साँचा:आज का आलेख २८ नवंबर २००९
कव्वे और काला पानी साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कहानी-संग्रह है जिसमें निर्मल वर्मा की सात कहानियाँ- धूप का एक टुकड़ा, दूसरी दुनिया, ज़िंदगी यहाँ और वहाँ, सुबह की सैर, आदमी और लड़की, कव्वे और काला पानी, एक दिन का मेहमा और सुबह की सैर शामिल हैं। इनमें से कुछ कहानियाँ यदि भारतीय परिवेश को उजागर करती हैं तो कुछ हमें यूरोपीय जमीन से परिचित कराती हैं, लेकिन मानवीय संवेदना का स्तर इससे कहीं विभाजित नहीं होता। मानव-संबंधों में आज जो ठहराव और ठंडापन है, जो उदासी और बेचारगी है, वह इन कहानियों के माध्यम से हमें गहरे तक झकझोरती हैं और उन लेखकीय अनुभवों तक ले जाती है, जो किसी इकाई तक सीमित नहीं हैं। घटनाएँ उनके लिए उतनी महत्त्वपूर्ण नहीं, जितना कि परिवेश, जिसकी वे उपज हैं।.. विस्तार से पढ़ें...