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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 07:19, 8 मार्च 2019 (UTC)उत्तर दें

कुन्हील गाँव संपादित करें

इस गाँव में अनेक जातीय वास् करती है जिसमें सभी हिन्दू जातीय है और यहां हीत बिष्ट और स्योत्री बिष्ट की संख्या अधिक है और बाकी ब्रामण,रावत, भंडारी,बंगारी,मेहरा,और हरिजन लोग भी रहते है वहां शिक्षा की दृष्टि से एक परामरी विद्यालय है और लगभग पाँच किमी दूरी पर राजकीय इंटरकॉलेज झिमर है और लगभग दस से पंद्रह किमी पर महाविद्यालय भी है इस कारण यहां शिक्षा के लिए उपयुक्त साधन है गाँव मे सड़क भी है और पानी जिसके लिए बहुत परेशानी होती थी अब वो भी उपलब्ध हो गया है बरकिंडा मानिला पै जल प्रयोजन से गाँव में एक सुंदर मंदिर भी है और कुन्हील गाँव में अनेक प्रकार की फसल का उत्पादन किया जा सकता है परन्तु उपयुक्त संसाधनों के पर्याप्त न हो पाने के कारण वहां उचित खेती विगत वर्षों से नही हो पा रही है और कुछ जंगली जानवरों के कारण भी यहां खेती करना अब कुछ समय से मुस्किल हो गया है नब्बे के दसक तक यहां के लोगों का मुख्य खेती ही था और जब से खेती में उपज होना कम हो गया तब से गाँव में पलायन ने जोर पकड़ लिया है इतना सुंदर गाँव और इसके लगभग चारो ओर सड़क है पर फिर भी इसका यहां की जनता को अब कोई फायदा नही हो रहा उसका कारण है पलायन से लोगों का गाँव को छोड़ के बाहर कही बस जाना अगर सरकार कुछ सुबिधा जैसे चकबंदी या उत्तम वीजो का प्रयोग करवाती है तो फिर से खेती को आबाद किया जा सकता है

कुन्हील गाँव के आस पास में इसके ऊपर की दाई ओर नेलवालपाली छेत्र आता है और बाइ ओर चोना खालयों उसके नीचे बरकिन्डा आता है कुन्हील के नीचे झिमर,डूंगरा, और गहणा गाँव आते है इन तीनो गाँव से होते हुए ही कुन्हील गाँव में सड़क आई है और ये आगे को पनेरा,खालयों,धुरा, सिमा,सेकुड़ा, और बुंगीधर होते हुए रातखल वाली सड़क से मिल जाती है कुन्हील से चारों ओर का मनोरम दृश्य दिखता है यहां से हिमालय की ऊची ऊची हिमाच्छादित पर्वत सृंखला दिखती है जो अत्यंत मंत्रमुग्ध कर लेती है यहां से लगभग आठ दस किमी ऊपर की ओर मानिला मंदिर है जो बहुत ही भब्य है यहां माँ भगवती की शक्ति स्वरूप की पूजा की जाती है इस इलाके में माँ का बहुत ही गुण गान है यहां जो भी सच्चे मन से कुछ भी मनोकामना करता है तो वो आवस्य ही फलित होती है मानिला देवी के प्रांगण में एक वृक्ष है जिसको आज तक दुनिया में कही दूसरा नही देखा गया है इस लिए इस वृक्ष को कल्प वृक्ष ना से जाना जाता है यहां पे बांज बुरांश देवदार और चिड़ के पेड़ बहुत मात्रा में है ये जंगल पर्यटन की दृष्टि से बहुत खूबसूरत है और गर्मियों में भी यहां का मौसम ठंडा होता है यहां कई मेले लगते है जिसमे स्याल्दे और गिरा कौतिक बहुत ही सुंदर लगता है! कुन्हील गाँव से नीचे भिक्यासेन है जो रामगंगा के किनारे है यहां पर रामगंगा और गगास का संगम है हमारे लिए मुख्य बाजार भिक्यासेन ही है जहां हॉस्पिटल तहसील विलाक और अनेक सरकारी संस्थान है यहां पर महाशिवरात्री का मेला प्रचीन शिव मंदिर में लगता है भिक्यासेन से चार किमी पहले जैनल है जहां से एक सड़क कर्णप्रयाग को और दूसरी मानिला को आती है इस छेत्र में कृषि की जाती है और सिंचाई के लिए रामगंगा के पानी का प्रयोग किया जाता है कुछ समय से पहाड़ो में अब जांगलो मैं आग लगने ओर चिड़ की मात्रा ज्यादा होने के कारण पानी के स्रोत खत्म होते जा रहे है और नदियों के पानी में भी भारी मात्रा में कमी हो रही है

सोनू रावत उत्तराखंडी

सोनू रावत उत्तराखंडी (वार्ता) 10:08, 8 मार्च 2019 (UTC)उत्तर दें

मेरा गाँव संपादित करें

इस गाँव में अनेक जातीय वास् करती है जिसमें सभी हिन्दू जातीय है और यहां हीत बिष्ट और स्योत्री बिष्ट की संख्या अधिक है और बाकी ब्रामण,रावत, भंडारी,बंगारी,मेहरा,और हरिजन लोग भी रहते है वहां शिक्षा की दृष्टि से एक परामरी विद्यालय है और लगभग पाँच किमी दूरी पर राजकीय इंटरकॉलेज झिमर है और लगभग दस से पंद्रह किमी पर महाविद्यालय भी है इस कारण यहां शिक्षा के लिए उपयुक्त साधन है गाँव मे सड़क भी है और पानी जिसके लिए बहुत परेशानी होती थी अब वो भी उपलब्ध हो गया है बरकिंडा मानिला पै जल प्रयोजन से गाँव में एक सुंदर मंदिर भी है और कुन्हील गाँव में अनेक प्रकार की फसल का उत्पादन किया जा सकता है परन्तु उपयुक्त संसाधनों के पर्याप्त न हो पाने के कारण वहां उचित खेती विगत वर्षों से नही हो पा रही है और कुछ जंगली जानवरों के कारण भी यहां खेती करना अब कुछ समय से मुस्किल हो गया है नब्बे के दसक तक यहां के लोगों का मुख्य खेती ही था और जब से खेती में उपज होना कम हो गया तब से गाँव में पलायन ने जोर पकड़ लिया है इतना सुंदर गाँव और इसके लगभग चारो ओर सड़क है पर फिर भी इसका यहां की जनता को अब कोई फायदा नही हो रहा उसका कारण है पलायन से लोगों का गाँव को छोड़ के बाहर कही बस जाना अगर सरकार कुछ सुबिधा जैसे चकबंदी या उत्तम वीजो का प्रयोग करवाती है तो फिर से खेती को आबाद किया जा सकता है

कुन्हील गाँव के आस पास में इसके ऊपर की दाई ओर नेलवालपाली छेत्र आता है और बाइ ओर चोना खालयों उसके नीचे बरकिन्डा आता है कुन्हील के नीचे झिमर,डूंगरा, और गहणा गाँव आते है इन तीनो गाँव से होते हुए ही कुन्हील गाँव में सड़क आई है और ये आगे को पनेरा,खालयों,धुरा, सिमा,सेकुड़ा, और बुंगीधर होते हुए रातखल वाली सड़क से मिल जाती है कुन्हील से चारों ओर का मनोरम दृश्य दिखता है यहां से हिमालय की ऊची ऊची हिमाच्छादित पर्वत सृंखला दिखती है जो अत्यंत मंत्रमुग्ध कर लेती है यहां से लगभग आठ दस किमी ऊपर की ओर मानिला मंदिर है जो बहुत ही भब्य है यहां माँ भगवती की शक्ति स्वरूप की पूजा की जाती है इस इलाके में माँ का बहुत ही गुण गान है यहां जो भी सच्चे मन से कुछ भी मनोकामना करता है तो वो आवस्य ही फलित होती है मानिला देवी के प्रांगण में एक वृक्ष है जिसको आज तक दुनिया में कही दूसरा नही देखा गया है इस लिए इस वृक्ष को कल्प वृक्ष ना से जाना जाता है यहां पे बांज बुरांश देवदार और चिड़ के पेड़ बहुत मात्रा में है ये जंगल पर्यटन की दृष्टि से बहुत खूबसूरत है और गर्मियों में भी यहां का मौसम ठंडा होता है यहां कई मेले लगते है जिसमे स्याल्दे और गिरा कौतिक बहुत ही सुंदर लगता है! कुन्हील गाँव से नीचे भिक्यासेन है जो रामगंगा के किनारे है यहां पर रामगंगा और गगास का संगम है हमारे लिए मुख्य बाजार भिक्यासेन ही है जहां हॉस्पिटल तहसील विलाक और अनेक सरकारी संस्थान है यहां पर महाशिवरात्री का मेला प्रचीन शिव मंदिर में लगता है भिक्यासेन से चार किमी पहले जैनल है जहां से एक सड़क कर्णप्रयाग को और दूसरी मानिला को आती है इस छेत्र में कृषि की जाती है और सिंचाई के लिए रामगंगा के पानी का प्रयोग किया जाता है कुछ समय से पहाड़ो में अब जांगलो मैं आग लगने ओर चिड़ की मात्रा ज्यादा होने के कारण पानी के स्रोत खत्म होते जा रहे है और नदियों के पानी में भी भारी मात्रा में कमी हो रही है

सोनू रावत उत्तराखंडी

सोनू रावत उत्तराखंडी (वार्ता) 11:29, 8 मार्च 2019 (UTC)उत्तर दें