सरू वृक्षों के साथ हरे गेंहू के मैदान

सरू वृक्षों के साथ हरे गेंहू के मैदान (फ्रांसीसी: चैंप डे ब्ले वर्ट एवेक साइप्रेस ) डच पोस्ट-इंप्रेशनिस्ट विन्सेंट वैन गॉग द्वारा एक कैनवास पर तेल से की गई चित्रकारी है। यह नेशनल गैलरी प्राग में रखी हुई है, जिसे होलेसोविस जिले में Veletržní palác [cs; de; fr] (व्यापार मेला पैलेस) में प्रदर्षित किया जाता है जहां चित्रकला को Zelene obilí ("हरा गेंहू") के रूप में जाना जाता है।

Champ de blé vert avec cyprès
Hindi: सरू वृक्षों के साथ हरे गेंहू के खेत
, English: Green Wheat Field with Cypress
कलाकार विन्सेंट वैन गॉग
वर्ष 1889
परिमाप 73 cm × 92.5 cm (29 इंच × 36.4 इंच)
स्थान राष्ट्रीय गैलरी प्राग, प्राग, चेक गणराज्य

इस समय के कई समान कार्यों की तरह, लैंडस्केप चित्र 30 कैनवास के आकार पर बनाई गई थी और इसका आकार 73 सेमी × 93.5 सेमी (28.7इंच × 36.8 इंच) है । इसमें बड़े पैमाने पर हरे गेहूँ के एक खेत को दर्शाया गया है जिनके कुछ भाग पीले रंग में हैं और उनके पकने का इशारा कर रहे हैं। एक छोटा से सफेद घर के बगल में, एक लंबा अंधेरा तेज सरू का पेड़ दृश्य के केंद्र में है, जिसकी पृष्ठभूमि में पहाड़ हैं, और ऊपर सफेद बादलों के साथ एक नीला आकाश है। पेंटिंग 1889 में पूरी हुई, जबकि वैन गॉग को प्रोवेंस में सेंट-रेमी के पास सेंट पॉल की शरण में स्वेच्छा से कैद किया गया था।

16 जून 1889 को विन्सेंट ने अपनी बहन विल वैन गॉग को लिखा कि उन्होंने बाहर चित्रण कार्य करने की अनुमति मिलने के कुछ दिनों के अंदर ही चित्र पूरा बना लिया है। :

Then yet another [landscape] that depicts a field of yellowing wheat surrounded by brambles and green bushes. At the end of the field a little pink house with a tall and dark cypress tree that stands out against the distant purplish and bluish hills, and against a forget-me-not blue sky streaked with pink whose pure tones contrast with the already heavy, scorched ears, whose tones are as warm as the crust of a loaf of bread."[1]

उन्होंने जुलाई 1889 की शुरुआत में अपने भाई थियो को एक पत्र के साथ पेंटिंग (F1548, JH1726) का एक स्याही से बनाया चित्र भेजा [2] वह चित्र अब न्यूयॉर्क शहर में मॉर्गन लाइब्रेरी एंड म्यूजियम में है। वैन गॉग ने संभवतः सितंबर 1889 में पेंटिंग को एक खेप के साथ थियो को भेजा था। [3]

वैन गॉग ने सरू के साथ गेहूं के खेतों के कई अन्य चित्र बनाए, जब वह शरणगाह से निकलकर और स्थानीय परिदृश्य का पता लगाने में सक्षम थे, जब गेहूं तेजी से पक कर पीले रंग में बदल रहे थे। सरू के शौक के अलावा वैन गॉग का गेहूँ के खेतों से विशेष लगाव था; उसने उन्हें वर्षों में दर्जनों बार चित्रित किया; विन्सेंट के लिए वे जीवन और मृत्यु के चक्र के प्रतीक थे, और उन्होंने उनमें सांत्वना और प्रेरणा दोनों पाई।

हालांकि यह रचना मोनेट, रेनॉयर, सिसली और पिसारो जैसे अन्य कलाकारों के कई चित्रों के समान है, कला इतिहासकार रोनाल्ड पिकवेंस का कहना है कि "उच्च प्रभाववादी अभ्यास की तुलना में, रंग अधिक स्थानीय रूप से उपयोग किया गया है और ब्रश से रेखांकन अधिक जैविक और सख्ती से रचे गये हैं। " हालांकि, "बिना स्थानिक विकृतियों के, कोई अत्यधिक बढ़े हुए रंग की छाप नहीं हैं, और कोई क्रांतिकारी प्रतीकवाद नहीं है, यह परिदृश्य एक प्रभाववादी परिपाटी के साथ इसकी सामान्यता की पुष्टि करता है। यह न तो मनोवैज्ञानिक तनाव को प्रकट करता है और न ही रुग्ण दृष्टि को प्रदर्शित करता है।" [4]

इन्हें भी देखें

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  1. Letter 780 To Willemien van Gogh. Saint-Rémy-de-Provence, Sunday, 16 June 1889.
  2. पत्र 784 To थियो वैन गॉग, संत रेमी डी प्रोविंस, मंगलवार, 2 जुलाई 1889
  3. Letter 806[मृत कड़ियाँ] To Theo van Gogh. Saint-Rémy-de-Provence, Saturday, 28 September 1889
  4. पिकवैन्स, रोनाल्ड (1986). Van Gogh in Saint-Rémy and Auvers. मेट्रोपोलिटन म्युजियम ऑफ़ आर्ट. पृ॰ 97. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-87099-477-7.

बाहरी कड़ियाँ

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