय स्कूल मै पढ़ी थी। उसके बाद मै २०११ मे कलकत्ता मे वापस आ गयी और अपनी बराह कक्षा तक की पढ़ाई वापस जी· डी· बिरला से पुरा किया। अभी मै बैंगलोर के क्राइस्ट यूनीवरसीटि मै पढ़ रही हूँ ।

पीयानो की शिक्षा

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मै पियानो ४ साल की उमर से बजा रही हूँ और उसी को लेकर आपनी आगे की पढ़ाई पुरी करना चाहती हूँ । ४ साल की उमर मे एक अग्रेज़ मुझे पियानो सिखाती थी। मै जब कलकत्ता आयी तो मै वी·वलसरा के शिश्य के पास पीयानो सीखती थी। जब मै २०१० को ह्य्द्रबद मे आयी थी, तब से मै ट्रिनिटी कौलेज औफ लनडन से पीयानो की परीक्षा देना शुरु किया। २०११ मे कलकत्त आने के बाद मै कलकत्ता स्कूल औफ मुज़िक से ये परीक्षा देना जारी रखा। अभी मै क्राइस्ट यूनीवरसीटि मे पियानो ही सीख रही हूँ। मुझे पीयानो बजाना बहूत पसन्द है और समय मिल्ने पर हमेशा बजाती हूँ ।

भविश्य की योजनए

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मैं बड़ा होने पर एक पियानोवादक बनना चाहती हूं और इसके लिए मैंने फैसला किया है कि 3 साल बाद, मैं वियना जाऊंगी और संगीत का अध्ययन करूंगी। जब मैंने पढ़ाई पूरी कर ली, तो मैं एक कलाकार और संगीतकार बनना चाहती हूं और इसमें से एक करियर बनाना चाहता हूं। मैं कभी भी अध्ययन में बहुत अच्छा नहीं थी, लेकिन मैंने जो भी किया है, मैंने १०० प्रतिशत फोकस के साथ किया है जिसके कारण मै यहा तक आयी हूँ । मेरी ज़िन्दगी मे बहुत उतार चराव थे परन्तु मै उन सब का सामना करके इधर तक आयी हूँ । बच्पन से इतना सब कुछ सीख्नने के करण मुझे बहुत परिश्रम करना परा । मुझे अलग-अलग कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर दौड़ना पड़ता था जिस्के कारण मैने बच्पन के बहुत सारी चीज़ो का हिस्सा नही बन सकी । मै आशा रखती हूँ कि अभी मै बहुत सारी चीज़ो मे भाग ले सकू और मुझे बाकि सब करने का भी समय मिले ।