सरस्वती गोरा

भारतीय कार्यकर्ता

सरस्वती गोरा (२८ सितम्बर १९१२ - १९ अगस्त २००६) एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता थी। कई सालों तक नास्तिक केंद्र के नेता के रूप में उल्लेखनीय काम किये हैं, उन्होंने अस्पृश्यता और जाति व्यवस्था के खिलाफ प्रचार किया हैं।

सरस्वती गोरा
जन्म २८ सितम्बर १९१२
१९ अगस्त २००६
मौत विजयवाड़ा, भारत
राष्ट्रीयता भारतीय
पेशा सामाजिक कार्यकर्ता
उल्लेखनीय कार्य {{{notable_works}}}

उनका जन्म २८ सितम्बर १९१२ आंध्र प्रदेश में विजयनगरम में हुआ था। वह दस साल की उम्र में ही उनकी शादी गोपाराजु रामचंद्र राव के साथ हुई। उनकी आत्मकथा 'माई लाइफ विद गोरा' प्रकाशित की गई थी (तेलगु में) २०१२ में।[1] १९ अगस्त २००६ को विजयवाड़ा में फेफड़ों के संक्रमण के करन उनकी मृत्यु हो गई।

पुरस्कार संपादित करें

  • २००१ में, उन्हें कर्नाटक सरकार द्वारा प्रदान की गई बसवा पुरस्कार के लिए चुना गया था।
  • जी.डी. बिर्ला अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार
  • जमनालाल बजाज पुरस्कार (१९९९)[2]
  • जानकी देवी बजाज पुरस्कार[3]
  • पॉटी श्रीरामुलू तेलुगू विश्वविद्यालय पुरस्कार[4]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Saraswathi Gora passes away". The Hindu. 20 August 2006. मूल से 21 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 31 मई 2017.
  2. "Jamnalal Bajaj Awards Archive". Jamnalal Bajaj Foundation. मूल से 17 अगस्त 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 31 मई 2017.
  3. "Veteran freedom fighter Saraswathi Gora dies". Oneindia. 19 August 2006. मूल से 6 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 February 2017.
  4. "The Hindu : Saraswathi Gora selected for Basava Puraskar". The Hindu. अभिगमन तिथि 5 February 2017.