साँचा:आज का आलेख ९ अप्रैल २००९
छत्तीसगढ़ के इस दक्षिण कोशल क्षेत्र में कल्चुरी नरेश जाज्वल्य देव प्रथम ने भीमा तालाब के किनारे ११ वीं शताब्दी में एक मंदिर का निर्माण करवाया था। यह मंदिर भारतीय स्थापत्य का अनुपम उदाहरण है। मंदिर पूर्वाभिमुखी है, तथा सप्तरथ योजना से बना हुआ है। मंदिर में शिखर हीन विमान मात्र है। गर्भगृह के दोनो ओर दो कलात्मक स्तंभ है जिन्हे देखकर यह आभास होता है कि पुराने समय में मंदिर के सामने महामंडप निर्मित था। परन्तु कालांतर में नहीं रहा। मंदिर का निर्माण एक ऊँची जगती पर हुआ है। मंदिर के चारों ओर अत्यन्त सुंदर एवं अलंकरणयुक्त प्रतिमाओ का अंकन है जिससे तत्कालीन मूर्तिकला के विकास का पता चलता है। विस्तार में...