समस्या आधारित शिक्षा
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समस्या आधारित शिक्षा
संपादित करेंसमस्या आधारित सीख एक छात्र केंद्रित शिक्षा शास्त्र है जो छात्रों को एक ओपन एंडेड समस्या के हल के अनुभव के माध्यम से एक विषय के बारे में जानकारी देता है छात्रों को रणनीतियों और विषय-विशेष का ज्ञान मिलता है।समस्या आधारित शिक्षा का लक्ष्य छात्रों को लचीला ज्ञान, प्रभावी समस्या को सुलझाने का कौशल, आत्म निर्देशित , प्रभावी सहयोग कौशल और आंतरिक मोटिवेशन. समस्या के आधार पर शिक्षा के विकास में मदद करने की एक सक्रिय शैली है।समूहों में कार्य करना से छात्रों को पता चलता है की उन्हे क्या जानने की जरूरत है, वे पहले से ही क्या जानते हैं, उनकी क्या क्या पहचान है, और कैसे और कहाँ समस्या का समाधान करने के लिए नेतृत्व कर सकते हैं।प्रशिक्षक की भूमिका समर्थन, मार्गदर्शक और सीखने की प्रक्रिया की निगरानी के द्वारा सीखाने की है।
अर्थ
संपादित करेंसमस्या आधारित स्वरूप को निम्न तरीके से समझा जा सकता है : 1. छात्र केंद्रित शिक्षा। 2. आदर्श शिक्षा छोटे छात्र गुटों 6-10 लोगों, में किया जाता है।
कार्यान्वयन
संपादित करेंस्कूलों और विश्वविद्यालयों में लागू करने के लिए संसाधनों की ,योजना और संगठन की बहुत ज़रूरत है।
• बदलावव के लिए संकाय तैयार।
• एक नए पाठ्यक्रम समिति और कार्य समूह की स्थापना।
• शैक्षिक परिणामों नये पाठ्यक्रम को प्रारूप करना और परिभाषित करना।
• विशेषज्ञों से सलाह लेना।
• योजना आयोजन और प्रबंध।
आलोचना
संपादित करें• संजानात्मक भार।
• पाठ्यक्रम।
• समूह की गतिशीलता।
• इस्तेमाल समस्याओं की प्रकृति।
• समूह पर प्रभाव।
• शिक्षार्थियों की प्रेरणा में रूचि मे कमी।
सारांश
संपादित करेंनियोक्ता ने छात्रों के अनुभवी संचार, टीम वर्क, सम्मान और सहयोग का सकारात्मक विशेषताओं की सराहना की है। पधति में बेहतर भविष्य के अच्छी तैयारी प्रदान करता हैं।