साधु भाषा
बांग्ला साहित्य सन्दर्भ में साधु भाषा उस ऐतिहासिक भाषा-शैली का नाम है जो १९वीं और २०वीं शताब्दी क
बांग्ला साहित्य के सन्दर्भ में साधु भाषा (बांग्ला: সাধু ভাষা) उस ऐतिहासिक भाषा-शैली का नाम है जो १९वीं और २०वीं शताब्दी के साहित्यिक कृतियों में प्रयुक्त हुई। उदाहरण के लिए, बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित आनन्द मठ की भाषा, साधु भाषा है।
साधु भाषा का उपयोग केवल लिखित रूप में ही होता था। इससे भिन्न भाषा को 'चलित भाषा' कहते हैं जो बोलने और लिखने में एकसमान रहती है।