सदस्य:Shrinivaso Vijayate/प्रयोगपृष्ठ
पाटलाद्रि नृसिंह मंदिर
संपादित करेंपाटलाद्रि श्री लक्ष्मी नृसिंह मंदिर | |
---|---|
सिंह पेरुमाळ कोविल | |
धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्म |
देवता | पाटलाद्रि श्री लक्ष्मी नृसिंह (विष्णु) अहोबिलवल्ली (लक्ष्मी) |
त्यौहार | चैत्र ब्रह्मोत्सव पवित्रोत्सव नावोत्सव नृसिंह जयन्ती |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | सिंहपेरुमाळकोविल |
ज़िला | चिंगलपट्टु |
राज्य | तमिलनाडु |
देश | भारत |
भौगोलिक निर्देशांक | 12°45′37.2″N 80°00′17.5″E / 12.760333°N 80.004861°Eनिर्देशांक: 12°45′37.2″N 80°00′17.5″E / 12.760333°N 80.004861°E |
वास्तु विवरण | |
प्रकार | पल्लव वास्तुकला |
अवस्थिति ऊँचाई | 60.76 मी॰ (199 फीट) |
पाटलाद्रि श्री लक्ष्मी नृसिंह मंदिर या नरसिंह मंदिर (जिसे सिंह पेरुमाळ कोवि
कोइल भी कहा जाता है) दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु में चेन्नई शहर हे पासाळसिंविपेरुमल कोइल में स्थित हिश्रींदू भगवाश्री विषंह नरसिम्हा ) को समर्पित है। तक्षित शिला वास्तुकला के रूप में निर्मित, भगवान श्री विष्णु को समर्पित, जिन्हें नृसिंह के रूप में पूजा जाता है, और उनकी पत्नी श्री लक्ष्मी को अहोबिलवल्ली के रूप में पूजा जाता है, यह मंदिर 8 वीं शताब्दी के दौरान पल्लवों द्वारा बनाया गया था। पहले कांचीपुरम जिले में, अब यह चेंगलपट्टू जिले के अंतर्गत है। यह मंदिर वैष्णव परंपरा के 108 अभिमान क्षेत्रों में से एक है।
मंदिर सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे और शाम 4:30 बजे से रात 8:30 बजे तक तक खुला रहता है और दिन के विभिन्न समय में चार दैनिक अनुष्ठान होते हैं। मंदिर में विभिन्न त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें अप्रैल-मई के दौरान चैत्र ब्रह्मोत्सव, नृसिंह जयंती, ज्येष्ठा (जून-जुलाई) के दौरान पवित्र उत्सव और फरवरी-मार्च के दौरान माघ नावोत्सव (तेप्पम) सबसे प्रमुख हैं। मंदिर का रखरखाव और प्रबंधन तमिलनाडु सरकार के हिंदू धार्मिक और बंदोबस्ती पटल द्वारा किया जाता है।
वज्र स्तम्भज नृसिंह॥