साँवा या 'सावाँ' (Indian barnyard millet ; वानस्पतिक नाम : Echinochloa frumentacea) एक मोटा अनाज है। इसके दाने या बीज बाजरे के साथ मिलाकर खाये भी जाते हैं। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश में यह खूब पैदा होती है। अनुपजाऊ भूमि पर भी इसकी खेती की जा सकती है जहाँ धान की फसल नहीं होती।

सांवा घास

Echinochloa colona नामक एक प्रकार की लंबी घास इसकी पूर्वज मानी जाती है जिसकी बालें चारे के काम आती हैं। साँवाँ नाम से भी जाना जाता है । इसका बीज स्लेटी रंग का चमकदार होता है। चावल,हलुआ आदि के रूप मे भोजन में प्रयोग किया जाता है। यह वर्षा ऋतु मे उत्पन्न होने वाला अनाज है,जो लगभग दो ढाई महीने मे तैयार हो जाता है। फसल तैयार होने पर पीटकर बीज को अलग कर लेते हैं। और हरे पौधों को खड़ा या चारा मशीन से काटकर ,भूसा मिला कर पशुओं को खिलाने के काम आता है।

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में स्तनपान कराने वाली माताओं को ये विशेष रूप से खिलाया जाता है। डिलीवरी के बाद होने वाली कमजोरी से उबरने में यह सहायक है। आदिवासी समाज में यह प्रचलित है।

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