साँचा:आज का आलेख ८ जनवरी २०११
(साँचा:आज का आलेख ८ जनवरी २०१० से अनुप्रेषित)
कड़ी-८
स्वन परिवर्तन
संस्कृतमूलक तत्सम शब्दों की वर्तनी को ज्यों-का-त्यों ग्रहण किया जाए। अत: 'ब्रह्मा' को 'ब्रम्हा', 'चिह्न' को 'चिन्ह', 'उऋण' को 'उरिण' में बदलना उचित नहीं होगा। इसी प्रकार ग्रहीत, दृष्टव्य, प्रदर्शिनी, अत्याधिक, अनाधिकार आदि अशुद्ध प्रयोग ग्राह्य नहीं हैं।
इनके स्थान पर क्रमश: गृहीत, द्रष्टव्य, प्रदर्शिनी, अत्यधिक, अनधिकार ही लिखना चाहिए।
जिन तत्सम शब्दों में तीन व्यंजनों के संयोग की स्थिति में एक द्वित्वमूलक व्यंजन लुप्त हो गया है उसे न लिखने की छूट है।
जैसे :– अर्द्ध > अर्ध, तत्त्व > तत्व आदि। विस्तार में...
स्वन परिवर्तन
संस्कृतमूलक तत्सम शब्दों की वर्तनी को ज्यों-का-त्यों ग्रहण किया जाए। अत: 'ब्रह्मा' को 'ब्रम्हा', 'चिह्न' को 'चिन्ह', 'उऋण' को 'उरिण' में बदलना उचित नहीं होगा। इसी प्रकार ग्रहीत, दृष्टव्य, प्रदर्शिनी, अत्याधिक, अनाधिकार आदि अशुद्ध प्रयोग ग्राह्य नहीं हैं।
इनके स्थान पर क्रमश: गृहीत, द्रष्टव्य, प्रदर्शिनी, अत्यधिक, अनधिकार ही लिखना चाहिए।
जिन तत्सम शब्दों में तीन व्यंजनों के संयोग की स्थिति में एक द्वित्वमूलक व्यंजन लुप्त हो गया है उसे न लिखने की छूट है।
जैसे :– अर्द्ध > अर्ध, तत्त्व > तत्व आदि। विस्तार में...