सदस्य:Vanshikaramsisaria/WEP 2018-19
विजय मांजरेकर
व्यक्तिगत जानकारी | |
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पूरा नाम | विजय मांजरेकर |
जन्म | २६ सितंबर १९३१ |
मृत्यु | १८ अक्टूबर १९८३ |
परिवार | संजय विजय मांजरेकर (son) |
परिचय
संपादित करेंविजय मांजरेकर [जन्म:२६ सितंबर १९३१,मुंबाई-मृत्यु:१८ अक्टूबर १९८३,चेन्नाई] एक पुर्व भारतीय क्रिकेटर थे जिन्होंने ५५ टेस्ट मैच खेले थे|व गेंद के एक अच्छे कटर और हूकर थे|विजय मांजरेकर प्रसिद्ध क्रिकेटर संजय मांजरेकर के पिता थे|उन्होंने अपने प्रथम श्रेणी के करियर में कई टीमों (आंध्र, बंगाल, महाराष्ट्र, मुंबई, राजस्थान, उत्तर प्रदेश) का प्रतिनिधित्व किया।मांजरेकर कभी-कभी ऑफस्पिनर और कभी-कभी विकेटकीपर भी थे| [1]
निजी जीवन
संपादित करेंविजय मांजरेकर का जन्म २६ सितंबर १९३१ को मुंबई महाराष्ट्र में हुआ था|१८ अक्टूबर १९८३ को उनकी मृत्यु हुई थी|उनकी आयू ५२ वर्ष थी|विजय मांजरेकर प्रसिद्ध क्रिकेटर संजय मांजरेकर के पिता थे|संजय विजय मांजरेकर का जन्म १२ जुलाई १९६५ को हुआ|मांजरेकर के बेटे संजय ने भी भारत के लिए उच्चतम स्तर पर क्रिकेट खेला।संजय अपने क्रिकेट करियर समाप्त होने के बाद,एक सफल क्रिकेट कमेंटेटर के रूप में काम करता है। विजय मांजरेकर को स्वास्थ्य समस्याएं थीं क्योंकि उनका वजन बढ़ गया था|इसका उनके तकनीक और फुटवर्क पर असर पड़ा।
करियर
संपादित करेंदिसंबर १९५१ में कोलकाता में इंग्लैंड के खिलाफ मांजरेकर ने ४८ रन बनाये|यह उनके करियर की शुरुआत थी|उन्होंने जून १९५२ में इंग्लैंड के खिलाफ हेडिंग्ले में 133 रन बनाकर अपना पहला टेस्ट शतक बनाया|यह इंग्लैण्ड में उनका पहला टेस्ट था और वह उस समय सिर्फ २० वर्ष के थे|विजय मांजरेकर और विजय हजारे ने २२२ रन देकर भारत को ३ विकेट से ४२ कर दिया|१९६१-६२ में इंग्लैंड के खिलाफ उनका बेहतरीन प्रदर्शन आया जब उन्होंने ८३.७१ पर ५८६ रन बनाए|इसमें दिल्ली में १८९ के साथ उनकी ७ शताब्दियों का उच्चतम स्कोर शामिल था|उनके पास सर्वाधिक टेस्ट रन बनाने का रिकॉर्ड है (३२०८)|१९६४-६५ में मुंबई में ५९ और ३९ की दो पारियों ने ऑस्ट्रेलिया पर भारत की पहली टेस्ट जीत में अहम भूमिका निभाई| उन्होंने फरवरी १९६५ में मद्रास में न्यूजीलैंड के खिलाफ आने वाली अपनी अंतिम टेस्ट पारी में एक टन कमाया| उन्होंने रणजी ट्रॉफी में ६ पक्षों के लिए खेला, जो बॉम्बे, बंगाल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते थे।टूर्नामेंट में उनका शानदार कैरियर था, उन्होंने ५७,७४ रनो पर ३,७३४ रन बनाए|मांजरेकर ने भारत के लिए सात टेस्ट शतक बनाए| उनका आखिरी शतक आखिरी टेस्ट मैच में आकस्मिक रुप से आया,जहां उन्होंने १९६५ में मद्रास में न्यूजीलैंड के खिलाफ १०२ रन बनाए|उन्होंने फिर भारत के लिए कभी नहीं खेला|वह १९५२ के हेडिंग्ले टेस्ट की दूसरी पारी में भारत की दुखी ०-४ से शुरू होने वाले चार पीड़ितों (पंकज रॉय, दत्ताजीराव गायकवाड़ और माधव मंत्री)में से एक थे, जिसमें फ्रेड ट्रूमैन ने कहर बरकरार रखा था।[2]
पुरस्कार
संपादित करेंविजय मांजरेकर तीसरे खिलाड़ी थे जिन्होंने अर्जुन पुरस्कार १९६५ में प्राप्त किया था|अर्जुन पुरस्कार खिलाड़ियों को दिये जाने वाला एक पुरस्कार है जो भारत सरकार द्वारा खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये दिया जाता है।