सदस्य वार्ता:Srinivasmahima/प्रयोगपृष्ठ/Article 19

भारतीय झंडा

आर्टिकल १९

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एम वी पाइले के मुताबिक, व्यक्तिगत स्वतंत्रता मौलिक अधिकारों का सबसे मूलभूत है। आर्टिकल १९ से २२ इस मूलभूत अधिकारों के विभिन्न पहलुओं से संबंधित है। जब हम इन चार लेखों को साथ में लेते है तब व्यक्तिगत स्वतंत्रता का एक चार्ट बन जाएगा जो मौलिक अधिकारों पर अध्याय की रीढ़ प्रदान करता है।

भारत के हर नागरिक को व्यक्तिगत स्वतंत्रता ॵर उसके मूलभूत अधिकारों का इस्तेमाल करने की स्वतंत्रता है। भारत संविधान के फ्रेमों मे महत्वपूर्ण मानी जाने वाले आर्टिकलों मे से एक है आर्टिकल १९ जो व्यक्तिगत अधिकारों की गारंटी देता है और स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है। भारतीय संविधान के आर्टिकल १९ प्रमुख लेखोॱ मे से एक है जो भाषण ॵर अभिव्यक्ति की गारंटी देता है। भारत के इतिहास मे कुछ महत्वपूर्ण निर्णयों को आर्टिकल १९ से लिया गया है। आर्टिकल १९ देश के स्वस्थ, खुमे दिमागी लोकतंत्र के लिए सबसे बुनियादी तत्वों में से एक है। यह आर्टिकल लोगों को अपने देश के सामाजिक और राजनीतिक घटनाओं में स्वतंत्र रूप से भाग लेने की अनुमति देता है। जो स्वतंत्रता मिलता है इस आर्टिकल के द्वारा वो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के उचित कार्यो के लिए आवश्यक है। पर हमें इस स्वतंत्रता का दुरउपयोग नहीं करना चाहिए। हर एक नागरिक को स्वतंत्रता का अर्थ मालुम होना चाहिए। आर्टिकल १९ के अुसार स्वतंत्रता का अर्थ है मौखिक, लेखन, छपाई, चित्र या किसी अन्य प्रकार के शब्दों से आज़ादी से अपनी स्वयं की मान्यता और राय व्यक्त करने का अधिकार या स्वतंत्रता होती है।

आर्टिकल १९ में दिए गए अधिकार

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भाषण आदी की स्वतंत्रता के बारे मे कुछ अधिकारों का संरक्षण

(१)सभी नागरिकों को एक समान अधिकार प्राप्त होगा।

(ए)भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी उपलब्ध है। प्रेस में स्वतंत्रता की गारंटी देने के लिए हमारे भारत के संविधान में कोई विशेष प्रावधान नहीं उपलबद नहीं है क्योंकि प्रेस की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति की अधिक स्वतंत्रता में शामिल है जो अनुच्छेद 19 (1) (ए) की गारंटी देता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ है कि ना केवल एक के विचार को व्यक्त करने की स्वतंत्रता है बल्कि दूसरों के विचार को व्यक्त करने की स्वतंत्रता भी हैं।

(बी)शांतिपूर्वक,बिना हथियारों के इकट्ठा होकर साथ रहना। देश के लोगों को हथियारों के बिना शांति से रहना चाहिए और अगर आवश्यकता हो तो राज्य जनता पर प्रतिबंध लगा सकते है।

(सी)संघों या यूनियनों को स्थापित करने कि आजादी है। देश के लोग अपने आप स्वयं के यूनियनों और समूहों को बनाने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन सार्वजनिक व्यवस्था के हित में राज्य द्वारा लगाए गए उचित प्रतिबंधों के अधीन भी हैं।

(डी)भारत के पूरे इलाके या क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से स्थानांतरित कर सकते है। प्रत्येक नागरिक को भारत के पूरे इलाके में आसानी से स्थानांतरित करने या देश के किसी भी हिस्से में रहने और व्यवस्थित करने का अधिकार होगा। यह अधिकार सामान्य जनता के हित में राज्य द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के अधीन होगा।

(ई)भारत के क्षेत्र के किसी भी हिस्से में रहने और व्यवस्थित करने कि आजादी है।

(च)बाहर रखा गया है।

(जी)किसी पेशे का अभ्यास करना, या किसी भी व्यवसाय या व्यापार जारी रखने की आजादी है। प्रत्येक नागरिक को किसी भी व्यवसाय, व्यापार को जारी रखने का अधिकार है लेकिन राज्य द्वारा लगाए गए निर्बाध प्रतिबंधों के अधीन भी है। ये सब अधिकारों पूरी तरहसे पूर्ण नहीं हैं।[1] [2] [3]

  1. https://indiankanoon.org/doc/1218090/
  2. https://www.lawnotes.in/Article_19_of_Constitution_of_India
  3. http://www.elections.in/political-corner/article-19-of-indian-constitution/
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