सरदार पूंजा धीरजी भील

मानगढ़ के क्रांतिकारी योध्दा पूंजा धीरजी भील डूंगर के भील सरदार थे। राजस्थान और बांसवाड़ा की सीमा पर मानगढ़ पहाड़ी स्थित है यही हजारो की संख्या मे भील सरदार, पालवी और गमेतियों के नेत्रत्व मे भील एकजुट हुए यही अंग्रेजो और देशी रियासतो ने 1507 भील आदिवासियों को गोलीबारी मे मार गिराया [1][2][3][4][5]

रियासतों पर आक्रमण

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               भील सरदार पूंजा धीरजी ने सतरामपुर, बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ किलो पर आक्रमण किया था उन्होंने दाहोद पुलिस पर आक्रमण कर कई पुलिस वालो का मार दिया क्योंकि वे भीलों को तंग करते थे।

मानगढ़ आंदोलन मे पूंजा भील भीलों का नेत्रत्व कर रहे थे उनके साथ कई पालवी और गमेति थे ।

काला पानी की सजा

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अंग्रेजो और देशी रियासतो के द्वारा भीलों के नरसंहार के बाद सरदार पूंजा धीरजी भील को अंडमान निकोबार काले पानी की जेल भेजा गया और फिर उनका कुछ पता नही चला भील सरदार के साथ बीस भील गमेतियों को भी जेल हुई

मानगढ़ स्तंभ

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मानगढ़ आंदोलन मे शहीद हुए भील क्रांतिकारियों की याद मे मानगढ़ स्तंभ बनाया गया है

 
मानगढ़ स्मारकमानगढ़ स्मारक को राष्ट्रीय स्मारक करने की घोषणा की गई
  1. Hooja, Rima (2006). A History of Rajasthan (अंग्रेज़ी में). Rupa & Company. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-291-0890-6.
  2. Vashishtha, Vijay Kumar (2014). Role of Gandhi's Ideas in Mobilization of Adivasis of Southern Rajputana Princely States (1921-1948) (अंग्रेज़ी में). Indian Institute of Advanced Study. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7986-099-1.
  3. Rajasthan State Gazetteer: History and culture (अंग्रेज़ी में). Directorate, District Gazetteers, Government of Rajasthan. 1995.
  4. Vashishtha, Vijay Kumar (1997). Bhagat Movement: A Study of Cultural Transformation of the Bhils of Southern Rajasthan (अंग्रेज़ी में). Shruti Publications.
  5. Sharma, Brij Kishore (1996). Tribal Revolts (अंग्रेज़ी में). Pointer Publishers. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7132-120-9.