सर विलियम कॉमर पेथेरम

सर विलियम कॉमर पेथेरम, (Sir William Comer Petheram)

सर विलियम कॉमर पेथेरम, किंग’स् काउन्सल(King’s Counsel) (1835-15 मई 1922) कलकत्ता उच्च न्यायालय और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे थे । वह कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे थे। उन्हें 1884 में नाइट बैचलर की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था ।

जीवनी

पेथेरम का जन्म 1835 में लिम्पशम, समरसेट(इंग्लैंड का एक काउंटी)  में हुआ था । उनके पिता  विलियम पेथेरम थे । 1862 में वे विशेष अधिवक्ता(Special Pleader) हो गए । उन्होंने  1869 में(Middle Temple) की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली ।

पेथेरम ने भारत के उत्तर-पश्चिमी प्रांत(North-Western Provinces) के मुख्य न्यायालय(Chief Court), जो अब  इलाहाबाद उच्च न्यायालय है,  के मुख्य न्यायाधीश के रूप में 1884 से 1886 तक  कार्य किया । 24 मार्च 1886 को वह  कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने और नवंबर 1896 में सेवानिवृत्त हो गए । 1887 से 1890 के मध्य वह कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे ।

1864 में उन्होंने द लॉ एण्ड प्रैक्टिस रिलेटिंग टू डिस्कवरी बाइ इंटेरोगेटरीज़् अन्डर द  कॉमन लॉ प्रोसीजर एक्ट, 1854(The law and practice relating to discovery by interrogatories under the Common law procedure act, 1854) नामक एक पुस्तक  भी लिखी।

उन्हें 1884 में नाइट की उपाधि से सम्मानित किया गया ।