'सर्कस एक चलती-फिरती कलाकारों की कम्पनी होती है जिसमें नट, विदूषक , अनेक प्रकार के जानवर (जैसे बाघ आदि) एवं अन्य प्रकार के भयानक करतब दिखाने वाले कलाकार होते हैं। सर्क्स एक वृत्तिय या अण्डाकार घेरे में दिखाया जाता है जिसके चारो तरफ दर्शकों के बैठने की व्यवस्था होती है। अधिकांशत: यह सब कुछ एक विशाल तम्बू के नीचे व्यवस्थित होता है।

सन् १९०० में एक सर्कस का विज्ञापन

करतब संपादित करें

भले ही आज के दौर में मनोरंजन के साधनों में वृद्धि होने से सर्कस देखने में लोगों की रूचि कम हुई हो. मगर आज भी बच्चों के बीच इसकी बड़ी लोकप्रियता हैं. सर्कस एक तरह का प्रशिक्षित खेल हैं. जिसमें मार्शल आर्ट, नृत्य, जिम्नास्टिक, संवाद आदि में प्रोफेसनल लोग ही हिस्सा लेते हैं. किसी मेले में मुख्य रूप से सर्कस का आयोजन अवश्य ही होता हैं. इसमें काम करने वाले कलाकार अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों का मनोरंजन करते हैं. सर्कस देखने के लिए हमें एक टिकट खरीदनी पडती हैं. उसी पैसे से इन कलाकारों का गुजर बसर चलता हैं. पतली सी रस्सी या धागे के सहारे उछल कूद, बाइक को गहरी खाई में कूदना, जलती हुई तश्तरी में कूदना आदि प्रकार के खेल दिखाए जाते हैं.

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संदर्भ संपादित करें