समवायांग सूत्र (ईसा पूर्व तृतीय-चतुर्थ शताब्दी) जैन धर्म के १२ अंगों में से एक चौथा है। मान्यता है कि इसकी रचना गान्धार सुधर्मस्वामी ने की थी। यह ग्रन्थ श्वेताम्बर पंथ का पवित्र ग्रन्थ है।