सदस्य:Sonajiya/प्रयोगपृष्ठ/1
मोनटेक सिंह अहुलुवालिया
परिचय
संपादित करेंमोनटेक सिंह अहुलुवालिया एक भारतिय अर्थशास्त्री अौर सिविल कर्मचारी है जो भारत के योजना आयोग के उप अध्यक्ष थे, यह पद कैबिनेट मंत्री के सम्मान है। इससे पहले वह इन्टरनाषनल मोनेटरी फन्ड के इनडिपैनडिनट इवालयुअशन के प्रथम डिरेक्टर थे। अहुलुवालिया भारत के आर्थिक सुधार प्रक्रिया के मुख्य भाग माने जाते है। उन्होने हमेशा से आर्थिक सुधार को बढ़ावा दिया है। वह चाहते थे कि खुला अर्थव्यवस्था हो जहाँ प्रायविट सेक्टर का बड़ा योगदान हो, ज़्यादा आयात सामग्री, फोरिन टैकनोलिजी का इस्तमाल अौर डिरैक्ट फोरिन इन्वैस्टमिंट हो, अधिक सरकार नियंत्रण के बिजाए।
प्रारंभिक जीवन
संपादित करेंमोनटेक सिंह अहुलुवालिया का जनम सन १९४३ नई दिल्ली में हूआ था। [1] उनका प्राथमिक शिक्षा सेंट पैट्रिक्स हाई स्कूल,सिकंदराबाद अौर दिल्ली पब्लिक स्कूल मथुरा रोड में हूआ था। उन्होनें दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली से (ऑनर्स) बीए डिग्री लिया है। वे ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में रोड्स के विद्वान थे, जहां उन्होंने मैगडालेन कॉलेज में पढ़ाई की थी, एक स्नातक के रूप में दार्शनिक राजनीति और [[1]] में एमए प्राप्त किया था। उसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में सेंट एंटनी के कॉलेज में एक एम। फिल के लिए पढ़ा। ऑक्सफ़ोर्ड में, वह प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड यूनियन के अध्यक्ष थे। उन्होंने कई मानद उपाधि प्राप्त की है जिसमें यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑक्सफोर्ड के डॉक्टर ऑफ सिविल लॉ की मानद डिग्री भी शामिल है और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रुड़की से डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी की मानद डिग्री भी प्रापत की गई है। वह मगदलेन कॉलेज के एक मानद साथी हैं।
व्यवसाय
संपादित करेंऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से आगे बढ़ने के बाद श्री अहलूवालिया १९६८ में विश्व बैंक में काम करना शूरु किया था। २८ साल की उम्र में, वह विश्व बैंक के में सबसे कम उम्र के "डिवीजन चीफ़" बन गए जहाँ विश्व बैंक विकास अनुसंधान केंद्र में आय वितरण डिवीजन के कार्यभारी थे। वह १९७९ में भारत लौट आया और वित्त मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार की भूमिका निभाई। उन्होने इसके बाद कई बड़े पद निभाए जैसे की सिविल कर्मचारी,प्रधान मंत्री के विशेष सचिव, वाणिज्य सचिव और वित्त सचिव। ११९८ मेऺ, वह 'मेमबर आफ द पलानिऺग कमिशन' के पद पर नियुक्त किए गए थे। २००१ में, वह बोर्ड आफ इऺटरनाशनल मोनेटरी फऺड के द्वारा नव निर्मित हूई इऺडिपैनडेनट इवालयुअशन आफिस के पहले डिरैक्टर चुने गए थे। जून २००४ में, उन्होंने आईएमएफ से आत्मसमर्पण कर लिया और नई दिल्ली में पलानिऺग कमिशन मेऺ उप अध्यक्ष बने और यह युनाइटिड प्रोगरैसिव अलाइऺस का हिस्सा था। [2] उन्होने १९९० मेऺ एक पेपर लिखा था जिस्मेऺ कई आर्थिक सुधार प्रसतावित किए गए थे जो प्रेस को लीक हो गया था। उन्होने व्यापार सुधार और उदारीकरण के लिए ब्लू प्रिंट बनाने मेऺ महतव भूमिका निभाया था। सन् १९९१ और १९९६ मनमोहन सिऺह के नीचे जो भी आर्थिक सुधार किए गए मोनटेक सिंह अहुलुवालिया का बड़ा हाथ था। उप अध्यक्ष होने के कारण २००४ मेऺ उनहोने 'इलएवएनत डए प्लान' जिसका नाम दिया गया था 'टुवरडस फास्टर आन्ड मोर इन्च्लुसिव गरोथ' और 'टवैल्थ डए प्लैन' जिसका नाम दिया गया था 'फास्टर आन्ड मोर इन्कलूसिव गरोथ' कि देखरेख के लिए तैयारी कि गई थी।
प्रसिद्ध कृतियां
संपादित करेंउन्होंने शैक्षणिक पत्रिकाओं में भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर कई लेख प्रकाशित किए हैं। १९७४ में ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा प्रकाशित, चेनेरी एट अल द्वारा वे " रीडिसटरबयुशन विद गरोथ" के लेखकों में से एक हैं। उन्होंने भारत के आर्थिक सुधारों के विभिन्न पहलुओं पर और भारत की विकास प्रक्रिया को शामिल करने के बारे में भी लिखा है। उनके कुछ प्र्सिद्ध पत्रिका लेख है "एनशोरिग अ प्रोसपैरस फयूचर" और "इऺडिया इकनोमिक रिफोरमस: आन अपरेसल"। भारत के राष्ट्रपति ने उन्हें पद्म विभूषण से सूसजित किया, यह पुरसकार भारत मेऺ नागरिकोऺ के लिए बहूत मान्यता रखता है।