सय्यद अली अख्तर रिजवी

भारतीय इस्लामी विद्वान


सय्यद अली अख्तर रिजवी (जन्म-१९ सितम्बर, १९४८: मृत्यु-१० फ़रवरी, २००२) बीसवी सदी के एक पर्मुख विद्वान, वक्ता, लेखक, इतिहासकार और कवि थे।

सय्यद अली अख्तर रिजवी
जन्म १९ सितम्बर, १९४८
गोपालपुर, जिला सिवान, बिहार, भारत
मृत्यु १० फ़रवरी, २००२
गोपालपुर, जिला सिवान, बिहार, भारत

जीवनी संपादित करें

प्रारम्भिक जीवन संपादित करें

सय्यद अली अख्तर रिजवी का १९ सप्टेम्बर १९४८ में गोपालपुर जिला सिवान बिहार में पैदा हुए आपके पिता का नाम सय्यद मज़हर हुसैन रिज़वी था। आप जब ३ वर्ष के थे तो आपके पिता का देहांत हो गया। पिता की मृत्यु के बाद उनकी माँ ने बड़ी कठिन परिस्थितियों में भी न केवल परिवार को चलाया अपितु बच्चों को श्रेष्ठ संस्कार भी दिये।[1]

शीर्षक संपादित करें

ईरान के परसिद्ध आयतुल्लाह हज़रत नासीर मकारिम शिराज़ी द्वारा इनको "अदीबे असर" नमी खिताब से सम्मानित किया गया। अली अख्तर रिजवी की काव्यात्मक शीर्षक "शऊर गोपालपुरी " था।

अंतिम संस्कार संपादित करें

सैयद अली अख्तर रिजवी का १० फ़रवरी, २००२ को निधन हो गया। उनके अंतिम संस्कार में कई विद्वानों और प्रचारकों ने भाग लिया और गोपालपुर, जिला सिवान, बिहार, भारत में लोगों की भारी भीड़ के द्वारा किया गया।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 1 फ़रवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 फ़रवरी 2014.