सर्वराष्ट्रीय मानव अधिकार घोषणापत्र

संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना के बाद उसकी आर्थिक और सामाजिक परिषद् की पहली बैठक में मानव अधिकार आयोग की स्थापना की गई। इस आयोग का काम 10 जून सन् 1948 को समाप्त हो गया और 10 दिसम्बर सन् 1948 को सर्वराष्ट्रीय मानव अधिकार घोषणापत्र संयुक्त राष्ट्र महासभा में निर्विरोध स्वीकार कर लिया गया। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपनी घोषणा में कहा है कि सभी देशों और सभी राष्ट्रों में प्रत्येक मनुष्य और समाज की प्रत्येक संस्था के अधिकारों और उनकी प्रतिष्ठा का सम्मान समान आधार पर किया जाएगा। सर्वराष्ट्रीय मानव अधिकारपत्र को ध्यान में रखकर सभी देशों और सभी स्थानों में सभी मनुष्यों के लिए इन अधिकारों की व्यवस्था राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आधार पर की जाएगी। इनका प्रचार और प्रसार किया जाएगा।

इतिहास एवं परिचय संपादित करें

सर्वराष्ट्रीय मानव अधिकार घोषणापत्र की चर्चा संयुक्तराष्ट्रसंघ के घोषणापत्र में मिलती है। इसमें कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्रसंघ बिना किसी प्रकार के जाति, वर्ण, लिंग, भाषा और धर्म के भेदभाव के संसार के सभी मनुष्यों के मौलिक और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा और प्रोत्साहन के लिए प्रयत्नशील है (जेम्स एफ. गीन - दि यूनाइटेड नेंशस ऐंड ह्यूमन राइट्स)। संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना से पूर्व लीग ऑव नेशंस नामक अंतरराष्ट्रीय संगठन में भी अल्पसंख्यकों को नागरिक अधिकार दिलाने का प्रयास किया गया था और प्रथम महायुद्ध के बाद नये यूरोपीय राष्ट्रों के अल्पसंख्यकों को संरक्षण देने का भी प्रयास किया गया था। द्वितीय महायुद्ध के आरंभ में जहाँ एक ओर नात्सी और फासिस्ट देश प्रजातांत्रिक एवं नागरिक अधिकारों का उपहास कर रहे थे उसके साथ ही दूसरी ओर प्रजातांत्रिक मित्र राष्ट्रों की ओर से समस्त देशों के नागरिकों के मौलिक, मानवीय अधिकारों को सुरक्षित करने के आश्वासन दिए जा रहे थे। अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने तो सन् 1941 में अमरीकी कांग्रेस को भेजे गए अपने संदेश में चार प्रकार के मौलिक, नागरिक अधिकारों की चर्चा की थी जिनमें, भाषण और अभिव्यक्ति, धर्मोंपासना, आर्थिक अभाव से मुक्ति तथा भय से मुक्ति शामिल हैं। Gurjar community Jindabaad JAI BHADANA

घोषणापत्र की धाराएँ संपादित करें

सर्वराष्ट्रीय मानव अधिकारपत्र की धारा 1 तथा 2 में कहा गया है कि सभी मनुष्य जन्म से स्वतंत्र हैं और प्रत्येक मनुष्य की प्रतिष्ठा और अधिकार समान हैं अत: प्रत्येक मनुष्य सभी प्रकार के अधिकारों और स्वतंत्रताओं को पाने का अधिकारी है। उनमें किसी प्रकार के जाति, वर्ण, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीति अथवा अभिमत, राष्ट्रीयता, सामाजिक उत्पत्ति, संपत्ति, जन्म पद, आदि का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। आगे की धाराओं में कहा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को जीवित रहने, स्वतंत्रता का उपभोग करने तथा अपने आपको निरापद बनाने का अधिकार है (3)। किसी व्यक्ति को दास बनाकर नहीं रखा जा सकेगा, दासता और दासों के सभी प्रकार के क्रय विक्रय पर कानूनी प्रतिबंध रखा जाएगा (4)। किसी व्यक्ति को शारीरिक यंत्रणा नहीं दी जाएगी और न क्रूरतापूर्ण तथा अमानवीय बर्ताव ही किया जाएगा। किसी व्यक्ति का न तो अपमान किया जाएगा और न उसे अपमानजनक दंड ही दिया जाएगा (5)। प्रत्येक व्यक्ति को संसार के प्रत्येक भाग में कानून की दृष्टि में समान मनुष्य समझे जाने का अधिकार है (6)। कानून की दृष्टि में सभी मनुष्य समान हैं और बिना किसी प्रकार के भेदभाव के उन्हें कानून का समान संरक्षण पाने का अधिकार है। इस घोषणापत्र का उल्लंघन होने और भेदभाव किए जाने पर प्रत्येक व्यक्ति को कानूनी संरक्षण प्रदान किया जाएगा (7)। विधान या कानून से प्राप्त मौलिक अधिकारों का अपहरण होने की स्थिति में प्रत्येक व्यक्ति को अधिकारसंपन्न राष्ट्रीय न्यायालयों द्वारा परित्राण पाने का अधिकार है (8)। किसी व्यक्ति को मनमाने ढंग से गिरफ्तार और नजरबंद न किया जा सकेगा और न उसको निष्कासित किया जा सकेगा (9)। आरोप और अभियोगों की जाँच तथा अधिकार और कर्तव्यों का निर्णय स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायाधीशों द्वारा उचित और खुले रूप से कराने का अधिकार प्रत्येक व्यक्ति को प्राप्त होगा (10)। खुली अदालत में मुकादमा चलाकर सजा मिले बिना, जिसमें उसे अपने बचाव की सभी आवश्यक सुविधाएँ दी गई हों, प्रत्येक व्यक्ति निर्दोष समझा जाएगा; किसी भी ऐसे कार्य या गलती के लिए किसी व्यक्ति को दोषी न ठहराया जाएगा तो उस समय अपराध न माना जाता रहा हो जब वह कार्य या गलती हुई हो और न उससे अधिक सजा दी जा सकेगी जो उस समय कानून के अनुसार मिल सकती हो जब वह कार्य या गलती हुई थी (11)। किसी के एकांत जीवन, परिवार, घर या पत्रव्यवहार के मामले में अनुचित हस्तक्षेप न किया जाएगा और न उसके सम्मान और प्रतिष्ठा पर ही किसी प्रकार का आघात किया जाएगा और अनुचित हस्तक्षेप के विरुद्ध कानूनी संरक्षण का अधिकार रहेगा (12)। प्रत्येक व्यक्ति अपने राज्य की सीमा के अंदर स्वेच्छापूर्वक आने जाने और मनचाहे स्थान पर बसने का अधिकारी है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने देश को छोड़कर दूसरे देश जाने और वहाँ से लौटने का अधिकार है (13)। प्रत्येक व्यक्ति को उत्पीड़न से परित्राण पाने के लिए दूसरे देशों में जाने का अधिकार उनको प्राप्त नहीं होगा जो अराजनीतिक मामलों के कानूनी अपराधी होंगे। जो लोग संयुक्त राष्ट्रसंघ के उद्देश्य और सिद्धांतों के प्रतिकूल होंगे उन्हें भी यह अधिकार नहीं मिलेगा (14)। प्रत्येक व्यक्ति को किसी न किसी राष्ट्र का नागरिक बनने का अधिकार है। कोई व्यक्ति राष्ट्रीयता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता और राष्ट्रीयता बदलने का अधिकार ही उससे छीना जा सकता है (15)। प्रत्येक स्त्री और पुरुष को राष्ट्र, राष्ट्रीयता और धर्म के प्रतिबंध के बिना विवाह करने और परिवार बनाने का अधिकार है। प्रत्येक पुरुष और स्त्री को विवाह करने, वैवाहिक जीवन में और विवाह संबंधविच्छेद के मामलों में समान अधिकार हैं। परिवार को समान और राज्य संरक्षण प्राप्त होगा (16)। प्रत्येक को अकेले या दूसरे के साथ मिलकर संपत्ति पर स्वामित्व करने का अधिकार है। कोई व्यक्ति मनमाने तरीके से अपनी संपत्ति से वंचित नहीं किया जाएगा (17)। प्रत्येक व्यक्ति को विचार, अंत:करण, धर्मोपासना को स्वतंत्रता का अधिकार है। इसमें धर्मपरिवर्तन, धर्मोपदेश, व्यवहार, पूजा और अनुष्ठान की स्वतंत्रता सम्मिलित है (18)। प्रत्येक व्यक्ति को विचार और विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता है। सूचना प्राप्त करने और उसका प्रसार करने की स्वतंत्रता है (19)। प्रत्येक व्यक्ति को शांतिमय सभा करने और संघटन बनाने का अधिकार है। किसी व्यक्ति को किसी संघटन में रहने को बाध्य नहीं किया जा सकता (20)।

मानव अधिकारपत्र की 21वीं धारा में कहा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने देश के प्रशासन में प्रत्यक्ष रूप से अथवा निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से हिस्सा लेने का अधिकार है। प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी सार्वजनिक पद पर नियुक्त होने का समान अधिकार प्राप्त है। प्रशासन का संचालन जनता के इच्छानुसार होगा और जनता की इच्छा, समय समय पर स्वतंत्र, निष्पक्ष और गुप्त या प्रकट मतदान के आधार पर हुए निर्वाचनों से प्रकट होगी। समाज के सदस्य की हैसियत से प्रत्येक व्यक्ति को सामाजिक सुरक्षा का अधिकार है (22)। प्रत्येक व्यक्ति का काम करने, स्वतंत्रतापूर्वक पेशा चुनने, काम करने के लिए न्यायसंगत एवं अनुकूल परिस्थितियों तथा बेकारी से संरक्षण का अधिकार है। प्रत्येक व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के समान कार्य के लिए समान वेतन पाने का अधिकारी है। उसे उचित पारिश्रमिक पाने और मजदूर संघ बनाने का अधिकार है (23)। प्रत्येक व्यक्ति को अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य तथा हितवर्धन के लिए अपेक्षित जीवनस्तर प्राप्त करने का, भोजन, वस्त्र, निवास, उपचार और आवश्यक सामाजिक सहायता प्राप्त करने का अधिकार है (24)। माता और बच्चे की देखभाल और सहायता पाने का भी यह अधिकारी है (25)। प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। प्रारंभिक शिक्षा अनिवार्य एवं नि:शुल्क होनी चाहिए शिक्षा का लक्ष्य मानव व्यक्तित्व का पूर्ण विकास तथा आधारभूत स्वतंत्रताओं एवं मानव अधिकारों के प्रति सम्मान में वृद्धि करना होगा। इसके द्वारा सब राष्ट्रों और जातीय या धार्मिक समुदायों के बीच विचारों के सामंजस्य, सहिष्णुता और मैत्री को प्रोत्साहित किया जाएगा तथा शांतिरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ की ओर से होनेवाले कार्यों में सहायता प्रदान की जाएगी। बच्चों को किस प्रकार की शिक्षा दी जाए, इसका अधिकार उनके मातापिता को है (26)। प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्रतापूर्वक समाज के सांस्कृतिक जीवन में भाग लेने का अधिकार है। वैज्ञानक, साहित्यिक अथवा कला कृति से मिलनेवाली ख्याति तथा उसके भौतिक लाभ की रक्षा का भी उसे अधिकार है (27)।

मानव अधिकारपत्र की 28, 29 और 30वीं धाराओं में कहा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को इस अधिकारपत्र के अनुरूप सामाजिक और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था प्राप्त करने का अधिकार है। प्रत्येक व्यक्ति अपने अधिकारों और स्वतंत्रताओं का उपभोग करते हुए समाज के प्रति उत्तरदायी है और उसका कर्तव्य है कि वह अन्य व्यक्तियों के अधिकारों का सम्मान करे। दूसरों के अधिकारों और स्वतंत्रताओं की रक्षा, नैतिकता, सार्वजनिक शांति और जनतांत्रिक समाज के सामान्य हितों के लिए कानून द्वारा प्रतिबंध लगाए जा सकेंगे। इन अधिकारों और स्वतंत्रताओं का उपयोग किसी भी दशा में संयुक्त राष्ट्रसंघ के उद्देश्यों और सिद्धांतों के विपरीत नहीं हो सकेगा। इस घोषणा का यह भी अर्थ नहीं लगाया जा सकेगा कि किसी राज्य, व्यक्ति, समुदाय अथवा व्यक्ति को किसी ऐसे कार्य में संलग्न होने या कोई ऐसा कार्य करने का अधिकार है जिसका उद्देश्य इस घोषणा में निहित अधिकारों तथा स्वतंत्रताओं में से किसी का भी उन्मूलन करना हो।

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें

श्रव्यदृष्य सामग्री संपादित करें