सांप्रदायिकता (दक्षिण एशिया)

साम्प्रदायिकता व्यापक समाज के बजाय अपने स्वयं के जातीय समूह के प्रति निष्ठा है। सांप्रदायिकता निम्न प्रकार की हो सकती है:

  • राजनैतिक साम्प्रदायिकता: नेता राजनीति के क्षेत्र में जीवित रहने के लिए समुदायों के बीच विभाजन के विचार को अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा देते हैं। यह राजनीतिक साम्प्रदायिकता को जन्म देता है जहाँ लोगों के विभिन्न समूह राजनीतिक आधारों और विचारधाराओं में विभाजित होते हैं।
  • सामाजिक साम्प्रदायिकता: समाज की मान्यताएँ लोगों को अलग-अलग समूहों में विभाजित करती हैं और एक-दूसरे के बीच प्रतिद्वन्द्विता को जन्म देती हैं।
  • आर्थिक साम्प्रदायिकता: समुदायों के आर्थिक हितों में अंतर, जिससे समाज में अधिकतर संघर्ष होता है।

साम्प्रदायिक राजनीति संपादित करें

साम्प्रदायिक राजनीति राजनीति में धर्म की अभिव्यक्ति का एक समुदाय के विशिष्टता के दावे और पक्षपोषण का रूप लेना तथा इसके अनुयायी दूसरे धर्मावलंबियों के विरोध में मोर्चा खोलना है। ऐसा तब होता है जब एक धर्म के विचारों को दूसरे धर्म से श्रेष्ठ माना जाता है, कोई एक धार्मिक समूह अपने मांगों को दूसरे धार्मिक समूह के विरोध में लाने लगता है। इस प्रक्रिया में राज्य अपने शक्तियों का उपयोग किसी एक धर्म के पक्ष में करने लगता है।

यह विचारधारा इस सोच पर आधारित है कि धर्म ही सामाजिक समुदाय का निर्माण करता है। इस सोच के अनुसार विशेष धर्म में आस्था रखने वाले लोग एक समुदाय के हैं जिनके मौलिक हित समान होते हैं तथा समुदाय के लोगों में परस्पर असहमति, सामुदायिक जीवन में अप्रासंगिक और‌ तुच्छ होते हैं। यदि विभिन्न धर्मों के अनुयायियों में कुछ समानताएँ भी हैं, तो ये सतही और सारहीन हैं। उनके स्वार्थ पृथक होने और संघर्ष से जुड़े होने के लिए सुनिश्चित हैं।

अपने चरम रूप में, सांप्रदायिकता इस विश्वास की ओर ले जाती है कि विभिन्न धर्मों के लोग एक राष्ट्र के भीतर समान नागरिक के रूप में नहीं रह सकते। इस मानसिकता के अनुसार या तो एक समुदाय के लोगों को दूसरे के वर्चस्व में रहना होगा या एक भिन्न राष्ट्र बनाना होगा।

दोष संपादित करें

यह विचारधारा मौलिक रूप से ही त्रुटिपूर्ण है। एक धर्म के लोगों की प्रत्येक संदर्भ में समान स्वार्थें और आकांक्षाएँ नहीं होती हैं। हर किसी की कई अन्य भूमिकाएँ, स्थितियाँ और पहचान होती हैं। हर समुदाय के अंदर की सभी मांगों को सुना जाने का अधिकार है। इसलिए एक धर्म के सभी अनुयायियों को धर्म के अतिरिक्त अन्य संदर्भ में एक साथ लाने का कोई भी प्रयास उस समुदाय के भीतर कई रायों को दबाने के लिए निश्चित है।

विभिन्न रूप संपादित करें

सांप्रदायिकता की सबसे साधारण अभिव्यक्ति दैनंदिन जीवन में दिखती है। इनमें धार्मिक पूर्वाग्रह, धार्मिक समुदायों के बारे में बनाई गई अतिसरलीकृत धारणाएँ, एक धर्म का दूसरे धर्म से श्रेष्ठ मानने की मान्यताएं अन्तर्गत हैं।

सांप्रदायिक सोच प्रायः अपने धार्मिक समुदाय का राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित करने की खोज में रहती है। बहुसंख्यक समुदाय में यह चेष्टा बहुसंख्यकवाद में परिणत हो जाता। अल्पसंख्यक समुदाय में यह चेष्टा अलग राजनीतिक इकाई बनाने की इच्छा का रूप ले लेता है।

सांप्रदायिक आधार पर राजनीतिक एकमार्गीकरण सांप्रदायिकता का अन्य रूप है। इसमें धर्म के पवित्र प्रतीकों तथा धर्म गुरुओं से भावनात्मक आकर्षण और किसी विशेष मुद्दे के बारे में जानबूझकर जनता के मन में भय जगाना सामान्य है। निर्वाचनी राजनीति में एक धर्म के मतदाताओं के भावनाओं या हितों के बारे में बात उठाने जैसे तरीके अपनाए जाते हैं।

कई बार सांप्रदायिकता सबसे द्वेषपूर्ण रूप लेकर संप्रदाय के आधार पर हिंसा, दंगा, और नरसंहार कराती है। जैसे, भारत के विभाजन में अत्यन्त भयावह सांप्रदायिक दंगे हुए थे।

यह भी देखें संपादित करें