समाजोपयोगी उत्पादक कार्य

समाजोपयोगी उत्पादक कार्य (Socially Useful Productive Work (SUPW)) भारत के विद्यालयों में एक विषय है जिसके अन्तर्गत छात्र अनेकों प्रकार के कार्यकलाप चुन सकते हैं, [1] - जैसे, कढ़ाई, बुनाई, खाना बनाना, चित्रकारी, बढ़ईगीरी, तथा अन्य हस्तकलाएँ आदि। बड़ी कक्षाओं (१०वीं से ऊपर) के छात्रों को सामुदायिक सेवा करनी होती है। इसमें विद्यार्थी एक दल (टीम) में काम करना सीखते हैं और कार्य में कुशलता लाना सीखते हैं। यह विषय सन १९७८ में आरम्भ किया गया था और इसका उद्देश्य महात्मा गांधी के शैक्षणिक विचारों को प्रसारित करना था। [2]

बंगलुरू के किसी विद्यालय के छात्र नारायणपुरा क्षेत्र में समाजोपयोगी उत्पादक कार्य करते हुए
  1. Rashtriya, p. 85
  2. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; kr20 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।

बाहरी कड़ियाँ

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