समविभव पृष्ठ

लगातार अदिश क्षमता का सतह

समविभव पृष्ठ उस पृष्ठ को कहते हैं जिसके प्रत्येक बिन्दु पर विभव समान हो। किसी एकल आवेश q के लिए विभव नीचे दी हुई समीकरण के द्वारा बताया गया है-

दो समान आवेशों के कारण उत्पन्न समविभव रेखाएँ (लाल) तथा क्षेत्र रेखाएँ (काली)
V = kq/r ( जहां k = 1/(4(pi)e0) है )

इससे यह प्रकट होता है कि यदि r नियत है तो V नियत रहता है। इस प्रकार किसी भी एकल आवेश के लिए समविभव पृष्ठ संकेंद्रित गोले होते हैं जिनके केंद्र पर वह आवेश स्थित होता है।  

अब किसी एकल आवेश q के लिए विद्युत क्षेत्र रेखाएं आवेश से आरंभ होने वाली अथवा उस आवेश पर समाप्त होने वाली ( यह निर्भर करता है कि आवेश q धनात्मक है अथवा ऋणात्मक ) अरीय रेखाएं होती हैं। स्पष्ट है, किसी समविभव पृष्ठ के किसी भी बिंदु पर विद्युत क्षेत्र सदैव ही उसके बिंदु पर अभी लंबवत होता है। यह व्यापक रूप से सत्य है : किसी भी आवेश विन्यास के लिए किसी भी बिंदु से गुजरने वाला समविभव पृष्ठ उस बिंदु पर विद्युत क्षेत्र के अभी लंबवत होता है। इस प्रकथन की व्युत्पत्ति सरल है।