सदस्य:Vineetha19/प्रयोगपृष्ठ
एवियन एडिनोवाइरस
संपादित करेंएवियन एडिनोवाइरस एक विषाणु है।एवियन एडिनोवाइरस एक तरह की एडिनोवाइरस है जो पक्षियों को प्रभावित कर रहै है। इन पक्षियों मे से मुर्गी , बत्तख , हंस , टर्की और तीतर इस वायरस के वजाह से बेहद प्रभावित हो रहे है।वर्तमान मे इस तरह के आट प्रकार प्रजातियों है।जिनमें से मुर्गी एवियन एडिनोवाइरस एक है।इस जाती के वाइरस कही विशिष्ट रोगों के कारण बनता है।जैसे बटेर ब्रोकाइटिस,अंडा ड्रॅंप सिंड्रोम ,रत्तस्त्रावी आंत्रशोथ , तीतर संगमरमर प्लीहा रोग तथा शामिल किए जाने के शरीर हैपेटाइटिस ।एवियन एडिनोवाइरस को दुनिया भर की फैलाव है और यह एक हि खेत पर कई प्रजातियों का मिल आम है। सबसे आम सेरोग्रोप्स मे से एक, दो तथा तीन शामिल है। [1]
चिकत्सीय संकेत
संपादित करेंमनुष्य के लिए पक्षियों से संचरण की कोई सबूत नही है। वायरस मुख्य रूप से ओरो - मल मार्ग से फैला हुआ है , लेकिन ऊर्ध्वाधर संचरण सेरोग्रोप एक में हो सक्ता है। यदि एक बार यह वायरस किसी पक्षि पर संक्रमित करता है तो यह वायरस कुछ समय रहता है,जिसके बाद यह एक नैदानिक रोग का कारण बनता है।संक्रमणो सामान्य रुप से उपनैदानिक है,तथापि नैदानिक रुप घटित हो सक्ता है-विशेष रुप से युवा पक्षियों मे मातृ एंटीबॅडी का समतल पतन होने लगता है।चिकत्सीय संकेत अंग प्रभावित से सम्बंधित है।दस्त , आहार ,और मेलीना जठरांत्र रोग के कुछ संकेत है।रक्ताल्पता तथा निर्जली करण इस रक्तस्त्रावी आंत्रशोथ के कारण विकास होता है । प्रजनन रोग के सन्केत मे कम अंडा उत्पादन और असामान्य अंडे बिछाव शामिल है। एडिनोवाइरस संक्रमण कही अंगो पर असर पडता है। इसके कारण तिल्ली, शरीर हैपेटाइटिस, कफ की खाँसी,फेफडे की रुकावट तथा अग्ना शयशोथ संभव है। एडिनोवाइरस का निदान ऊतकविकृतिविज्ञानी,इलेक्ट्राँन माइक्रोस्कोपी तथा वायरल अलगाव से होता है। इसके साथ- साथ वायरस प्रतिजन डबल इम्युनोडिफुशन से पता लगासक्ते है। पोस्टमार्टम इंतिहान कहि तरह के चिकत्सीय संकेतो को प्रकट कर देता है। एच ई और ईडीएस टीके उपलब्ध है। रोग घटना ठीक स्वच्छ्ता तथा पर्याप्त पोषण ग्रहण कर तनाव का स्तर कम कर सक्ते है। वायरल प्रतिकृति नाभिकिय होता है। होस्ट सेल मे प्रवेश करने के लिये वायरल फाइबर ग्लाइकोप्रोटीन को मेजबान रिसेप्टर्स के साथ संलग्न करना आवश्यक है। प्रतिकृति डीएनए कतरा प्रतिस्थापन माडल का पालन करता है। डीएनए टैम्प्लेटड प्रतिलिपि जिसमे वैकल्पिक स्पिछिंग तंत्र है वही प्रतिलिपि का तरीका है।वायरस होस्ट सेल से प्रस्थान परमाणु लिफाफा टूटाव,सेल से करता है।पक्षियॅं प्राकृतिक मेजबान होते है।[2]
निदान
संपादित करेंएडिनोवाइरस का निदान हिस्थोपेथोलोजि, एलेक्ट्रोन माइक्रोस्कोपी, वाइरल एसोलेशन और एलिसा से होता है। इसके साथ-साथ, वाइरस अन्टिजन डबल इम्युनोडिफ्युशन से पता लगा सक्ते है। शवपरीक्षा अंग प्रभावित करने के लिये सीधे संबंधित नैदानिक लक्षण की एक किस्म प्रकट हो सकता है। विशेष रूप से अंडा ड्राप सिन्ड्रोम हिमाग्लुटिनेशन निषेध से नीदान किया जा सकता है और वाइरस मुर्गियों और बत्तखों में हिमाग्लुटिनेशन कारण बनता है।
उपचार और नियंत्रण
संपादित करेंहच ई तथा ईडीएस के टीके उपलब्ध है।रोग घटना तनाव के स्तर को कम करने के लिए उचित स्वच्छता उपायों का प्रयोग और पर्याप्त पोषण प्रदान करके कम किया जा सकता है।
संरचना
संपादित करेंएडिनोवाइरस मे शामिल हुए वाइरस गैर छा ऐकोसहेड्राल जियोमेट्रिस के साथ, और टी=२५ समरूपता है। ९० नम का व्यास है। जीनोम रेखिक और गैर खंडित होते है।लंबाई में ३५-३६के बी के आसपास है और ५३-५९% की एक साईटोसिन सामग्री है। ४० प्रोटीन के लिए जीनोम कोड।[3]