सराईकिला रियासत
सराईकिला रियासत, जिसे सरायकेला या सेराइकेला भी लिखा जाता है, ब्रिटिश राज के दौरान भारत में एक छोटी रियासत थी। जो अब झारखण्ड राज्य का हिस्सा है, जहां इसका जिला सराइकेला खरसावाँ है। इसकी राजधानी सराइकेला थी।
सराईकिला रियासत ଷଢେ଼ଇକଳା ରାଜ୍ୟ | |||||||
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रियासत of ब्रिटिश भारत | |||||||
1620–1948 | |||||||
Flag | |||||||
1909 के इम्पीरियल गजेटियर आफ़ इण्डिया के मानचित्र में सराईकिला रियासत | |||||||
Population | |||||||
• 1901 | 104,539 | ||||||
History | |||||||
• Established | 1620 | ||||||
1948 | |||||||
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रियासत का क्षेत्रफल 1163 वर्ग किमी था, जिससे 1901 में 92,000 रुपये का औसत राजस्व प्राप्त होता था और यह बंगाल प्रेसीडेंसी के गवर्नर के अधिकार के तहत छोटा नागपुर के नौ रियासतों में से एक था। राज्य के अंतिम शासक राजा आदित्य प्रताप सिंह देव ने 18 मई 1948 को भारतीय संघ में विलय के समझौते पर हस्ताक्षर किया।
इतिहास
संपादित करेंरियासत की स्थापना 1620 में पोड़ाहाट के सिंहवंशी राजा अर्जुन सिंह के पुत्र कुंवर बिक्रम सिंह ने की थी, जिसमें 12 गांव शामिल थे। यह क्षेत्र पहले सिंहभूम पीड़ के नाम से जाना जाता था, जो बाद में सराईकिला बना। सराईकिला रियासत का अंग्रेजों के साथ सबसे पहले 1770 में संपर्क स्थापित हुआ, 1793 में सराईकिला के राजा एवं अंग्रेजों के बीच एक संधि की गई थी। 18वीं शताब्दी में यह राज्य नागपुर के मराठा शासकों के प्रभाव में आ गया और 1803 में उड़ीसा के देवगांव में द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध के समापन पर ब्रिटिश भारत की एक रियासत बन गई। युद्ध के बाद, ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने सराईकिला रियासत को छोटा नागपुर कमिश्नर के शासन में शामिल कर लिया और राजा अभिराम सिंह को अंग्रेजों की सहायता करने पर वार्षिक कर माफ करने का प्रस्ताव दिया था।
1820 में सराईकिला के राजा की सहायता से तमाड़ के विद्रोही नेता रुदन सिंह को गिरफ्तार किया गया। 1857 के संग्राम में सराईकिला के राजा ने अंग्रेजों की सहायता की थी इसके बदले अंग्रेजों ने सराईकिला के राजा को पोड़ाहाट राज्य का एक हिस्सा प्रदान किया और 1899 में अंग्रेजों ने सराईकिला को रियासत के रूप में मान्यता प्रदान की।
1912 में सराईकिला बिहार और उड़ीसा प्रांत के अधिकार में आ गया, जिसे बंगाल के पूर्वी जिलों से हाल ही में बनाया गया था। 1936 में राज्य को उड़ीसा प्रांत के अधिकार में रखा गया। 1947 में देश की स्वतंत्रता के बाद सराईकिला भारतीय संघ का अंग बन गया और सराईकिला रियासत के अंतिम शासक राजा आदित्य प्रताप सिंह देव ने 18 मई 1948 को भारत के विलय समझौता पत्र में हस्ताक्षर किया।
1956 में राज्यों के पुनर्गठन के बाद सराईकिला बिहार राज्य में शामिल किया गया। वर्ष 2000 से सराईकिला झारखण्ड राज्य का हिस्सा है। सराईकिला और खरसावाँ दोनों रियासतों को मिलाकर 30 अप्रैल 2001 को झारखण्ड का 22वां जिला सराइकेला खरसावाँ के नाम से गठित किया गया, जो कोल्हान प्रमंडल के अंतर्गत आता है।
शासक
संपादित करेंरियासत के शासक 1884 तक 'कुंवर' की उपाधि धारण करते थे। इसके शासक पोड़ाहाट के सिंहवंशी शासकों के वंशज हैं।
यहां सराईकिला रियासत के शासकों की सूची है-
- कुंवर बिक्रम सिंह (1620-)
- कुंवर नरू सिंह
- कुंवर शत्रुघ्न सिंह (1728-1743)
- राजा अभिराम सिंह (1743-1818)
- राजा बिक्रम सिंह (1818-1823)
- कुंवर अजम्बर सिंह (1823-1837)
- राजा चक्रधर सिंह देव (1837-1883)
- महाराजा उदित नारायण सिंह देव (1883-1931)
- राजा आदित्य प्रताप सिंह देव (1931-1948)
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "The Unfinished Task of Orissa Formation" (PDF). मूल (PDF) से 12 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 June 2018.