सलवा जुडुम (शान्ति यात्रा या सफाई रैली) एक आन्दोलन है जो भारत के मध्यवर्ती राज्य छत्तीसगढ़ में नक्सली हिंसा के खिलाफ सरकार द्वारा चलाया गया आन्दोलन है।[1][2] आदिवासी और सटे इलाकों में चल रहे सरकार-नक्सल हिंसा में अक्सर आम आदमी भी निशाना बनते आए हैं। कुछ स्थानीय नेताओं ने नक्सली हिंसा के खिलाफ आवाज़ उठाई जिसमें महेन्द्र कर्मा का नाम प्रमुख है, जिसका नाम सलवा जुडुम पड़ा। २५ मई २०१३ को इनके नेता और कांग्रेस के सदस्य महेन्द्र कर्मा की हत्या नक्सलियों ने कर दी।[3][4][5]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. आलोक प्रकाश पुतुल (७ मई २०१५). "सलवा जुडुम फिर से लड़ेगा माओवाद के ख़िलाफ़". बीबीसी हिन्दी. मूल से 1 अगस्त 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ५ जून २०१५.
  2. आलोक प्रकाश पुतुल (५ जून २०१५). "सलवा जुडूम: निशाने पर नक्सली या आदिवासी?". बीबीसी हिन्दी. मूल से 2 अगस्त 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ५ जून २०१५.
  3. सलमान रावी (२८ मई २०१३). "सलवा जुडूम का बदला लेकिन खेद भी: नक्सली नेता". बीबीसी हिन्दी. अभिगमन तिथि ५ जून २०१५.
  4. सलमान रावी (२८ मई २०१३). "छत्तीसगढ़ में निर्दोषों की हत्या पर खेद: माओवादी". बीबीसी हिन्दी. मूल से 26 अगस्त 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ५ जून २०१५.
  5. "बहुत गहरी हैं नक्सलवाद की जड़ें". २६ मई २०१३. अभिगमन तिथि ६ जून २०१५.