मद्रास रेस कोर्स : सन 1777 में इस घुड दौड मैदान की स्थापना की गैई थी । यह मैदान को अन्य मैदानों जित्नी प्रसिद्धि प्राप्त नहीं हुइ । यह मैदान 120 एकर में फैला हुआ है । इस मैदान में वार्शिक घुड दौड की स्ंख्या लगभग 200 के करीब है । डा.एम.ए. रामास्वमी इस घुड दौड मैदान के चैरमन के रुप मएं नियुक्त हैं। मद्रास के लोंगों में इस मैदान को लेके बडी उत्सुक्त बनी रेहती है । यहां के लोग अरथ्वाहन में बडी रूची रखतें हैं । मदरास के लोगों में यह खेल बहुत लोक्-स्म्मानित है ।


रेस कोर्स में मूल पात्र निभाने वाले सद्स्य निम्न्लिखित हैं : रेस कोर्स में अनेक लोग विविध प्रकार की क्रियाओं का प्रद्रर्शन करते हैं। इन लोगों की मेहनत और लगन के कारण ही यह घुड दौड और मैदान के कार्यों का सुचारू रूप से संचालन संभव हो पाता है । इन सभी के कार्यों की जानकारी निचे वर्णित है ।


  • मालिक अथवि अधिअधिकारी :

अधिकारी इक अहम व्य्क्ति होत है , जो घोडों का मालिक भी कहलाया जाता है । यह लोग मेहंगे दामों पर घोडों की खरीद-बिक्री करते हैं । एक मालिक कि मूल जिम्मेदारी घोशों एवं मैगिन की देख-भाल करना होता है । कुछ मिलिक एन घोडों को एक कमाई कि ज़रिया समझ कर खरीद तें और कुछ अपने स्वहित के लिए और अन्य केवल शौक एवं खेल के प्रति अपपनी रूची को बढाने के लिए खरीद लेते हैं । कोच कि चयन करना भी मलिक कि ही किर्य होता है , जो घोडों के प्रशिकषण के लिए अपना किर्य सफलता पूर्वक निभा पाएँ । जॉकी कि चयन भी एन्ही लोगों पर निर्भर करता है । भारत देश में काफी सारे एसे घुड अधिकारी/मालिक हैं जिनकी पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्धि पाई जाती है । उदाहरण के तौर पे विजय माल्या को ही ले सकतें हैं , जो देश-देशांतर में एक नामि-गिरामी मालिक के रूप में जाने जाते हैं ।

  • कोच :

यह ज्यादातर से सेवानिवृत्त जॉकी होते है , जिन्हें सालों का घोडों अथवा अरथवाहन में सलों का अनुभव प्राप्त होता है । यह लोग काफी सामों से जॉकी के उप्युक्त स्थान पर बने रहतें है । एक कोच को घोडों एवं उन्के अनेक नस्ल की विस्तारित जानकारी होती है । उन्के इस गुणवत्ता के कारण वह एस कार्य के लिए उपयुक्त व्यक्ति होतें है । वे स्व्य्ं अरथवाहन मएं भाग नही लेते , उनक कार्य घुड सवारी नहीं होता बल्कि वे जॉकी को घुड सवरी से संबंधित जानकारी प्रदान करना है । वे उन्हे निर्देश देकर अररथवाहन में उत्कृष्ठ बनाना चाहते हैं । एक कोच अपने कार्य में सफलता तभी प्राप्त करता है जब वह जॉकी के निष्पादन को नियंत्रित कर पाए एवं उसे श्रेष्ठता प्रदान करें । कोच जॉकी के प्रशिक्षण के अंत नमें उन्को निष्पादन के आधार पर उसकी प्रतिपुष्ठि भी करते हैं । यह जॉकी को अपने कार्य में सफलता प्राप्त करने में मदद करतें हैं ।

  • जॉकी :

घोडों को चलाना या घुड सवारी करना ही एनका मुख्यन कार्य होता है । जॉकी सुबह एक कोच की निगरानी में घोडों की सवारी करते हैं । घुड दौड रेस में भी एक जॉकी ही घोडा दौडाता है , उसकी जीत उसके घोडे एवं स्वयं अपने आप पर निर्भर होती है । यह कार्य में पेशेवर खिलाडी होते हैं । एन्हें खेल और घोडों की गहरी जानकारी होति है , जो इनको दौड में प्रथम आने में मददगार साबित होती है । आमतौर पर ह्ल्के वजन का होना एक जॉकी के लिए अनिवार्य होता है । कोच द्वारा प्रदान की गई प्रतिपुष्तठि इनको घुड दौड से संबंधित बेह्तर निर्णय लेने में मदद करती है । जॉकी को यदि प्रथम या अन्य श्रंखलाओं में जीत प्राप्त करने पर एक निश्चित राशि प्रदान की जाती है । कई बार उन्हे अपनी जीत के लिए तोहफे जैसे - घडियाँ , वालेट भी मैलते हैं ।

  • राईडिंग बॉय :

अरथवाहन में इनका भी एक छोटा सा कार्य होता है । यह घोडों को सबह के समय दोडते हैं , ताकि वे रेस ते लिए तैयार किए जा सकें । यह कार्य रोज़-मररा में भी किया जाता है , जिससे घोडों की क्षमत एवं शक्ति बढ जाती है । इन्हें घोडा रेस में शमिल होने या घोडे दोडाने का लाइसेंस नहीं मिलता जिसके कारण यह रेस में हिस्सा नहीं ले पाते । इनको वेतन मासिक आधार पर होती है । इन्हें जॉकी जेतनी प्रसिद्धि प्राप्त नहीं होती , पर्ंतु उनकी मेहनत के कारण ही घोडा अच्छा प्रदर्श्न दे पाता है ।

  • जमादार

यह एक तबेलों य अस्तबम के प्रबंधक को रूप में अपना कार्य निभाते हैं । सारी अस्तबल से संबधित गतिविधियओं का प्रबंध करना इनकी जिम्मेदारी होती है , जिसके कारण ही इन्हें ज्मादार कहा जाता है । अस्तब्ल में काम करते श्रमिकों की गतिविधियों को एक ज्मादार ही आवंटित करता है , जेनको घिडों की आव्श्यकता ; उस्का स्नान ; खान्-पान ; उनके पहनाव जैसे आदी कर्य शामिल होते हैं ।

  • ग्रूम

ग्रूम वह होता है जो विशेष रूप से केवल घोडे से संबंधित गतिविधियों पर अपना ध्यान निर्धारित करता है । घोडे को नहलाना , उसकी सफाई , उस्की एवं उस्के अस्तबल की देख-रेख , घोडे के इलाज़ , घोडों को रेस के लिए तैयार करना , घोडों का खान-पान , आदि , उस्के महत्व्पूर्ण कार्य हैं । ग्रूम को वेशेष रूप से अलग-अलग घोडों के लिए नेयुक्त किया जाता है । सारे घोडों को एक ग्रूम द्वारा संभिलना असंभ्व है , जेसके मूल कारण एनका चयन करना बेहद मुश्किल होत है ।

  • फालतू

रेस कोर्स में अन्य कार्यों के लिए जेन्हें नेयुक्त किया जाता है उन्हें फलतू कहते हैं । एनका मुख्य कार्य घोडों के घुडसाल की सफाई एवं उसकी देख-रेख , घोडों को पानी देना , बचा हुआ चारा/खाना उठाना , आदे होता है ।


                                                               रेस कोर्स में नियमित दिनचर्या

रेसकोर्स में मौजूदा लोगों कि दिनचर्या बडि ही उत्तेजक होती है परन्तु लोग वहां काम करते करते थकान एवं नीरस भी हो जाता है । भारत के कोइ भी रेस कोर्स में चमें जाइए , ज़्यादतर घुड दौड से संबंधित कार्य संचालन की प्रक्रिया सुबह ही होती है । ग्रूम घोडों को नहला कर उन्हें रेस के लिए तैयार करता है । घोडों को अस्तबल में रखना और लगाम पहनाना भी उनहीं के कार्य होता है । उस्के बाद में उन्हें उनके विशेष ट्रैनिंग रिंग में लाया जाता है जहाँ हर जॉकी को कोच से निर्देश मिलता है , कि वह कौन -कोन से काम करेंगे । अभिप्रेत काम के खतम हो जाने पर उन्हें निर्धारित अस्तबल में वापस लाया जाता है । उन घोडों कओ ग्रूम द्वारा खाना दिया जाता है , खाना घोडों को दिन में तीन-चार दफे प्रदान किया जात है । घोडों को आराम प्रदान करने के लिए उन्हें शम के समय चलने के लिए ले जाया जाता है । एक घोडे को मलगभग आधा घंटा चलाया जाता है ; जेससे उनकी थकावट दूर करने में सहायता मिलती है ।