डॉ.विजय सोनजे
प्रस्तावना
डॉ.विजय सोनजे जी इस समय आप विकिमीडिया फाउण्डेशन की परियोजना हिन्दी विकिपीडिया पर हैं। हिन्दी विकिपीडिया एक मुक्त ज्ञानकोष है, जो ज्ञान को बाँटने एवं उसका प्रसार करने में विश्वास रखने वाले दुनिया भर के योगदानकर्ताओं द्वारा लिखा जाता है। इस समय इस परियोजना में 8,10,356 पंजीकृत सदस्य हैं। हमें खुशी है कि आप भी इनमें से एक हैं। विकिपीडिया से सम्बन्धित कई प्रश्नों के उत्तर आप को अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों में मिल जायेंगे। हमें आशा है आप इस परियोजना में नियमित रूप से शामिल होकर हिन्दी भाषा में ज्ञान को संरक्षित करने में सहायक होंगें। धन्यवाद।
विकिनीतियाँ, नियम एवं सावधानियाँ
विकिपीडिया के सारे नीति-नियमों का सार इसके पाँच स्तंभों में है। इसके अलावा कुछ मुख्य ध्यान रखने हेतु बिन्दु निम्नलिखित हैं:
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विकिपीडिया में कैसे योगदान करें?
विकिपीडिया में योगदान देने के कई तरीके हैं। आप किसी भी विषय पर लेख बनाना शुरू कर सकते हैं। यदि उस विषय पर पहले से लेख बना हुआ है, तो आप उस में कुछ और जानकारी जोड़ सकते हैं। आप पूर्व बने हुए लेखों की भाषा सुधार सकते हैं। आप उसके प्रस्तुतीकरण को अधिक स्पष्ट और ज्ञानकोश के अनुरूप बना सकते हैं। आप उसमें साँचे, संदर्भ, श्रेणियाँ, चित्र आदि जोड़ सकते हैं। योगदान से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण कड़ियाँ निम्नलिखित हैं:
अन्य रोचक कड़ियाँ
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(यदि आपको किसी भी तरह की सहायता चाहिए तो विकिपीडिया:चौपाल पर चर्चा करें। आशा है कि आपको विकिपीडिया पर आनंद आएगा और आप विकिपीडिया के सक्रिय सदस्य बने रहेंगे!) |
सितम्बर 2020 संपादित करें
विकिपीडिया पर आपका स्वागत है, प्रयोग के लिए धन्यवाद! भक्ति काल पृष्ठ पर आपका प्रयोग सफल रहा, और अब इसे हटा दिया गया है। यदि आप और भी प्रयोग करना चाहते हैं, तो कृपया प्रयोगस्थल का उपयोग करें। विकिपीडिया के बारे में अधिक जानने के लिए स्वागत पृष्ठ देखें। धन्यवाद! QueerEcofeminist "cite! even if you fight"!!! [they/them/their] 04:50, 30 सितंबर 2020 (UTC)
धन्यवाद... डॉ.विजय सोनजे (वार्ता) 13:54, 16 जून 2022 (UTC)
लोकसेवक बाळासाहेब मधुकरराव चौधरी संपादित करें
लोकसेवक बाळासाहेब मधुकरराव चौधरी (जन्म 16 जून, 1919 -- 8 जुलाई 2010) लेखक: डॉ. विजय सोनजे, प्रध्यापक हिंदी विभाग, डी. एन. महाविद्यालय, फैजपूर बालासाहेब मधुकरराव चौधरी एक प्रखर गांधीवादी,समाजसेवी नेता थे। उनके पिता श्री.धनाजी नाना चौधरीजी ने जलगांव जिले के यावल तहसील में स्थित फैजपुर में राष्ट्रीय कांग्रेस समिति द्वारा आयोजित 1936 के अत्यंत भव्य एवं ऐतिहासिक 'ग्रामीण अधिवेशन' का नेतृत्व किया था, उनका पालन पोषण गांधी विचारों को समर्पित प्रखर राष्ट्रवादी परिवार में हुआ, बालासाहेब स्वातंत्र्य वीर धनाजी नाना चौधरी के इकलौते पुत्र थे मां का नाम सरस्वतीबाई था , माता पिता के संस्कार और प्रियजनों के वचनों का पालन करने वाले बालक मधुकर ने बड़े होकर सदियों से चली आई परिवार की देश सेवा की विरासत को बखूबी से आगे बढ़ाया, परिवार में अत्यंत संस्कारी दो बहने थी, बालासाहब ने अपने जीवन काल में बचपन से ही अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ प्राणपण से लड़ने वाले परिवार जनों को अनुभव किया था इसलिए वे बचपन से ही गांधी विचारों के अनुयाई और समर्थक थे, इसी विचारों के स्थाई विकास को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने चुनावी एवं सक्रिय राजनीति में प्रवेश लिया और रावेर विधान सभा चुनावी संघ से बहुमत से विजय प्राप्त कर समाज के लिए और परिसर के लिए अत्यंत उदात्त भाव से अनेक कार्य किए, आज रावेर विधानसभा क्षेत्र में आने वाले शेकड़ो गावों को जल,जमीन, शिक्षा,और यातायात की सुविधा मिल रही है। यह क्षेत्र महाराष्ट्र के विकास प्रवण क्षेत्रों में से है, जो अत्यंत विकसित क्षेत्र के रूप में पहचाना जाता है, यहां की जनता इसका सारा श्रेय बालासाहब मधुकरारव चौधरीजी को ही देती है, क्योंकि उन्होंने आदिवासी क्षेत्र के विकास के लिए अपना जीवन समर्पित किया, लगभग 100 से भी अधिक छोटे,बड़े तालाबों का निर्माण किया, व्यापक जलसिंचन के कारण किसानों को खेती करने में सुविधा प्राप्त हुई और अनगिनत परिवार खेती के माध्यम से उन्नत होने लगे, पहाड़ी, ग्रामीण और नगरीय हर स्तर पर शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराकर युवकों को रोजगार के अवसर प्रदान कराएं, उत्तम शिक्षा के कारण ही आज देश और दुनिया के अनेक कोनो में यावल रावेर के युवक बड़े बड़े पदों पर नियुक्त हैं, विलक्षण दूर दृष्टि के कारण बालासाहब मधुकरराव चौधरी जी ने सातपुड़ा जैसे बीहड़ और पहाड़ी क्षेत्र में भी सभी सुविधाओं को पहुंचाने का कार्य अपने आप में एक चमत्कार लगता है, राजनीतिक पदों का जनता के लिए उचित उपयोग करने वाले वे सच्चे लोकसेवक थे, इसलिए जनता ने उन्हें यह उपाधि दी है, शिक्षा मंत्री, वित्त मंत्री, जैसे जिम्मेदार पदों पर रहकर भी वे जनता के हितों को लेकर प्रतिबद्ध थे, राजनीतिक पटल पर आज भी उनके निर्णय मार्गदर्शक है, वे महाराष्ट्र विधानसभा के अबतक के एकमात्र अध्यक्ष थे जिन्होने श्वेतपत्र निकालने का प्रामाणिक और साहस से भरा कार्य किया था। राजनिति के अलावा राष्ट्र हित के अनेक कार्यों में उन्होंने अपना योगदान दिया है, जैसे हिंदी भाषा को राष्ट्र भाषा के साथ साथ विश्व भाषा बनाने के लिए भी उन्हों अनेक प्रयास किए हैं, वे राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अध्यक्ष भी रहे।===क्रमशः== े जनता कोथे,इसी दौरान लोकहित के समर्पित निरउन्होंने ्णय लेकर अपनी अलग छवि राजकीय पटल पर बनाई है, आज भी उनके निर्णय मार्गदर्शक है, वे महाराष्ट्र विधानसभा के अबतक के एकमात्र अध्यक्ष थे जिने ्ेतपत्रिका निकालने का प्रामाणिक और साहस से भरा कार्य किया था। राजनिति के अलावा राष्ट्र हित के अनेक कार्यों में उन्होंने अपना योगदान दिया है, जैसे हिंदी भाषा को राष्ट्र भाषा के साथ साथ विश्व भाषा बनाने के लिए भी उन्हों अनेक प्रयास किए हैं, वे राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अध्यक्ष भी रहे।===क्रमशः==
..... डॉ.विजय सोनजे, फैजपुर... डॉ.विजय सोनजे (वार्ता) 03:16, 18 जून 2022 (UTC)