सनाय
[1] सनाय वानस्पतिक नाम केसिया अंगस्टीफोलिया कुल फैबेसी सनाय , कुल फैबेसी व उपकुल सिजलपिनाइडी का पौधा है। सोमालिया ओर अरब में सनाय के पौधे जंगली रुप में मिलते हे। एक अन्य प्रजाति भारत में पाई जाती है। जिसका नाम केसिया एक्युटिफोलिया है। विभिन्न भाषाओं में में इसके अलग अलग नाम है, जैसे- संस्कृत में मार्कण्डी , मार्कण्डिका हिन्दी में सनाय, सनायमकी , बंगाली में सोनामुखी, गुजराती में मीठी आवल सोनामुखी आदि। भारत में प्रतिवर्ष 20 करोड़ रुपए की सनाय की पत्तियों का निर्यात किया जाता है। राजस्थान के बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर व नागौर जिलों की शुष्क जलवायु विश्व में सर्वाधिक उपयुक्त है। औषधीय उपयोग - यह मुख्यत: एक रेचक का काम करता है। इसकी पत्तियों व फलियों में सेनोसाइड पाए जाते हैं। जो कि औषध निर्माण में काम आता है।
- ↑ डाॅ. नरेंद्र कुमार पारीक. सनाय (2017 संस्करण). राजस्थान राज्य पाठयपुस्तक मण्डल 2-2ए, झालाना डूंगरी, जयपुर. पृ॰ 142.