सदस्य:Swamiharshanand/प्रयोगपृष्ठ

योग दर्शन परमार्थिक ट्रस्ट - अपराधो की सजा भुगत चुके व्यक्तियों को समाज की मुख्य धारा मे लाने के लिए एक सर्व सुविधा युक्त "क्राइम विलेज"" मुंबई मे स्थापित कर रहा है, जिसमे उन्हें अपनी नेसर्गिक क्षमता के अनुरूप कार्य करने का अवसर दिया जायेगा ,इस पवित्र कार्य के लिए बेशकीमती ४११ एकड़ भूमि श्री महंत काशीनाथ जी ने दान की है ,इस भूमि पर समाज के उस वर्ग से एक नया इतिहास रचाया जाना है, जिसे समाज ने हमेशा के लिए अपराधी मानकर अस्वीकार कर दिया । भारत का इतिहास गवाह है कई डाकू ,लुटेरे जिन्हें समाज हिकारत की नज़र से देखता था उन्होंने धर्म का पथ चुनकर अपनी सारी शक्ति व क्षमता को समाज के निर्माण मे लगा दिया तब वह समाज के हीरो बन गए ।

प्रसंगवश ट्रस्ट द्वारा देश की कई जेलों में" अपराध से अध्यात्म की और  " शिविर लगाते हुए महसूस किया गया की भारत की जेलों मे अनगिनत लोग बेक़सूर होकर भी सजा भुगत रहे है, जिन्हें एक अवसर की तलाश है वह उच्च कोटि के मानव स्वरुप को समाज के समक्ष प्रदर्शित  कर अपना बचा जीवन समाज को देना चाहते है -ऐसे अनगिनत धर्म योद्धाओ की आवाज बनकर ट्रस्ट इस देश ही नहीं बल्कि सारी दुनिया के सामने यह द्रश्य प्रस्तुत करना चाहता है की संसार मे पूरा बुरा व्यक्ति एक भी नहीं है ,अगर हम लोग  उन्हें सुधरने का अवसर दे, तब वह अपनी शक्ति ,क्षमता का बेहतर उपयोग कर सकते है ।

जरा सोचिये ? एक व्यक्ति जो किये अपराध की सज़ा भुगत चुका है उसे बार बार सज़ा देना क्या मानवता है फिर उसके मन मे जो विकार उठेगे उसकी परिणिति क्या होगी वह फिर से बगावत करेगा और अधिक ताकत से करेगा क्योकि अब उसके पास कोई विकल्प नहीं है, समाज उसे पहले ही नकार चुका है, ऐसी स्थिति मे उसे बड़ी सदभावना की जरुरत होती है । मानव एक सामाजिक प्राणी है ,जिसे कदम कदम पर समाज की जरुरत होती है, बिना समाज के वह देवता या दानव बन जाता है । लगातार दानवो की तादात बढती जा रही है ,कारण साफ है हम लोग अपनी नीति और नीयत मे खोट रख्खे है ,जिसे दूर कर हम एक अच्छे समाज का निर्माण कर सकते है


     आकाश (ध्वनि)

योग दर्शन :-शब्द ध्वनि के सेवक है -ध्वनि ही शब्द को स्थूल ,सूक्ष्म तथा कारण जगत कि यात्रा करवाती है ।

crime village :-भारतीय समाज शब्दों के आडम्बर में फँस गया | संसार का कोई भी व्यक्ति किसी भी ज्ञान के बल पर श्वास लेते समय एक स्वर का उच्चारण भी नहीं कर सकता । प्रकृति कि दिव्य भाषा मौन है जो सिर्फ ध्वनि से प्रकट है |

प्रभाव :-साधुता खो गयी ,स्वामी विवेकानंद विचार को सिर्फ वस्त्रो में कैद करके बेचा जाने लगा । संसार को उर्जा बाँटने वाली सूर्य कि पहली किरणे (केसरिया बाना) भिखारियों का वस्त्र बन गयी |



एक प्रयोग- मेने गूगल ट्रांसलेट पर जाकर हिंदी में लिखा हिंदी के पास दस लाख और अंग्रेजी के पास दो लाख पचास हजार शब्द है इसी कारण हिंदी मे लिखना ,बोलना तथा समझना एक जैसा होता है, जबकि अंग्रेजी में हर शब्द का भाव समझना पड़ता है, अन्यथा अर्थ का अनर्थ हो जाता है । Hindi and English to one million two hundred fifty thousand words to write in Hindi reason, speak and understand the same is the sense of every word in English to understand the meaning of the disaster is otherwise | फिर मेने अंग्रेजी में इसी अनुवाद को लिखा तो मुझे हिंदी में यह मिला

लाख दो सौ पचास हज़ार शब्द हिंदी कारण में लिखने के लिए हिंदी और अंग्रेजी बोलते हैं, और समझ ही अंग्रेजी में हर शब्द का अर्थ है आपदा का मतलब समझ में अन्यथा है.




 "योग दर्शन "

हिंसा किसी भी सभ्य समाज की अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं है । हिंसा के मूल में -गरीबी ,धार्मिक कट्टरता तथा अशिक्षा बड़ी भूमिका निभा रहे है ,जिसे कमजोर किये बिना -एक अच्छे समाज का निर्माण नहीं किया जा सकता ।