सरदार चुटकुले अथवा सरदारजी चुटकुले सिखों (सरदारों) पर आधारित जातीय व्यंग्य होते हैं जिनमें अक्सर सरदारों को अल्पबुद्धि, अंग्रेज़ी न जानने वाले या शब्दों के ग़लत मतलब समझने वाले बताया जाता है।[1][2] भारत और पाकिस्तान में ये चुटकुले बहुत लोकप्रिय हैं।[1]

सरदार चुटकलों में सरदार को मुख्य रूप से भोले, अनाड़ी, बुद्धि से कमजोर, अशुद्ध और अंग्रेज़ी भाषा में कमजोर दिखाया जाता है।[1][3][4] अधिकतर सरदार चुटकुले अन्य जातीय चुटकुलों अथवा रूढ़ी चुटकुलों का रुपान्तरण होते हैं। कुछ में सरदारजी का मजाकिया रूप में चित्रण अथवा अन्यलोगों द्वारा सरदारजी को रूढ़ीवादी तरिके से प्रस्तुत किया जाता है।[5]

संता सिंह और बंता सिंह (संता-बंता), सरदार चुटकुलों में विशेष पात्र के रूप में प्रसिद्ध हैं।[6] शोधार्थी जवाहरलाल हांडू के अनुसार सरदार चुटकुले सिखों के रूढ़ीवाद और उनके अंग्रेज़ी भाषा और समझ के स्थान पर शारीरिक योग्यता को अधिक महत्त्व देना है।[1] वो साथ में लिखते हैं कि "मेरे अनुसार, सम्पूर्ण रूप से सिख समुदाय कि ‘सफलता की कहानी’ गैर-सिख समुदायों, खासकर भारत के हिन्दुओं में व्यग्रता की गहरी जड़ों का रूप है। .... सिख काफी समृद्ध और सफल लोग हैं। .... इससे हिन्दुओं के अहंकार को ठेस पहुँची होगी और इससे व्यग्रता उत्पन्न हुई होगी जिसने विभिन्न प्रकार के रूढ़-प्रारुपी और चुटकुला चक्र में परिणत हुई।"[1] सौमेन सेन के अनुसार चुटकुले भारतीय गैर-सिख अभिजात वर्ग की चिन्ता को परावर्तित करती है, जो उद्यमि सिखों के विकास और प्रतिस्पर्धा के कारण असुरक्षा महसूस करते हैं।[7]

  1. हांडू, जवाहर लाल (1998) [1990]. "Folk Narrative and Ethnic Identity: The 'Sardarji' Joke Cycle". Storytelling in Contemporary Societies [समकालीन समाज में कहानी]. टुबिगन: गुंथर नार. पपृ॰ 155–161. OCLC 23274712. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-3-8233-4475-9. नामालूम प्राचल |coauthor= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद)
  2. "Sikhs ask cops to ban 'Sardar' jokes on Net" [सिखों ने इंटरनेट पर 'सरदार' चुटकुलों को प्रतिबंधित करने की माँग की] (अंग्रेज़ी में). द टाइम्स ऑफ़ इंडिया. 19 मार्च 2007. मूल से 1 अगस्त 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २० अप्रैल २०१५.
  3. सिंह, खुशवन्त (1974). Khushwant Singh's view of India: [lectures on India's people, religions, history & contemporary affairs]. मुम्बई: आईबीएच पब्लिकेशन कोर्पोरेशन. पृ॰ 88. OCLC 2296948.
  4. सलुजा, कुलदीप (2004). The Unofficial Joke Book of Mind Blowing SMS [आश्चर्यकारी एसएमएस की अनाधिकृत चुटकलों पुस्तक]. डायमंड पॉकेट बुक्स / फ्यूजन बुक्स. पृ॰ 38. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-8419-190-1.
  5. The Unofficial Joke Book of Mind Blowing SMS [आश्चर्यकारी एसएमएस की अनाधिकृत चुटकलों पुस्तक]. डायमंड पॉकेट बुक्स / फ्यूजन बुक्स. 2004. पपृ॰ 159–160. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-89182-65-X.
  6. सिंह, खुशवन्त; राहुल सिंह (1978). Around the world with Khushwant Singh [खुशवन्त सिंह के आस-पास की दुनिया]. नई दिल्ली: ओरियंट पेपरबैक्स. पृ॰ 86. OCLC 7671455.
  7. सेन, सौमेन (2004). Khasi-Jaintia Folklore ; Context, Discourse, and History [खासी-जयंतिया लोकसाहित्य; प्रसंग, संभाषण और इतिहास] (अंग्रेज़ी में). चेन्नई: राष्ट्रीय लोक कथा सहायता केंद्र. पपृ॰ 11. OCLC 56096400. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-901481-3-3.