साँचा:आज का आलेख 23 मार्च 2010
(साँचा:आज का आलेख २३ मार्च २०१० से अनुप्रेषित)
त्रिआयामी चलचित्र एक चलचित्र होता है, जिसकी छवियां आम चलचित्रों से कुछ भिन्न बनती हैं। चित्रों की छाया अंकित करने के लिए विशेष मोशन पिक्चर कैमरे का प्रयोग किया जाता है। ऐसे चलचित्र 1890 में भी हुआ करते थे, लेकिन उस समय के इन चलचित्रों को थिएटर पर दिखाया जाना काफी महंगा काम होता था। मुख्यत: 1950 से 1980 के अमेरिकी सिनेमा में ये फिल्में प्रमुखता से दिखने लगी। सैद्धांतिक त्रि-आयामी चलचित्र प्रस्तुत करने का आरंभिक तरीका एनाजिफ इमेज होता है। मोशन पिक्चर का स्टीरियोस्कोपिक युग 1890 के दशक के अंतिम दौर में आरंभ हुआ जब ब्रिटिश फिल्मों के पुरोधा विलियम ग्रीन ने त्रि-आयामी प्रक्रिया का पेटेंट फाइल किया। फ्रेडरिक युजीन आइव्स ने स्टीरियो कैमरा रिग का पेटेंट 1900 में कराया। इस कैमरे में दो लैंस लगाये जाते थे जो एक दूसरे से तीन-चौथाई इंच की दूरी पर होते थे। विस्तार में...