साँचा:आज का आलेख ३० मई २००९
![गुप्तकालीन मूर्ति शिल्प](http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/3/3e/Sculpture_of_Aditya%2C_the_Sun_god%2C_of_Gupta_period%2C_from_Garhwa%2C_Allahabad%2C_1870s.jpg/100px-Sculpture_of_Aditya%2C_the_Sun_god%2C_of_Gupta_period%2C_from_Garhwa%2C_Allahabad%2C_1870s.jpg)
गुप्त कला का विकास भारत में गुप्त साम्राज्य के शासनकाल में (२०० से ३२५ ईस्वी में) हुआ। इस काल की वास्तुकृतियों में मंदिर निर्माण का ऐतिहासिक महत्त्व है। बड़ी संख्या में मूर्तियों तथा मंदिरों के निर्माण द्वारा आकार लेने वाली इस कला के विकास में अनेक मौलिक तत्व देखे जा सकते हैं जिसमें विशेष यह है कि ईंटों के स्थान पर पत्थरों का प्रयोग किया गया। इस काल की वास्तुकला को सात भागों में बाँटा जा सकता है- राजप्रासाद, आवासीय गृह, गुहाएँ, मन्दिर, स्तूप, विहार तथा स्तम्भ। चीनी यात्री फाह्यान ने अपने विवरण में गुप्त नरेशों के राजप्रासाद की बहुत प्रशंसा की है। विस्तार में...