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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 11:15, 9 जून 2020 (UTC)उत्तर दें

पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत संपादित करें

संज्ञानात्मक विकास का अध्ययन प्रसिद्ध वैज्ञानिक जीन पियाजे द्वारा व्यापक और विस्तार पूर्वक किया गया । पीयाजे ने बालकों के संज्ञानात्मक विकास के संदर्भ में अपने ही तीन बच्चों पर अध्ययन किया ।उन्होंने निरीक्षण विधि का प्रयोग करके अनेक प्रश्नों को उजागर किया । पियाजे ने बताया कि संज्ञान प्राणी का वह ज्ञान है जिसे वह वातावरण के संपर्क में आने पर पाता है । पियाजे ने कहा कि बालक द्वारा अर्जित ज्ञान विकास की प्रत्येक अवस्था में बदलता रहता है या का सकते है परिवर्तित या परिमार्जित होते रहता है । संज्ञान का विकास अनेक अवस्थाओं से हो कर गुजरता है इसलिए पियाजें के संज्ञानात्मक सिद्धांत को अवस्था सिद्धांत भी कहा जाता है ,उन्होंने इसे चार अवस्थाओं में बांटा को निम्न प्रकार से हैं - (1)- संवेदी पेशीय अवस्था। (2)- पूर्व संक्रियात्मक अवस्था। (3),- स्थूल संक्रियात्मक अवस्था। (4)- औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था। Bisht j (वार्ता) 11:33, 9 जून 2020 (UTC)उत्तर दें