साँचा:आज का आलेख २ अप्रैल २०१०
हाइपोथर्मिया शरीर की वह स्थिति होती है जिसमें तापमान, सामान्य से कम हो जाता है। इसमें शरीर का तापमान ३५° सेल्सियस (९५ डिग्री फैरेनहाइट) से कम हो जाता है। शरीर के सुचारू रूप से चलने हेतु कई रासायनिक क्रियाओं की आवश्यकता होती है। आवश्यक तापमान बनाए रखने के लिए मानव मस्तिष्क कई तरीके से कार्य करता है। जब ये कार्यशैली बिगड़ जाती है तब ऊष्मा के उत्पादन के स्थान पर ऊष्मा का ह्रास तेजी से होने लगता है। कई बार रोग के कारण शरीर का तापमान प्रभावित होता है। ऐसे में शरीर का कोर तापमान किसी भी वातावरण में बिगड़ सकता है। इसे सेंकेडरी हाइपोथर्मिया कहा जाता है। इसके प्रमुख कारणों में ठंड लगना है। अध्ययनों एंव आंकड़ों के अनुसार हाइपोथर्मिया से होने वाली करीब ५० प्रतिशत मृत्यु ६४ वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों में होती हैं। वृद्धों को कम उम्र के लोगों की तुलना में हाइपोथर्मिया से पीड़ित होने की आशंका सबसे अधिक होती है क्योंकि ठंड से बचाव की शरीर की प्रणाली उम्र बढने के साथ कमजोर होती जाती है। विस्तार में...