सदस्य:Sidhi Jain/प्रयोगपृष्ठ

मेरा नाम सिद्धी जैन है। मेरी उम्र अठारह वर्ष है। मैं बेंगलूरू, कर्नाटक की रेहने वाली हूँ। मैं क्राइस्ट विश्वविद्यालय, बंगलौर में बीकोम( होनार्स) मैं पहले साल के पहले सेमेस्टर मैं हूँ।  मैं अपनी पृष्ठभूमि, रुचियों, उपलब्धियों और अपने लक्ष्यों से अपका परिचय कराना चहती हूँ। 

पृष्ठभूमि

संपादित करें

मेरा जन्म भारत की राजधानी नई दिल्ली के पीतमपुरा नामक नगर में सत्रह अगस्त १९९९ में हुआ। मेरे पूर्वज हमेशा से दिल्ली में रहे हैं। जब मैं दो महीने की थी, तब मेरा परिवार ने अवस्था बदलदी और हम बेंगलूरु आगए। मैंने मेरा पूर्ण बचपन बनशन्करी नमक इलाके में बिताया। बाद में राजाराजेश्वरीनगर में रेहने लगे।

मैं एक एकल परिवार में रेहती हूँ। मेरे परिवार मैं कुल छह सदस्य हैं। मेरे पिता का नाम अरुन जैन है। वह पेशे से व्यापारी हैं। मेरी मां का नाम नीलम जैन है और वह एक गृहिणी है। मेरा एक बडा भाई है जो मुझसे सात साल बडे हैं। उनका नाम उज्ज्वल जैन है और वह व्यापार में पिताजी की सहायता करते हें। मेरी एक जुडवा बहन भी है और वह मेरे साथ ही क्राइस्ट यूनिवर्सिटी में पढती है। हम सब एक साथ खुद के मकान में एक पालतु कुत्ते के साथ रेहते हें जो हमें बहुत प्यारा है। ==

मैंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बेंगलूरू के पद्मनाभनगर में स्तिथ कार्मल स्कूल से प्राप्त की। मैट्रिक तक एसएसएलसी पढी और उसके बाद हाई स्कूल की शिक्षा मैंने क्राइस्ट जुनियर कलेज से प्राप्त की। अब मैं क्राइस्ट विश्वविद्यालय में बीकोम होनर्स पढ रही हूँ। शुरू से ही मेरी रुची गणित में थी।

मुझे बचपन से ही नृत्य में खास रुछी रही है। नाचते हुए मुझे अत्यन्त आनन्द अनुभव होता है। साथ ही मुझे गाने गाना, किताबें पढने का भी शौक है। मैं सैध्दांतिक अवधारणों को व्यावहारिक प्रयोग मे परिवर्तित करने का भरपूरा प्रयास करती हूँ।

मैं अपनी बीकोम की पढाई प्रप्त कर आगे विदेश जाकर और पढना चाहती हूँ। उसके बाद मैं भारत आकर यहाँ काम करन चाहती हूँ। मैं अपने पितजी क व्यपार और अधिक बढाने की आशा करती हूँ। यह लक्ष्य केवल मेरे जीवन से जुड़ा ही नही बल्कि मेरे मात-पिता का भी सपना है।

उपलब्धियाँ

संपादित करें

मुझे बहुत गर्व और संतुश्ती महसूस होती है जब मैं पीछे मुडकर अपनी उपलब्धियाँ याद करती हूँ। सबसे बड़ी व्यक्तिगत संतुष्टि प्रदान करने वाली उपलब्धियाँ हैं- हाउस कैप्टन के रूप मे स्कूल में कार्य करना, दस्वी कक्षा मैं अपने विद्यालय में उच्च अन्क लाना, और उसके लिये पुरस्कारित होना, अपने स्कूल और कालेज को दूसरे स्कूलों में प्रतिनिधित्व करना और क्राइस्ट विश्वविद्यालय का छात्र होना। इन सब उपलब्धियों से मुझे जीवन में केवल प्रेरणा मिली है।