स्वागत!  नमस्कार Acharya Shastri T. Shastri जी! आपका हिन्दी विकिपीडिया में स्वागत है।

-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 03:58, 18 अक्टूबर 2017 (UTC)उत्तर दें

🇮🇳"Journalism journalists and the fourth pillar is God"🇮🇳 संपादित करें

"Journalism journalists and the fourth pillar is God. Our Indian democracy stands at the fourth pillar of the Justice Department, executive council and journalism, but one of the four pillars of democracy called journalism, it is hard to throw down and weaken it. The mischief of doing and defaming is being done for many years.   They also receive three pillars of Indian democracy, honored and safe and convenient, but the fourth column i.e. journalists are receiving no respect is neither the facilities nor the security guarantee. Toll tax free for three columns, free of cost, free of cost, free of cost, free of cost, free of cost, free of cost, free of cost, free of charge, but no parking free, no toll tax free, for the quarter columnists / journalists of the fourth column, Neither treatment is free nor there is no reimbursement arrangement for them. In total, journalists do not have any facility available to people connected to the three pillars.   Leave the facilities so that only the same people give honor and honor to their respective journalists by means of their work and meaning, which they have to reach their message through news / newspaper. "In the case of security, the journalist is absolutely deen-poor and poor", so the attack on journalists is also being carried out by lathicharge and their assassinations. At the present time, the fourth pillar has become a threat to its existence and dignity. According to their convenience, the leaders and officers of the country and the state make rules for their convenience from time to time, but whatever rules are being made for journalism, it can benefit three pillars, but on the existence and dignity of journalism The clouds of the crisis are going to become dense and dense. In fact, if journalism is called the fourth pillar of democracy, then for the sake of its strength and dignity, the schemes were made by the governments in the right way and in the way of their people, but here they are working together to make it weak and paralyzed. For whom journalists and journalism are seen to prove the drought of danger.   Through the Zero (Zero) resources, the condition and misery of journalists who have been responsible for the country and the society is neither seen nor seen by anyone, in today's time, fourth of the three pillars Column has become the softest fodder. Those who reach higher level as a fodder are trying to chew all the time.                If Mahaparusha, who had created four pillars today, would have been very sad to see the condition and misery of journalism and journalists today, but today the constitution holders are unhappy or there is no concern for the condition of the journalists and the misery.         Acharya Shrikant T. Shastri      National President All India Press Reporter Welfare Association " Acharya Shastri T. Shastri (वार्ता) 04:35, 29 अक्टूबर 2017 (UTC)उत्तर दें

🇮🇳"राष्ट्र सर्वोपरि"🇮🇳 Acharya Shastri T. Shastri (वार्ता) 04:41, 29 अक्टूबर 2017 (UTC)उत्तर दें

"देशभर में हो रहे पत्रकारों पर हमलों के खिलाफ ✏️आल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन✏️ परिवार करेगा विशाल विरोध प्रदर्शन"🌈 संपादित करें

                             "देशभर में हो रहे पत्रकारों पर हमलों के खिलाफ ✏️आल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन✏️ परिवार करेगा विशाल विरोध प्रदर्शन"🌈 🖍 "आचार्य श्रीकान्त T. शास्त्री" 🖍

                   🗞"राष्ट्रीय अध्यक्ष"🗞
देशभर में पत्रकारों पर बढते हमलों और उनकी हत्याओं के खिलाफ पर विशाल विरोध प्रदर्शन किया जाएगा । साथ में इसके लिए भी कहां जाएगा की अभी तक पत्रकारों की हत्या और उनपर हुये हमलों में लिप्त दोशी लोगों के खिलाफ कठोर कार्यवाही के लिए क्यों तेजी नहीं लाए जा रही है जिसके लिए भी मांग उठाई जाएगी। जिससे अपराधी तत्वों को एक सबक मिल सके।   बेंगलूरू की 🕯गौरी लंकेश, सिरसा के 🕯रामचंद्र छत्रपति और बिहार के 🕯राजदेव रंजन के दोषियों को तुरंत पकडने और दंडित करने की मांग किया जाएगा । साथ ही केंद्र और राज्य सरकार से ✒️आल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन✒️ परिवार की ओर से यह कहना है कि गुडगांव, पंचकुला और सिरसा के जिन पत्रकारों को हाल में जो चोट आई और उनके कैंमरा और वाहनों को जो छति पहुंची है जो एक निंदनीय कार्य है दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करते हुए पत्रकारों के हुए नुकसान को एवं मुआवजा को तत्काल दिया जाये।  
                                          
 ✏️आल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन✏️ ने पत्रकारों के लिए सुरक्षा एवं उचित सुविधा के लिये सरकार से मांग की यदि सरकार द्वारा तत्काल प्रभाव से कोई कार्यवाही नहीं की जाती है तो ✒️आल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन✒️️ द्वारा देशभर में देशव्यापी आंदोलन किया जायेगा। Acharya Shastri T. Shastri (वार्ता) 04:46, 29 अक्टूबर 2017 (UTC)उत्तर दें

( -जिस प्रकार से हरियाणा प्रदेश के मा. मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा पत्रकारों के हित में विभिन्न प्रकार से आदेश जारी किया गया- ) "उसी प्रकार से आप भी अपने प्रदेश के समस्त पत्रकारों के हित में आदेश जारी करने की कृपा करे" संपादित करें

सेवा में,

        मा. मुख्यमंत्री जी
        उत्तर प्रदेश लखनऊ 

विषय -- ( -जिस प्रकार से हरियाणा प्रदेश के मा. मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा पत्रकारों के हित में विभिन्न प्रकार से आदेश जारी किया गया- ) "उसी प्रकार से आप भी अपने प्रदेश के समस्त पत्रकारों के हित में आदेश जारी करने की कृपा करे"।

*पत्रकारों के हित में हरियाणा सरकार  का आदेश*

() दस हजार रूपया महीना पेंशन देगी हरियाणा सरकार पत्रकारों को : ()पांच बरस तक सतत पत्रकारिता के बाद मान्‍यता मंजूर कर दी जाएगी : ()वयोवृद्ध पत्रकारों को पेंशन की योजना भी लागू कर दी मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने :

चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार ने यह ऐलान किया है कि हर पत्रकार को अब हर महीने दस हजार रूपयों की अनिवार्य पेंशन दी जाएगी। शर्त सिर्फ यह होगी कि वह लगातार पांच बरस तक श्रमजीवी पत्रकार की भूमिका में कार्यशील रहा हो। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पंचकूला में सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मासिक पेंशन योजना की शुरूआत करके 9 व्योवृद्ध पत्रकारों को पेंशन प्रदान की।

इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इस योजना के अन्तर्गत दैनिक, संध्या, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक समाचार पत्र, समाचार एजेंसियों, रेडियो स्टेशनों, समाचार चैनलों के 60 वर्ष से अधिक आयु के मान्यता प्राप्त मीडिया कर्मियों को 10,000 रुपये की मासिक पेंशन प्रदान की जाएगी।

पात्रता मानदण्ड की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि दैनिक, संध्या, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक समाचार पत्र, समाचार एजेंसियों, रेडियो स्टेशनों, समाचार चैनलों के मान्यता प्राप्त मीडिया कर्मी जिन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में कम से कम 20 वर्ष का अनुभव हो और उनकी आयु 60 वर्ष से अधिक हो, पेंशन के पात्र होंगे। इसी प्रकार, मीडिया कर्मी की कम से कम पिछले पांच वर्षों से सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग, हरियाणा से मान्यता प्राप्त होनी चाहिए।

नियम एवं शर्तें के बारे में उन्होंने बताया कि लाभार्थी मीडिया कर्मी को अपने बैंक खाते में पेंशन की रकम जमा करने के लिए किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक में आधार लिंक बचत बैंक खाता खोलना होगा और हर वर्ष जनवरी मास में इस आशय का एक प्रमाण पत्र देना होगा।

उन्होंने बताया कि किसी अन्य राज्य सरकार या समाचार संगठन से किसी भी प्रकार की पेंशन या मानदेय प्राप्त कर रहे मीडिया कर्मी भी पात्र होंगे। बहरहाल, यदि कोई अन्य पात्र मीडियाकर्मी किसी अन्य राज्य सरकार से 10,000 रुपये प्रतिमास से कम राशि की पेंशन प्राप्त कर रहा है तो इस योजना के तहत पेंशन की पात्रता में से वह राशि घटा दी जाएगी।लाभार्थी मीडिया कर्मी के निधन के मामले में, मासिक पेंशन उसके पति/पत्नी (पत्नी या पति, जैसा मामला हो सकता है) को दी जायेगी, यदि उसे किसी भी संगठन या राज्य सरकार से वेतन/मेहनताना/पेंशन या कोई अन्य नियमित वित्तीय सहायता नहीं मिल रही है।

जहां इस प्रकार के पत्रकारों के हित में कार्य करने वाली हरियाणा सरकार देश की इकलौती सरकार मानी जा रही है ----वही आपसे भी निवेदन करते हुए यह आग्रह करना चाहता हूं कि देश के सबसे बड़े प्रदेश में भी आप द्वारा पत्रकारों के हित में उपरोक्त की तरह आदेश दिया जाए जिससे पूरी दुनिया में देश के सबसे बड़े प्रदेश के आदेश को पूरी दुनिया में देखा जाए और सराहा जाए।
                🇮🇳" जय हिंद जय भारत" 🇮🇳
                 
                     "आचार्य श्रीकान्तT.शास्त्री"
                                                M.J.  
                         📰"राष्ट्रीय अध्यक्ष"📰

✏️"आल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन"🗞 📲M.O. 94150 33710, W.N.9336427821 Acharya Shastri T. Shastri (वार्ता) 18:39, 29 अक्टूबर 2017 (UTC)उत्तर दें

✏️"पत्रकारिता एवं चौथे स्तंभ के बदलते स्वरूप"📰 संपादित करें

✏️"पत्रकारिता एवं चौथे स्तंभ के बदलते स्वरूप"📰

सम्मानित बंधुओं,
                   पत्रकारिता को एक मिशन एक पूजा और दबे कुचलें एवं बेसहारों व बेजुबानों की जुबान माना गया है। लोकतंत्र में पत्रकारिता का विशेष महत्व  माना जाता  हैे क्योंकि लोकतंत्र के तीनों खम्भें इसी पत्रकारिता/ कलमकारों के सहारे फलते फूलते  तथा मजबूत होते हैं। पत्रकारिता सरकार और समाज के बीच में दोहरे आइने की तरह होती है जिसमें समाज और सरकार दोनों अपना अपना चेहरा देखकर उसमे सुधार कर सकते हैं। पत्रकारिता की लगन से व्यक्तित्व में निखार तथा दिमाग में प्रखरता और सेवा भाव आ जाता है। पत्रकारिता समाज सेवा होती है और सेवा निःशुल्क होती है। पत्रकारिता भी एक समाज सेवा होती है व्यवसाय नही है।जब पत्रकारिता व्यवसायिक हो जाती है तब वह लक्ष्य से भटक जाती है और जान के खतरे पैदा हो जाते हैं।व्यवसाय स्वार्थ सिद्धि के लिए किया जाता है जबकि पत्रकारिता समाज के लिए एवं ईश्वरीय कार्य के लिये की जाती है। भगवान देवर्षि नारद जी को  धरती का पहला पत्रकार माना  गया है और उन्होंने अपना सारा जीवन दूसरों की समस्या सुलझाने में लगा दिया था। पत्रकारिता का अतीत आदिकाल से ही जुड़ा  रहा है यह बात अलग है कि तत्कालीन समय मे न प्रिंट मीडिया थी और न ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया थी।भगवान देवर्षि नारद जी की जुबान खुद ही अपने आप में  अखबार और चैनल होती थी।आजादी के समय में भी पत्रकारिता एक मिशन के रूप में आजादी की लड़ाई में योगदान  दिया।  आदरणीय श्री गणेश शंकर विद्यार्थी,  पूज्य महात्मा गांधी, सम्माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी, परम आदरणीय श्री लाला लाजपत राय जैसे महान अनगिनत लोग ऐसे हैं जिन्होंने पत्रकारिता को गति प्रदान कर हम सभी को गौरान्वित किया है। पत्रकारिता जब तक मिशन थी तब पत्रकार दिल खोलकर पत्रकारिता करता था लेकिन जबसे पत्रकारिता व्यवसाय से जुड़ गयी है तबसे पत्रकारिता दिल बंद करके होने लगी है। अब पत्रकारिता आत्मा की आवाज पर नहीं बल्कि जुगाड़  या  व्यवसायियों के इशारे पर होने लगी है। अब समाचारों का प्रकाशन या चैनलों का संचालन सम्पादकों के नही बल्कि मालिक की इच्छानुसार हो रहा है। इधर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े पत्रकारों की बाढ़ सी आ गयी है क्योंकि यह पुरानी परम्परा है कि समाज के कुछ लोगों को हमेशा रक्षा कवच की जरूरत पड़ती है।पहले ऐसे लोगों का काम राजनैतिक संरक्षण से काम चल जाता था लेकिन इन्हीं लोगों ने राजनीति को भी कटघरे में खड़ा  कर दिया है।इस समय राजनेता ठेकेदार समाज के दुश्मन सभी पत्रकारिता का सहारा लेने के लिये इस क्षेत्र में आ रहें हैं। सभी लोगों ने अपने अपने अखबार या चैनल चला या चलवा रखें हैं जो हमेशा उनके हित में गुणगान किया करते हैं।कहने का मतलब समाज में गिरावट का असर धीरे धीरे पत्रकारिता पर भी पड़ने लगा है और घपला का पर्दाफाश करने के समाचार में घपलेबाज के पास उसका वर्जन पूंछने जाना पड़ता है कि आरोप सही हैं या गलत हैं।अब पत्रकारिता की जगह पर  सूचनाओं का आदान प्रदान होने लगा है।पत्रकार, पत्रकार होता है चाहे वह देश की राजधानी या संसद विधानसभा का हो चाहे जिला तहसील ब्लाक या नगर क्षेत्र का हो।पत्रकारिता बच्चों का खेल और रौब गालिब करने का साधन नही है बल्कि जान हथेली पर रखकर खेला जाने वाला जोखिम खेल होता है।जरा सी चूक होने पर जान चली जाती है और बीबी बच्चे अनाथ हो जाते हैं। पत्रकारिता हमेशा राष्ट्रहित समाज हित मानवीय हित को ध्यान में रखकर की जानी चाहिए।अधिक धन कमाने अथवा स्वार्थपूर्ति के लिये की गयी पत्रकारिता हमेशा जानघातक होती है।खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में पत्रकारिता से जुड़े साथियों के सामने पत्रकारिता करना बहुत जोखिमपूर्ण हो गया है।ग्रामीण पत्रकार या तो  पत्रकारिता का लबादा ओढ़कर दलाल या तस्कर बन जाय या फिर समाज विरोधी लोगों का शिकार बने।समाजविरोधी सभी  चाहते हैं कि पत्रकार उनका पालतू बन जाय और बागी बन रहा हो तो रास्ते से हट जाय। विधानसभा या संसद में बैठे लोग भी इन्हीं ग्रामीण पत्रकारों के बीच से गुजरकर वहाँ तक पहुंचते हैं इसलिए वह कभी नहीं चाहते हैं कि पत्रकार का भला हो।समाज का बड़ा तबका ईमानदार तेजतर्रार पत्रकार की प्रंशसा तो करता है किंतु वह खुलकर साथ देने लायक बहुत कम होता है।पत्रकार को कुछ भी नही मिलता है फिर भी वह हर घटना स्थल पर पुलिस या अन्य अधिकारियों से पहले पहुंचने की कोशिश करता है।पीड़ित और प्रशासन के बीच न्याय हित में सेतु का काम करता है। थाना पुलिस तहसील ब्लाक दलाल चोर लकड़कट्टा व असमाजिक तत्वों की गतिविधियों पर आधारित उसके समाचार होते हैं इसलिए ईमानदार पत्रकार से सामना करने के लिए सभी सारे बुरे लोग सारे बैर भुलाकर एक मंच पर आ जाते हैं।परिणाम होता है कि लाला लाजपत राय हो चाहे अभी हाल में मारे गये पत्रकार साथी हो सभी को पत्रकारिता का ईनाम उनके बच्चों को अनाथ करके दिया गया।पिछले वर्षों जोगिंदर सिंह को जिंदा जला दिया गया तो अभी पिछले महीने गोंडा के एक पत्रकार साथी को गोली मारकर उनकी हत्या कर दिया।पत्रकार गौरी की हत्या का मामला अभी भी चर्चा में चल रहा है।अभी एक महीने भी नहीं हुआ है और रामरहीम डेरा सच्चा सौदा की तरफ से कई पत्रकारों को जान से मारने की धमकी दी गयी है। सरकार भी इन बिन पैसे के समाज सेवकों की तरफ ध्यान नहीं दे पा रही है क्योंकि उसकी व्यवस्थापिका खुद भ्रष्टाचार के मकड़जाल में फंसी और वह इन पत्रकारों को अपना जिगरी दुश्मन मानती है।प्रधान हो चाहे कोटेदार चाहे दलाल मक्कार हो सभी इन पत्रकारों के दुश्मन मानते हैं। इधर पत्रकारिता को कंलकित करने का भी दौर शुरू हो गया है और इसमें इलेक्ट्रिक चैनलों की विशेष भूमिका है। चैनलों कोठे की वैश्याओं की तरह बिक रहे हैं और पत्रकारिता के लक्ष्य तार तार होने लगे हैं।कुछ लोग पत्रकारिता में सेवा नहीं धन कमाने आ रहें हैं और वहीं लोग अक्सर प्रायः हिंसा के शिकार हो जाते हैं।
        
              🌟"आचार्य श्रीकान्त T. शास्त्री"🌟
               🌹स्वतंत्र पत्रकार, मान्यता प्राप्त🌹
                      📰राष्ट्रीय अध्यक्ष📰
✏️"आल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन"🗞
📲  Mo.9415030710, 📱W.N. 9336427821 Acharya Shastri T. Shastri (वार्ता) 16:57, 1 नवम्बर 2017 (UTC)उत्तर दें

"हिंदी पत्रकारिता का भविष्य"/// "आचार्य श्रीकान्तT.शास्त्री" संपादित करें

"हिंदी पत्रकारिता का भविष्य"

        "आचार्य श्रीकान्तT.शास्त्री"
                                M.J.    
          📰 स्वतंत्र पत्रकार, मान्यता प्राप्त📰

आज जब हम हिन्दी पत्रकारिता के भविष्य की बात शुरू करते हैं तो यह जानकर बहुत ही आश्चर्य चकित होता है कि प्रारंभ दौर में यह ध्वज रूपी झंडा उस क्षेत्रों में ठहराया गया था जिन्हें हम लोग आज अहिन्दी भाषी कहते है। जो बंगाल के कोलकाता का विश्वामित्र रूपी सबसे पहला ध्वज संदेश था। उत्तर प्रदेश, बिहार आदि जगहों पर भी अनेक हिन्दी अखबारों की शुरूआत हुई थी। तत्कालीन समय में लाहौर मे तो मानो हिन्दी अखबारों का एक प्रकार से गढ नहीं बन गया हो ऐसा शायद आर्यसमाज के प्रभाव से हुआ होगा। किंतु सारे अखबारों के क्षेत्र सीमित थे या तो अपने प्रदेश तक या फिर कुछ जिलों तक। अंग्रेजी में जो अखबार उन दिनों निकलनी शुरू हुई उनको सरकारी इमदाद प्राप्त होती थी। वैसे भी यह अखबारें शासकों की भाषा में निकलती थीं इसलिए इनका रूतबा और रूआब जरूरत से ज्यादा था। चैन्नई का हिन्दू, कोलकाता का स्टेटसमैन मुम्बई का टाईम्स आफ इंडिया, लखनऊ का नेशनल हेराल्ड और पायोनियर, दिल्ली का हिन्दुस्तान टाईम्स और बाद में इंडियन एक्सप्रेस भी। ये सभी अखबार प्रभाव की दृष्टि से तो शायद इतने महत्वपूर्ण नहीं थे परंतु शासको की भाषा में होने के कारण इन अखबारों को राष्ट्रीय प्रेस का रूतबा प्रदान किया गया। जाहिर है यदि अंग्रेजी भाषा के अखबार राष्ट्रीय हैं तो हिन्दी समेत अन्य भारतीय भाषाओं के अखबार क्षेत्रीय ही कहलाएंगे। प्रभाव तो अंग्रजी अखबारों का भी कुछ कुछ क्षेत्रों में था परंतु आखिर अंग्रेजी भाषा का पूरे हिन्दुस्तान में नाम लेने के लिए भी अपना कोई क्षेत्र विशेष तो था नहीं। इसलिए अंग्रेजी अखबार छोटे होते हुए भी राष्ट्रीय कहलाए और हिन्दी के अखबार बड़े होते हुए भी क्षेत्रीयता का सुख-दुख भोगते रहे।

किंतु बीते  दशकों में  हिन्दी अखबारों ने छलांगे लगाई   अप्रत्याशित कर देने वाली हैं। जालंधर से प्रारंभ हुई हिन्दी अखबार पंजाब केसरी पूरे उत्तरी भारत में अखबार न रहकर एक आंदोलन बन गई है। जालंधर के बाद पंजाब केसरी हरियाणा से छपने लगी उसके बाद धर्मशाला से और फिर दिल्ली से।

उस ओर पंजाब केसरी अखबार की मार का प्रश्न है उसने सीमांत राजस्थान और उत्तर प्रदेश को भी अपने कबजे में कर लिया है। दस लाख से भी ज्यादा संख्या में छपने वाला पंजाब केसरी आज पूरे उत्तरी भारत का प्रतिनिधि बनने की स्थिति में आ गया है ।

दैनिक जागरण उस समय उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर से छपता था और जाहिर है कि वह उसी में बिकता भी था परंतु पिछले बीसों सालों में जागरण सही अर्थो में देश का राष्ट्रीय अखबार बनने की स्थिति में आ गया है। इसके अनेकों संस्करण दिल्ली, उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, बिहार झारखंड, पंजाब, जम्मू कश्मीर, और हिमाचल से प्रकाशित होते हैं। यहां तक कि जागरण ने सिलीगुडी से भी अपना संस्करण प्रारंभ कर उत्तरी बंगाल, दार्जिलिंग, कालेबुंग और सिक्किम तक में अपनी पैठ बनाई है।

हिंदी दैनिक अमर उजाला जो किसी वक्त उजाला से दूर था, उसने पंजाब तक में अपनी पैठ बना ली। दैनिक भास्कर की कहानी पिछले कुछ सालों की कहानी है। पूरे उत्तरी और पश्चिमी भारत में अपनी जगह बनाता हुआ भास्कर गुजरात तक पहुंचा है। भास्कर ने एक नया प्रयोग हिन्दी भाषा के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं में प्रकाशन शुरू कर किया है। भास्कर के गुजराती संस्करण ने तो अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है। दैनिक भास्कर ने महाराष्ट्र की दूसरी राजधानी नागपुर से अपना संस्करण प्रारंभ करके वहां के मराठी भाषा के समाचार पत्रों को भी बिक्री में मात दे दी है।

एक इसी प्रकार का प्रयोग जयपुर से प्रकाशित राजस्थान पत्रिका का कहा जा सकता है, पंजाब से पंजाब केसरी का प्रयोग और राजस्थान से राजस्थान पत्रिका का प्रयोग भारतीय भाषाओं की पत्रिकारिता में अपने समय का अभूतपूर्व प्रयोग है। राजस्थान पत्रिका राजस्थान के प्रमुख नगरों से एक साथ अपने संस्करण प्रकाशित करती है। लेकिन पिछले दिनों उन्होंने चेन्नई संस्करण प्रकाशित करके दक्षिण भारत में हिन्दी के प्रयोग को लेकर चले आ रहे मिथको को तोड़ा है। पत्रिका अहमदाबाद सूरत कोलकाता, हुबली और बैंगलूरू से भी अपने संस्करण प्रकाशित करती है और यह सभी के सभी हिंदी भाषी क्षेत्र है। इंदौर से प्रकाशित नई दुनिया मध्य भारत की सबसे बड़ा अखबार है जिसके संस्करण् अनेक हिंदी भाषी नगरों से प्रकाशित होते हैं।

यहां उस ओर संकेत करना उचित होगा कि अहिंदी भाषी क्षेत्रों में जिन अखबारों का सर्वाधिक प्रचलन है वे अंग्रेजी भाषा के नहीं बल्कि वहां की स्थानीय भाषा के अखबार हैं। मलयालम भाषा में प्रकाशित मलयालम मनोरमा के आगे अंग्रेजी के सब अखबार बौने पड़ रहे हैं। तमिलनाडु में तांथी, उडिया का समाज, गुजराती का दिव्यभास्कर, गुजरात समाचार, संदेश, पंजाबी में अजीत, बंगला के आनंद बाजार पत्रिका और वर्तमान अंग्रेजी अखबार के भविष्य को चुनौती दे रहे हैं। यहां एक और बात ध्यान में रखनी चाहिए कि उत्तरप्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, झारखंड इत्यादि हिन्दी भाषी राज्यों में अंग्रेजी अखबारों की खपत हिंदी अखबारों के मुकाबले दयनीय स्थिति में है। अहिंदी भाषी क्षेत्रों की राजधानियों यथा गुवाहाटी भुवनेश्वर, अहमदाबाद, गांतोक इत्यादि में अंग्रेजी भाषा की खपत गिने चुने वर्गों तक सीमित है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यदि राजधानी में यह हालत है तो मुफसिल नगरों में अंग्रेजी अखबारों की क्या हालत होगी? इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। अंग्रेजी अखबार दिल्ली, चंडीगढ़, मुम्बई आदि उत्तर भारतीय नगरों के बलबूते पर खड़े हैं। इन अखबारों को दरअसल शासकीय सहायता और संरक्षण प्राप्त है। ये वास्तव में क्षेत्रिय हैं (टाइम्स ऑफ इंडिया के विभिन्न संस्करण इसके उदाहरण है।) रहा सवाल हिंदी पत्रकारिता के भविष्य का, उसका भविष्य तो भारत के भविष्य से ही जुड़ा हुआ है। भारत का भविष्य उज्जवल है तो हिंदी पत्रकारिता का भविष्य भी उज्ज्वल ही होगा।

                  🇮🇳राष्ट्रीय अध्यक्ष 🇮🇳

✏️"आल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन"🗞 📱MO.9415030710, 📲W.N. 9336427821 Acharya Shastri T. Shastri (वार्ता) 18:10, 8 नवम्बर 2017 (UTC)उत्तर दें

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आर्यावर्त (वार्ता) 04:53, 26 दिसम्बर 2017 (UTC)उत्तर दें

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