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कोक्साकि वाइरस
संपादित करेंकोक्साकि वाइरस एक विषाणु है।
परिचय:-
कोक्साकि वाइरस (जो पोलियो वाइरस और हेपेटाइटिस-ए वाइरस भी शामिल हैं), मानव पाचन तंत्र में रहते है। यह पिकोर्नाविरिडे परिवार का हिस्सा है और एन्टिवोरस जाति का हैं। वे व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति, आमतौर पर गन्दा हाथ और म्ल जहाँ वे कई दिनों के लिए रह सकते हैं, इसके द्वारा दूषित सतहों पर फैल सकता हैं। यह वाइरस सर्दी के मौसम में या ठंडी जगहों में ज़्यादा फैलने का संभावनाएं है। ज़्यादतर मामलों में, यह वाइरस फ्लू जैसा लक्षण दिखाते है।कभी कभी पोलियो वाइरस जैसा लक्षण भी दिखाते है। लेकिन कुछ मामलों में, वे ज़ुर अधिक गमभीर संक्र्मण के लिए नेतृत्व कर सकते है। कोक्साकि वाइरस की लक्षण की विविधता का विस्तृत उत्पादन कर सकते है। कुछ लोगों को अचानक तेज़ बुकार, सिर दर्द और मांसपेशियों में दर्द का विकास, गले में खराश, पेट की परेशानी, या मतली विकसित होता है। ज़्यादातर बच्चों में बुकार ३ दिन तक रहता है,अचानक गायब हो जाता है।
कोक्साकी वाइरस दो तरह क्रए होते है ग्रूप-ए और ग्रूप-बी।
ग्रूप-ए वाइरस से फ्लाचसिड पक्षाघात होता है, जो जनरलैस्ड म्योसिटिस की वजह से होता है। इसका असर खास तौर पर त्वचा और बलगम झिल्ली पर पडता है।
ग्रूप-बी वाइरस से स्पास्टिक पक्षाघात होता है। यह ह्रुदय, अग्न्याशय और जिगर पर असर डालता है जो हेपेटाइटिस का कारण बन सकता है। डयाबिटीस भी एन्टिवोरल संक्रमण, खास तौर पर कोक्साकी वाइरस-बी कि वजह से होता है। इसके बारे में विज्ञनी आगे का समशोधन् किए जा रहे है।
यह वाईरस शरीर के विभिन्न भागों को प्रभावित करने वालि कई लक्षण भी पैदा कर सकते है जैसे कि:-
हाथ, पैर और मुँह रोग, एक प्रकार के कोक्साकि वाइरस सिंड्रोम, इसके कारण गले, जीभ, मसूढों, हाथ की हथेलीयों पर लाल छले हो ककते है। हरपनजिना, जो टोन्सिल्स और कोमल तलू, मुँह की छत के मांसाल भाग के पीठ पर लाल-चक्राकार फफोले और अल्सर के कारण गले का संक्रमण है। -एन्सेफालिटिस, एक मास्तिष्क संक्रमण है।
कोक्साकि वाइरस का इलाज:-
इस रोग के लिए कोई विशिष्ट उपचार नही है, यह आमतौर पर आत्म-सीमित है।हालांकि,रोगसूचक उपचार जो बुखार और बेचैनी को कम करता है, उसे सिफारिश की जाती है। स्प्रे मौखिक परेशानी को कम करता है। तरल पदार्थ भी निर्जलीकरण को रोकने के लिए सुझाए जाते हैं।हालांकि अम्लीय रस मुँह अल्सर को परेशान कर सकते है। ठंडा दूध जैसे घरेलू उपचार हकीकत मौखिक असुविधा हो सकता है।
इतिहास:-
इस वाइरस को १९४८-४९ में डाँ गिल्बर्ट डाल्डोरफ् ,न्यूयार्क का एक मनोविग्यानी, ने आविश्कार किया था। २००७ में, पूर्व चीना में कोक्साकि वाइरस का प्रकोप हुआ था। यह बताया गया है की २२ बच्चे मारे गये है। ८०० से अधिक प्रभावित थे, इसके साथ २०० बच्चों का अस्पताल में भर्ती हुआ था। कवटाक एक जंगली-प्रकार कोक्साकि वाइरस ए२१, मानव नैदानिक परीक्षणों में एक ओन्कोलिटिक वाइरस के रूप में इस्तमाल किया जाता है। एन्टिवोरस वाइरस कि वजह से हर साल ३०००-५००० लोग की अस्पताल में भरती होती है।
उपसंहर:-
यह वाइरस बहुत खतरनाक होता है। इससे बछ्ने के लिए हमे खाने से पहमे हाथ ठीक से धोना छहिए। अपने आस पास के जगह को साफ रख्ना चाहिए। और शौचामय आने जाने के बाद हाथ धोना चाहिए। जो बच्चे इस वाइरस से संक्रमण् है उन्हे ठीक होने तक स्कूल न भेजा जाये ताकी दूसरे बच्चों को न फैले।
उल्लेख:-