सर्पिल अथवा घुमावदार खड़ी चढ़ाई वाली पहाड़ियों पर नियोजित रेलमार्ग प्रणाली है। एक घुमावदार रेलमार्ग तब तक बढ़ता है जब तक कि यह अपना एक चक्र (वलय) पूर्ण नहीं कर लेता। इस घुमावदार वलय में यह रेलमार्ग पर्याप्त ऊँचाई प्राप्त कर लेता है जिससे लघु क्षेतिज दूरी पर पर्याप्त मात्रा में ऊँचाई प्राप्त की जा सके। यह लहरिया दार (ज़िग ज़ैग) का विकलो होता है जिसमें चढ़ाई के समय गाडी को रोककर एवं दिशा बदलकर चलना पड़ता है। यदि रेलगाड़ी की लम्बाई पर्याप्त हो तो इसका पूर्ण वलय बनते हुये देखा जा सकता है।[1][2]

ब्रुसियो, स्विट्ज़रलैंड के निकट एक घुमावदार पुल
  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 नवंबर 2014.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 14 दिसंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 नवंबर 2014.